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'मास्टर प्लान 2031': मास्टर प्लान की कवायद तेज, शहर के बाहरी क्षेत्रों में की जाएगी अर्बन प्लानिंग - मेट्रो प्रोजेक्ट

राजधानी भोपाल के व्यवस्थित विकास का आधार 'मास्टर प्लान 2031' का ड्राफ्ट जल्द ही जारी किया जाएगा. मंत्रालय में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मास्टर प्लान को लेकर बैठक आयोजित की गई.

Bhopal master plan exercise intensified
भोपाल मास्टर प्लान की कवायद तेज
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Published : Feb 23, 2020, 5:12 AM IST

Updated : Feb 23, 2020, 5:19 AM IST

भोपाल| राजधानी के मास्टर प्लान को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा कवायद तेज कर दी गई है. राजधानी के व्यवस्थित विकास का आधार 'मास्टर प्लान 2031' का ड्राफ्ट जल्द ही जारी किया जाएगा. मंत्रालय में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मास्टर प्लान को लेकर बैठक आयोजित की गई. जिसमें आगामी मास्टर प्लान का प्रेजेंटेशन मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया गया है. मंत्रालय में करीब 2 घंटे से ज्यादा तक चले इस प्रेजेंटेशन के दौरान मुख्यमंत्री ने शहर के बड़े मसलों को सुलझाने के लिए भी जरूरी-दिशा निर्देश अधिकारियों को दिए हैं.

भोपाल मास्टर प्लान की कवायद तेज

बताया जा रहा है कि शहर में अब बेस एफएआर (फ्लोर एरिया रेशों ) की नीति अपनाई जाएगी. अब क्षेत्रों के अनुसार लैंड यूज़ के आधार पर निर्माण नहीं होगा बल्कि लोग अपने हिसाब से जमीन का लैंड यूज़ तय कर सकेंगे यानी वे अपनी मर्जी से व्यवसाय या आवासीय निर्माण कर सकते हैं. हालांकि इसके लिए उन्हें जरूरी नियमों का पालन भी करना होगा और संबंधित विभाग को सूचना भी देनी होगी.

अधिकारियों ने प्रेजेंटेशन में इस बदलाव को लेकर तर्क दिया है कि इससे ना सिर्फ लोगों को सुविधा होगी बल्कि रोजगार को भी बढ़ावा मिल सकेगा. इसके साथ ही सरकार का रेवेन्यू भी बढ़ेगा. वर्तमान मास्टर प्लान के मुताबिक जो भूमि जिस लैंड यूज़ के लिए निर्धारित की गई है उस पर वही निर्माण हो सकता है. लेकिन इसके बावजूद इस शहर के कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां आवासीय परमिशन होने के बाद भी बड़े स्तर पर व्यवसायिक गतिविधियां चल रही हैं यही वजह है कि अब मास्टर प्लान में इन सभी चीजों का उल्लेख करते हुए इन्हें सरल बनाने की कोशिश की जा रही है. जिससे सरकार को भी राजस्व में भी बढ़ोतरी हो सके.

जनसंख्या घनत्व के हिसाब से होगी अर्बन प्लानिंग

बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि शहर में बढ़ती जनसंख्या घनत्व को देखते हुए बाहरी क्षेत्रों में भी अर्बन प्लानिंग होनी चाहिए. इस दौरान अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया है कि नई प्लानिंग एरिया में शामिल गांव के विकास के लिए स्कीम तैयार की जाएगी. अधिकारियों ने बताया है कि फ्लोर एरिया रेशों नीति काफी बेहतर है क्योंकि इसमें निर्माण को लेकर स्वीकृति के लिए टी एंड सीपी ने ही पूरी तैयारी के साथ इसका मसौदा तैयार किया है.

मेट्रो प्रोजेक्ट के चलते ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स को बढ़ावा देने के लिए इस नीति को अपनाया गया है दरअसल शहर को अलग-अलग जोन में बांटा गया है इसमें बेस f.a.r. का प्रावधान किया गया है यदि इससे ज्यादा निर्माण करना हो तो टीडीआर को खरीदना होगा और उसके लिए पूरी अनुमति भी सरकार से लेनी होगी.

मेट्रो प्रोजेक्ट के तहत ही मास्टर प्लान का खाका

मेट्रो प्रोजेक्ट के मद्देनजर भी मास्टर प्लान में नई नीतियों के तहत प्रावधान किए जा रहे हैं. ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट (टीडीआर) के तहत भी वर्टिकल डेवलपमेंट पर जोर दिया जा रहा है. इसमें 60 मीटर या इससे ज्यादा चौड़ी सड़कों के दोनों ओर 300 से 500 मीटर की दूरी में हाईराइज इमारतें बनाने की परमिशन दी जाती है. मिक्स लैंड यूज के लिए कमर्शियल, रेजिडेंशियल, मॉल, पार्किंग, पार्क, स्कूल, कॉलेज, स्मार्ट रोड और बस स्टैंड होते हैं मेट्रो रूट के दोनों ओर ज्यादा एफएआर दिए जाने पर विचार विमर्श किया जा रहा है.

