भोपाल। मध्य प्रदेश की साढ़े चार हजार प्राथमिक सहकारी समितियों के चुनाव चार साल से नहीं हुए हैं, पूर्व कमलनाथ सरकार की कर्जमाफी योजना के चलते डिफाल्टर हुए किसानों के कारण ये चुनाव नहीं हो पा रहे हैं. सहकारिता निर्वाचन प्राधिकारी ने सभी जिलों के डिप्टी रजिस्ट्रार सहकारिता से जिलो में प्राथमिक सहकारी समितियों की मतदाता सूची और चुनाव कराने के प्रस्ताव मांगे हैं, लेकिन कर्जमाफी योजना में कर्ज की राशि नहीं चुकाने के कारण डिफाल्टर हुए किसानों को लेकर कोई निर्णय नहीं हो पाने के कारण ये चुनाव फिलहाल अटके हुए हैं.(cooperative societies Elections)
इतनी प्राथमिक सहकारी समितियों के होने हैं चुनाव: प्रदेश में साढ़े चार हजार प्राथमिक सहकारी समितियों के चुनाव होने हैं, इन चुनावों के बाद जिला सहकारी बैंक और उसके बाद अपेक्स बैंक के चुनाव कराए जाएंगे. प्राथमिक सहकारी समितियों में काफी संख्या में ग्रामीण अंचलों के किसान सदस्य है, प्रदेश में वर्ष 2013 में प्राथमिक सहकारी समितियों के चुनाव हुए थे. इसके बाद वर्ष 2018 में ये चुनाव कराए जाने थे, लेकिन तब से ही लगातार ये चुनाव टलते आ रहे हैं. पहले लोकसभा और विधानसभा चुनाव के चलते ये चुनाव टलते रहे, इसके बाद कांग्रेस सरकार ने जयकिशन ऋण माफी योजना लागू की तो कमलनाथ सरकार ने किसानो के बकाया कर्ज माफी की घोषणा कर दी, इसमें 55 हजार से ज्यादा या एक लाख या इससे कम कर्ज वाले किसानों के कर्ज माफ कर दिए गए. दूसरे चरण में दो लाख रुपए तक के कर्ज भी माफ किए जाने थे, लेकिन कांग्रेस सरकार चली गई.
कर्जदार किसानों में से 60% डिफाल्टर श्रेणी से बाहर: कांग्रेस सरकार ने 55 लाख कर्जदार किसानों में से साठ फीसदी किसानों को डिफाल्टर की श्रेणी से बाहर कर दिया था, जिन किसानों के कर्ज माफ हुए थे उन्हें अभी सहकारी समितियों और जिला सहकारी बैंको ने कर्ज की राशि जमा नहीं होंने के कारण डिफाल्टर घोषित कर रखा है. पूर्व मंत्री पी सी शर्मा का कहना है कि, "कमलनाथ ने जो वादा किया था, हम 2 लाख तक की कर्ज माफी करते लेकिन बीजेपी ने हमारे विधायकों की खरीद फरोख्त की, जिसके चलते किसानों कर्ज माफ नहीं हो सका, लेकिन अब किसान भी बीजेपी की दोगली नीति को जान चुका है और इसी बीजेपी की वजह से वो डिफाल्टर हो गया."
किसानों को कर्ज माफी की नहीं आत्मनिर्भर बनाने की जरूरत: वहीं कृषि मंत्री कमल पटेल कहते हैं कि, "हम तो पहले से ही कह रहे हैं कि किसान को कर्ज माफी की नहीं बल्कि आत्मनिर्भर बनाने की जरूरत है. केंद्र में मोदी और प्रदेश में शिवराज, किसानों को आत्मनिर्भर बना रहे हैं, कांग्रेस ने तो किसानों को झूठा वादा करके उन्हें कहीं का न छोड़ा है."
डिफाल्टर श्रेणी से बाहर नहीं किए जा रहे किसान: राज्य सरकार डिफाल्टर किसानों को नगद में खाद-बीज तो दे रही है, लेकिन उन्हें डिफाल्टर की श्रेणी से बाहर नहीं कर रही है. डिफाल्टर होने के कारण वे प्राथमिक सहकारी समितियों के चुनावों में मतदान नहीं कर सकते हैं. कोरोना काल में भी लंबे समय तक चुनाव की प्रक्रिया बाधित रही, अब जब प्रदेश कोरोना से उबर चुका है और लोकसभा और विधानसभा के चुनाव की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है, लेकिन किसानों का डिफाल्टर होना चुनाव में अड़ंगा बन रहा है.