भोपाल। करणी सेना प्रमुख जीवन सिंह से मिले मंत्री अरविंद भदौरिया ने जूस पिलाकर इनका आंदोलन खत्म करा दिया है. मंत्री का कहना है कि, कई ऐसे मुद्दे हैं जो केंद्र के अधीन हैं. उन पर फिलहाल चर्चा चल रही है, लेकिन बाकी 18 मामलों पर सहमति बन गई है. इधर आंदोलन के प्रमुख जीवन सिंह का कहना है कि, अगर उनकी मांगों को नहीं माना जाता तो दोबारा 2 महीने बाद वह आंदोलन के लिए अग्रसर होंगे.
22 मांगों को लेकर सड़क पर थे कार्यकर्ता: आपको बता दे कि करणी सेना के कार्यकर्ता अपनी 22 मांगों को लेकर सड़कों पर उतर आए थे. भोपाल के जंबूरी मैदान में रात भर बैठे कार्यकर्ता दोपहर में बोर्ड ऑफिस चौराहे की ओर मार्च करते हुए निकल पड़े थे. बड़ी संख्या में कार्यकर्ता रास्ते में पहुंचे तो पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोक दिया था. महात्मा गांधी चौराहे के पास पुलिस ने बैरिकेडिंग कर दी. जिसके विरोध में यह तमाम कार्यकर्ता यही धरने पर 2 दिन से बैठ गए और नारेबाजी कर रहे थे. इनका कहना है कि जब तक मांगें पूरी नहीं होती यह हटने वाले नहीं.
भूख हड़ताल की थी शुरू: जातिगत आरक्षण और एट्रोसिटी एक्ट में बदलाव की मांग सहित 22 सूत्रीय मांगों को लेकर भोपाल में जुटे करणी सेना के पदाधिकारियों ने भूख हड़ताल भी शुरू कर दी थी. आंदोलन स्थल पर इन्होंने यह हड़ताल शुरू की थी. इनका कहना था कि, सरकार उनकी मांगों पर जल्द निराकरण करें. अगर इनकी मांगे मान ली जाती है तो ठीक है. अन्यथा यह पूरे देश में भी किया जाएगा. ऐसे में 4 दिन के आंदोलन के बाद धरना स्थल पर पहुंचे सहकारिता मंत्री अरविंद भदोरिया ने जूस पिलाकर आंदोलन खत्म करवाया. भदौरिया का कहना है कि आरक्षण और एट्रोसिटी जैसा मामला केंद्र के अधीन है. इसके अलावा अन्य 18 मांगों पर सहमति बनी है. करणी सेना के प्रदेश प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर ने कहा कि, उनकी 18 मांगे मान ली गई है. मध्यप्रदेश के साथ ही राजस्थान छत्तीसगढ़ दिल्ली पंजाब आदि राज्यों से भी लोग शामिल हुए हैं. सरकार से मिले आश्वासन के बाद उन्होंने आंदोलन खत्म कर दिया. जीवन सिंह का कहना है कि अगर 2 महीने में मांगे पूरी नहीं होती तो फिर हम सड़कों पर होंगे.
बोर्ड ऑफिस की ओर निकले थे कार्यकर्ता: भोपाल के जंबूरी मैदान में रविवार को करणी सेना के आंदोलन का शंखनाद हुआ जो देर रात तक जारी रहा था. सोमवार को दोपहर यह सभी मार्च लेकर बोर्ड ऑफिस चौराहे की ओर निकल पड़े. इसके बाद पुलिस ने ने रोक दिया था. और जब से यह सड़क पर ही बैठे थे. इनका कहना था कि, हम वही माई के लाल हैं जिन्होंने 2018 में सत्ता का परिवर्तन किया था और सरकार हमें दबाने का प्रयास करेगी तो हम 2023 में भी सरकार परिवर्तन करने में सक्षम हैं. करणी सेना का कहना है. हमारे आंदोलन को दबाने के लिए सरकार ने अपने अनुवांशिक संगठनों की मदद से इसे दबा रही है.
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यह थीम मांगे जिन पर बनी सहमति: इस आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए गुजरात से राज शेखावत राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना का कहना है कि, यह स्थिति देश में है कि उनके अधिकारों को दबाया जा रहा है. चाहे बात मध्य प्रदेश की हो या गुजरात की वह गुजरात से आते हैं और वहां भी यही स्थिति है. महिपाल सिंह मकराना राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्री राजपूत करणी सेना का कहना है कि, सभी राजपूत एकजुट हैं. भले ही सरकार उनको दबाने के लिए कुछ संगठनों को बुलाकर इस आंदोलन को कमजोर करने की बात करें, लेकिन यहां मौजूद संख्या को देखकर आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि उनका आंदोलन और राष्ट्रीय स्तर का हो गया है.