भोपाल। एक और प्रदेश सरकार शहरों के उत्सवों को मना रही है. ऐसे में भोपाल का गौरव उत्सव भी 1 जून को होने जा रहा है, लेकिन भोपाल से जुड़े कई कलाकारों ने इस पर ही सवालिया निशान उठाए हैं. इनका कहना है कि इसमें दिल्ली, मुंबई से कलाकारों को बुलाया जाता है, जबकि स्थानीय कलाकारों जो बड़े स्तर पर हैं, उनको घर की मुर्गी दाल के जैसा समझा जाता है, तो मंजर भोपाली कहते हैं कि कल्चरल विभाग में ही कमीशन का खेल चल रहा है.
1 जून को भोपाल गौरव दिवस: शहरों के इतिहास को दर्शाने वाला गौरव उत्सव हर जगह मनाया जा रहा है. हर शहर में इसे अलग-अलग दिन मनाना शुरू हो गया है. भोपाल का गौरव उत्सव 1 जून को मनाया जाएगा. इस उत्सव में शामिल होने के लिए वैसे तो कई बड़े कलाकार भोपाल आएंगे. जिसमें गायिका श्रेया घोषाल, कॉमेडियन कृष्णा सुदेश की जोड़ी और मनोज मुंतशिर जैसे राइटर डायरेक्टर परफॉर्मेंस करेंगे. यह आयोजन यह आयोजन भोपाल के लाल परेड ग्राउंड पर होगा, लेकिन इस आयोजन पर भोपाल के उन कलाकारों ने सवालिया निशान उठाए हैं. जो भोपाल में पैदा हुए हैं और फिल्म इंडस्ट्री से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपना नाम कमा चुके हैं. जिसमें फिल्म कलाकार रजा मुराद भी एक हैं. भारी आवाज के धनी रजा मुराद को आपने अनेकों फिल्मों में एक्टिंग करते हुए देखा होगा.
रजा मुराद का सरकार पर कटाक्ष: रजा मुराद फिलहाल मुंबई में हैं, लेकिन उनसे जब फोन पर भोपाल के गौरव दिवस में मुंबई और बाहर के कलाकारों को बुलाए जाने पर सवाल किया तो रजा मुराद ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार मालिक है. वह जो करना चाहे कर सकती है. रजा कहते हैं कि भोपाल के कलाकार शायद घर की मुर्गी दाल के जैसे हैं. हमारा प्रजातंत्र है, डेमोक्रेसी है, आप को बुलाना है तो बुलाए. नहीं बुलाना है तो इसके लिए कोई जोर जबरदस्ती नहीं है. भोपाल आना मेरे लिए कोई बड़ी बात नहीं है 1 घंटे का रास्ता है, जब मुझे आना होता है आ जाता हूं. हमें नहीं बुला रहे तो ठीक है अच्छी बात है, उनकी मर्जी.
मुहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला
मशहूर शायर बशीर बद्र को भी नहीं बुलाया: इस शायरी को लिखने वाले मशहूर शायर बशीर बद्र भोपाल के ही रहने वाले हैं. बशीर बद्र की केवल यह एक शायरी नहीं, ऐसे कई शेर शायरी इनके नाम है, जो हर किसी के दिलो-दिमाग पर छा जाते हैं. भोपाल को शायरी में कई ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाले बशीर बद्र अभी अस्वस्थ हैं और घर पर ही रहते हैं. बीमारी के चलते वह अधिकतर बातें भूल जाते हैं, लेकिन फिर भी जब उनसे उनकी शायरियों की बात की जाए तो वह ध्यान से सुनते हैं और अपने तरीके से उसे गुनगुनाने की कोशिश भी करते हैं. बशीर बद्र की पत्नी राहत बद्र उनकी देखरेख करती हैं. भोपाल के गौरव दिवस को लेकर जब उनसे पूछा गया तो उनका कहना था कि ऐसे आयोजनों में भोपाल के उन कलाकारों या मशहूर लोगों को जरूर बुलाना चाहिए, जिन्होंने भोपाल का नाम दूर तक पहुंचाया है.
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भोपाल के आर्टिस्ट को मिलना चाहिए मौका: बशीर बद्र के कुछ कलाम और नगमे अगर मंच पर प्रस्तुत किए जाते और उनके परिवार के कुछ लोगों को वहां बुलाया जाता तो उन्हें खुशी होती. राहत बद्र कहती हैं जब यह आयोजन भोपाल के नाम से हो रहा है तो इसमें भोपाल के लोगों को और आर्टिस्ट को मौका देना चाहिए. वह कहती हैं कि सिंगिंग और डांस के लिए भोपाल के कलाकारों को ही इस मंच पर प्रस्तुति देने के लिए रखा जाना था, क्योंकि यहां भी बड़े-बड़े कलाकार और लोग हैं, जो खूब मेहनत करते हैं और भोपाल को और उसके नाम को आगे लेकर गए हैं. दुनिया भर में मशहूर किया है. राहत कहती हैं कि बाहर के कलाकार भी इसमें जरूर आएं, वह यहां पर आए और यहां की आदत को समझें. यहां पर जब बाहर के कलाकार आते है तो यहां के माहौल को समझेंगे. वह भी आकर परफॉर्मेंस करें, लेकिन भोपाल के लोगों को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए.
मंजर भोपाली ने सरकार को किया कठघरे में खड़ा: उर्दू अदब के बड़े शायरों में शुमार मंजर भोपाली सीधे तौर पर इसमें मध्य प्रदेश के कल्चरल विभाग को कठघरे में खड़ा करते हैं. मंजर भोपाली कहते हैं कि पूरे के पूरे विभाग में कमीशन का खेल चल रहा है. जो कलाकार कमीशन का कुछ हिस्सा यहां आयोजकों को दे देता है, उसे ही इन मंचों पर बुलाया जाता है. भोपाल के कलाकारों को तो शुरु से ही नजरअंदाज किया जा रहा है. चाहे यह सरकार हो या पिछली कांग्रेस सरकार सभी में भोपाल के कलाकारों को तवज्जो नहीं दी गई है. मंजर भोपाली कहते हैं कि मेरे पास भी पहले इस तरह के ऑफर आए हैं कि जो राशि दे रहे हैं, उसका 25 परसेंट दे देना तो आपको मंच पर बुला लिया जाएगा, लेकिन मैंने इसके लिए मना कर दिया.