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EXCLUSIVE: 'गगनयान हमारी तत्काल प्राथमिकता': इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन ने मानव अंतरिक्ष मिशन पर की एक्सक्लूसिव चर्चा - ISRO CHAIRMAN V NARAYANAN INTERVIEW

इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने ईटीवी भारत को दिए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में गगनयान मिशन की तैयारियों को लेकर खास जानकारियां दी हैं.

ISRO Chairman V Narayanan during an interview with ETV Bharat
ईटीवी भारत को इंटरव्यू देते हुए इसरो के अध्यक्ष (फोटो - ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Tech Team

Published : Feb 15, 2025, 5:03 PM IST

बेंगलुरु: भारत की स्पेस एजेंसी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) लगातार नई ऊंचाईयों को छूते जा रहा है. इसरो की सबसे बड़ी उपलब्धियों की लिस्ट में गगनयान का नाम शामिल होने वाला है. गगनयान भारतीय स्पेस एजेंसी का एक बेहद महत्वपूर्ण मिशन है. यह भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन है, जिसे इसरो डेवलप कर रहा है. इस मिशन के सफल होने के बाद भारत दुनिया के कुछ उन चुनिंदा देशी की लिस्ट में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने पहले ही मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन में सफलता प्राप्त कर ली है.

गगनयान मिशन के जरिए इसरो भारत के तीन अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा यानी लोअर अर्थ ऑर्बिट (LEO) में भेजने और फिर सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने की योजना बना रहा है. इसरो के इस गगनयान कार्यक्रम का उद्देश्य भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का विकास करना (जिसमें एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में भेजलने और सुरक्षित रूप से वापस लाने के लिए जरूरी टेक्नोलॉजी को डेवलप करना शामिल है) और भविष्य के मिशनों के लिए नींव रखना है, जिसमें अंतरिक्ष में लंबे समय के लिए एस्ट्रोनॉट्स का रुकना और बड़े अंतरिक्ष मिशनों के लिए आधार तैयार करना शामिल है.

साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर जितेंद्र सिंह ने इस महीने की शुरुआत में पुष्टि की कि गगनयान मिशन 2026 में लॉन्च होने के लिए निर्धारित किया गया है. भारत के इस महत्वपूर्ण गगनयान मिशन के बारे में चर्चा करते हुए, इसरो के नए अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग के सचिव डॉ. वी नारायणन ने ईटीवी भारत की पत्रकार अनुभवा जैन को बताया कि,

"भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी क्रू मिशन से पहले कुल तीन मानवरहित (जिसनें इंसान नहीं होंगे) टेस्ट फ्लाइट्स लॉन्च करेगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी सिस्टम सही तरीके से काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि, पहला मानवरहित फ्लाइट इस साल श्रीहरिकोटा से लॉन्च करने करने के लिए निर्धारित किया गया है."

इस टेस्ट फ्लाइट्स के सफल होने के बाद क्रू मिशन को आगे बढ़ाया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि इस क्रू मिशन की तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए चुने गए एस्ट्रोनॉट्स को बड़ी मुश्किल शारीरिक और ट्रेनिंग प्रोग्राम्स को कंप्लीट करना होगा.

उन्होंने आगे कहा कि, "गगनयान मिशन का उद्देश्य 3 एस्ट्रोनॉट्स को 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर लोअर अर्थ ऑर्बिट (LEO) में भेजना है. इसके लिए हम एक खास रॉकेट मानव-रेटेड LVM 3 वाहन (HLVM 3) का उपयोग करेंगे. यह व्हीकल एडवांस स्ट्रक्चरल और थर्मल मार्जिन से लैस होगा और इसकी विश्वसनीयता में सुधार करने के लिए रिडंडेंसी भी बढ़ी हुई होगी."

एडवांस स्ट्रक्चरल और थर्मल मार्जिन क्या होता है?

