भोपाल। नए शिक्षा सत्र को लेकर प्राइवेट स्कूलों ने अभी से अभिभावकों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. प्राइवेट स्कूल अभिभावकों से निश्चित दुकान से ही किताबें खरीदने के लिए कह रहे हैं. ऐसे में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के आगे मध्य प्रदेश पालक संघ ने भी एक अनोखा प्रयास किया था. जिसमें किताबों का एक्सचेंज मेला लगाया था लेकिन बावजूद इसके कई स्कूल ऐसे हैं जो बच्चों के कोर्स में ही अब परिवर्तन करने की तैयारी कर चुके हैं और नए सिरे से किताबें लेने के लिए अभिभावकों पर दबाव बना रहे हैं.
स्कूलों ने बदला कोर्स: इसको लेकर पालक संघ ने फीस एवं विद्यालय समिति को पत्र लिखकर ऐसे स्कूलों के खिलाफ अंकुश लगाने की मांग की है. मध्य प्रदेश पालक संघ के सचिव प्रबोध पंड्या ने पत्र के माध्यम से मांग करते हुए लिखा है कि कुछ स्कूल निश्चित दुकानों से ही किताबें लेने के लिए अभी भी अभिभावकों पर दबाव बना रहे हैं. जबकि कई स्कूल ऐसे हैं जिन्होंने अभिभावकों का पुस्तक एक्सचेंज मेला देखने के बाद स्कूलों की किताबों को ही बदल दिया है. इसको लेकर कार्रवाई किए जाने की जरूरत है. इनका कहना है कि स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें लागू की जाएं.
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शिक्षा अधिकारी ने कार्रवाई की कही बात: मामले में जिला शिक्षा अधिकारी नितिन सक्सेना का कहना है कि हमने अभी कई स्कूलों को इस मामले की को लेकर नोटिस जारी किए हैं क्योंकि शिकायतें लिखित में अभी भी नहीं आई है लेकिन जहां-जहां से जिसने हमें बताया है. उन स्कूलों को नोटिस जारी करके जानकारी मांगी गई है. अगर जानकारियां सही पाई जाती हैं तो धारा 188 के तहत कार्रवाई भी की जाएगी.
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पालक संघ की मांग: पालक संघ शिकायत करता है और शिक्षा अधिकारी कार्रवाई की बात करते हैं लेकिन अमूमन देखने में यही आता है कि अभिभावकों पर एक निश्चित दुकान से ही किताबें खरीदने को लेकर दबाव बनाया जाता है और इसमें कई प्राइवेट स्कूल शामिल हैं. ऐसे में देखना होगा कि कितने स्कूलों पर इस तरह की कार्रवाई हो पाती है. आपको बता दें कि कुछ हफ्ता पहले ही मध्य प्रदेश पालक संघ ने भोपाल के चिनार पार्क में एक मेला लगाया था. इस मेले के माध्यम से 300 से 500 बच्चों को किताबें एक्सचेंज कर कर दी गई थी. इसमें जो बच्चा चौथी में था वह अपनी किताबें जमा कर कर जाता था और पांचवी की किताबें लेकर गया था. इसी तरह अन्य कक्षाओं के बच्चों के साथ भी किताबों को एक्सचेंज किया गया था. इसके माध्यम से अभिभावकों पर किताबों के खर्चे का बोझ का कम करने की कोशिश की गई थी.