मास्टर प्लान में तालाब संरक्षण का प्रावधान

मास्टर प्लान में तालाब संरक्षण से जुड़े प्रावधानों पर भी विचार मंथन किया गया है. मुख्यमंत्री ने संरक्षण के लिए नए तय नियमों के मुताबिक प्रावधान करने का निर्देश दिया है अधिकारियों ने इस दौरान बताया है कि चंदनपुरा, मेंडोरा, मेंडोरी समेत अन्य क्षेत्र में भी निर्माण अनुमति नहीं दी जाएगी.

भोपाल| राजधानी के मास्टर प्लान को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा कवायद तेज कर दी गई है. राजधानी के व्यवस्थित विकास का आधार 'मास्टर प्लान 2031' का ड्राफ्ट जल्द ही जारी किया जाएगा. मंत्रालय में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मास्टर प्लान को लेकर बैठक आयोजित की गई. जिसमें आगामी मास्टर प्लान का प्रेजेंटेशन मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया गया है. मंत्रालय में करीब 2 घंटे से ज्यादा तक चले इस प्रेजेंटेशन के दौरान मुख्यमंत्री ने शहर के बड़े मसलों को सुलझाने के लिए भी जरूरी-दिशा निर्देश अधिकारियों को दिए हैं.

भोपाल मास्टर प्लान की कवायद तेज

बताया जा रहा है कि शहर में अब बेस एफएआर (फ्लोर एरिया रेशों ) की नीति अपनाई जाएगी. अब क्षेत्रों के अनुसार लैंड यूज़ के आधार पर निर्माण नहीं होगा बल्कि लोग अपने हिसाब से जमीन का लैंड यूज़ तय कर सकेंगे यानी वे अपनी मर्जी से व्यवसाय या आवासीय निर्माण कर सकते हैं. हालांकि इसके लिए उन्हें जरूरी नियमों का पालन भी करना होगा और संबंधित विभाग को सूचना भी देनी होगी.

अधिकारियों ने प्रेजेंटेशन में इस बदलाव को लेकर तर्क दिया है कि इससे ना सिर्फ लोगों को सुविधा होगी बल्कि रोजगार को भी बढ़ावा मिल सकेगा. इसके साथ ही सरकार का रेवेन्यू भी बढ़ेगा. वर्तमान मास्टर प्लान के मुताबिक जो भूमि जिस लैंड यूज़ के लिए निर्धारित की गई है उस पर वही निर्माण हो सकता है. लेकिन इसके बावजूद इस शहर के कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां आवासीय परमिशन होने के बाद भी बड़े स्तर पर व्यवसायिक गतिविधियां चल रही हैं यही वजह है कि अब मास्टर प्लान में इन सभी चीजों का उल्लेख करते हुए इन्हें सरल बनाने की कोशिश की जा रही है. जिससे सरकार को भी राजस्व में भी बढ़ोतरी हो सके.

जनसंख्या घनत्व के हिसाब से होगी अर्बन प्लानिंग

बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि शहर में बढ़ती जनसंख्या घनत्व को देखते हुए बाहरी क्षेत्रों में भी अर्बन प्लानिंग होनी चाहिए. इस दौरान अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया है कि नई प्लानिंग एरिया में शामिल गांव के विकास के लिए स्कीम तैयार की जाएगी. अधिकारियों ने बताया है कि फ्लोर एरिया रेशों नीति काफी बेहतर है क्योंकि इसमें निर्माण को लेकर स्वीकृति के लिए टी एंड सीपी ने ही पूरी तैयारी के साथ इसका मसौदा तैयार किया है.

मेट्रो प्रोजेक्ट के चलते ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स को बढ़ावा देने के लिए इस नीति को अपनाया गया है दरअसल शहर को अलग-अलग जोन में बांटा गया है इसमें बेस f.a.r. का प्रावधान किया गया है यदि इससे ज्यादा निर्माण करना हो तो टीडीआर को खरीदना होगा और उसके लिए पूरी अनुमति भी सरकार से लेनी होगी.

मेट्रो प्रोजेक्ट के तहत ही मास्टर प्लान का खाका

मेट्रो प्रोजेक्ट के मद्देनजर भी मास्टर प्लान में नई नीतियों के तहत प्रावधान किए जा रहे हैं. ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट (टीडीआर) के तहत भी वर्टिकल डेवलपमेंट पर जोर दिया जा रहा है. इसमें 60 मीटर या इससे ज्यादा चौड़ी सड़कों के दोनों ओर 300 से 500 मीटर की दूरी में हाईराइज इमारतें बनाने की परमिशन दी जाती है. मिक्स लैंड यूज के लिए कमर्शियल, रेजिडेंशियल, मॉल, पार्किंग, पार्क, स्कूल, कॉलेज, स्मार्ट रोड और बस स्टैंड होते हैं मेट्रो रूट के दोनों ओर ज्यादा एफएआर दिए जाने पर विचार विमर्श किया जा रहा है.

मास्टर प्लान में तालाब संरक्षण का प्रावधान

मास्टर प्लान में तालाब संरक्षण से जुड़े प्रावधानों पर भी विचार मंथन किया गया है. मुख्यमंत्री ने संरक्षण के लिए नए तय नियमों के मुताबिक प्रावधान करने का निर्देश दिया है अधिकारियों ने इस दौरान बताया है कि चंदनपुरा, मेंडोरा, मेंडोरी समेत अन्य क्षेत्र में भी निर्माण अनुमति नहीं दी जाएगी.

Last Updated : Feb 23, 2020, 5:19 AM IST
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