बता दें कि एडवांस स्ट्रक्चरल और थर्मल मार्जिन का मतलब होता है कि यह रॉकेट मुश्किल परिस्थितियों और बेहद ज्यादा तापमान का सामना करने में सक्षम होगा, जिससे एस्ट्रोनॉट्स की सुरक्षा सुनिश्चित होगी. इसके अलावा बढ़ी हुई रिडंडेंसी का अर्थ होता है कि अगर कोई एक सिस्टम काम नहीं करता तो उसके लिए एक बैकअप सिस्टम तैयार होता है. उन्होंने आगे कहा कि, "इसके सबसे मुख्य डेवलपमेंट्स में से रियल-टाइम व्हीकल हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम और एक एडवांस एनवायरमेंटल कंट्रोल और सेफ्टी सिस्टम शामिल है."

इसरो के नए अध्यक्ष ने इंटरव्यू में बताया कि, "पहले व्हीकल एस्ट्रोनॉट्स को 170 किलोमीटर और फिर 400 किलोमीटर तक की मुख्य ऑर्बिट में लेकर जाएगा और उसके बाद सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लेकर आएगा."

उन्होंने कहा, "गगनयान मिशन में स्पेस व्हीकल यानी अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष में ले जाने और वापस लाने के लिए सर्विस मॉड्यूल के प्रोपलशन सिस्टम का यूज़ किया जाएगा. जब अंतरिक्ष यान पृथ्वी के वायुमंडल (Earth Atmoshpere) में वापस आएगा, तो प्रोपलशन सिस्टम, उसकी स्पीड को कम कर देगा. उसके बाद पैराशूट की मदद से धीरे-धीरे अंतरिक्ष यान को नीचे उतारा जाएगा. इससे अंतरिक्ष यान और एस्ट्रोनॉट्स की सुरक्षित और सटीक लैंडिंग होगी."

इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने गगनयान मिशन में मानव अंतरिक्ष उड़ान की सफलता, सुरक्षा और खासकर पृथ्वी के वायुमंडल में अंतरिक्ष यान का सुरक्षित रूप से पुन: प्रवेश करने के बारे में विस्तार से समझाते हुए कहा कि,

"जब कोई चीज काफी तेज गति से पृथ्वी के वातावरण में वापस आती है, तो उसके घर्षण से बहुत ज्यादा गर्मी पैदा होती है. इस समस्या का समाधान करने के लिए एडवांस थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम को डेवलप किया जा रहा है, ताकि अंतरिक्ष यान को सुरक्षित रूप से वापस लाया जा सके. उसके बाद फाइनल फेज़ में अंतरिक्ष यान की गति को पैराशूट की मदद से नियंत्रित किया जाएगा, ताकि वो धीरे-धीरे और सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर लैंड कर सके." उन्होंने बताया कि इन पैराशूट्स को आगरा में स्थित DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) की मदद से तैयार किया गया है."

LUPEX मिशन क्या है?

गगनयान कार्यक्रम के बाद, इसरो का उद्देश्य कम से कम खर्च में अंतरिक्ष मिशन को सफल बनाना है. इसका मतलब है कि इसरो ऐसी टेक्नोलॉजी और रॉकेट को बनाना चाहचे हैं जिसके जरिए कम से कम कीमत में अंतरिक्ष यान या एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में भेजना संभव हो पाए. नारायणन ने कहा कि, इनमें से एक मुख्य मिशन है लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन मिशन (LUPEX) है. यह इसरो के लिए एख खास मिशन है.

LUPEX एक बेहद खास मिशन है, जो भारत की इसरो और जापान की अंतरिक्ष एजेंसी JAXA (जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी) के बीच कॉलेबरेशन को डेवलप करेगी. यह मिशन चंद्रमा के बारे में हमारी समझ को और भी बेहतर करेगा और भविष्य में लूनर एक्सप्लोरेशन के नए रास्ते खोलेगा.

यह भी पढ़ें:

2027 में लॉन्च होगा चंद्रयान-4, केंद्रीय मंत्री ने दी जानकारी, गगनयान और समुद्रयान के बारे में भी बताया

बेंगलुरु: भारत की स्पेस एजेंसी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) लगातार नई ऊंचाईयों को छूते जा रहा है. इसरो की सबसे बड़ी उपलब्धियों की लिस्ट में गगनयान का नाम शामिल होने वाला है. गगनयान भारतीय स्पेस एजेंसी का एक बेहद महत्वपूर्ण मिशन है. यह भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन है, जिसे इसरो डेवलप कर रहा है. इस मिशन के सफल होने के बाद भारत दुनिया के कुछ उन चुनिंदा देशी की लिस्ट में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने पहले ही मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन में सफलता प्राप्त कर ली है.

गगनयान मिशन के जरिए इसरो भारत के तीन अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा यानी लोअर अर्थ ऑर्बिट (LEO) में भेजने और फिर सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने की योजना बना रहा है. इसरो के इस गगनयान कार्यक्रम का उद्देश्य भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का विकास करना (जिसमें एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में भेजलने और सुरक्षित रूप से वापस लाने के लिए जरूरी टेक्नोलॉजी को डेवलप करना शामिल है) और भविष्य के मिशनों के लिए नींव रखना है, जिसमें अंतरिक्ष में लंबे समय के लिए एस्ट्रोनॉट्स का रुकना और बड़े अंतरिक्ष मिशनों के लिए आधार तैयार करना शामिल है.

साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर जितेंद्र सिंह ने इस महीने की शुरुआत में पुष्टि की कि गगनयान मिशन 2026 में लॉन्च होने के लिए निर्धारित किया गया है. भारत के इस महत्वपूर्ण गगनयान मिशन के बारे में चर्चा करते हुए, इसरो के नए अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग के सचिव डॉ. वी नारायणन ने ईटीवी भारत की पत्रकार अनुभवा जैन को बताया कि,

"भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी क्रू मिशन से पहले कुल तीन मानवरहित (जिसनें इंसान नहीं होंगे) टेस्ट फ्लाइट्स लॉन्च करेगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी सिस्टम सही तरीके से काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि, पहला मानवरहित फ्लाइट इस साल श्रीहरिकोटा से लॉन्च करने करने के लिए निर्धारित किया गया है."

इस टेस्ट फ्लाइट्स के सफल होने के बाद क्रू मिशन को आगे बढ़ाया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि इस क्रू मिशन की तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए चुने गए एस्ट्रोनॉट्स को बड़ी मुश्किल शारीरिक और ट्रेनिंग प्रोग्राम्स को कंप्लीट करना होगा.

उन्होंने आगे कहा कि, "गगनयान मिशन का उद्देश्य 3 एस्ट्रोनॉट्स को 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर लोअर अर्थ ऑर्बिट (LEO) में भेजना है. इसके लिए हम एक खास रॉकेट मानव-रेटेड LVM 3 वाहन (HLVM 3) का उपयोग करेंगे. यह व्हीकल एडवांस स्ट्रक्चरल और थर्मल मार्जिन से लैस होगा और इसकी विश्वसनीयता में सुधार करने के लिए रिडंडेंसी भी बढ़ी हुई होगी."

एडवांस स्ट्रक्चरल और थर्मल मार्जिन क्या होता है?

बता दें कि एडवांस स्ट्रक्चरल और थर्मल मार्जिन का मतलब होता है कि यह रॉकेट मुश्किल परिस्थितियों और बेहद ज्यादा तापमान का सामना करने में सक्षम होगा, जिससे एस्ट्रोनॉट्स की सुरक्षा सुनिश्चित होगी. इसके अलावा बढ़ी हुई रिडंडेंसी का अर्थ होता है कि अगर कोई एक सिस्टम काम नहीं करता तो उसके लिए एक बैकअप सिस्टम तैयार होता है. उन्होंने आगे कहा कि, "इसके सबसे मुख्य डेवलपमेंट्स में से रियल-टाइम व्हीकल हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम और एक एडवांस एनवायरमेंटल कंट्रोल और सेफ्टी सिस्टम शामिल है."

इसरो के नए अध्यक्ष ने इंटरव्यू में बताया कि, "पहले व्हीकल एस्ट्रोनॉट्स को 170 किलोमीटर और फिर 400 किलोमीटर तक की मुख्य ऑर्बिट में लेकर जाएगा और उसके बाद सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लेकर आएगा."

उन्होंने कहा, "गगनयान मिशन में स्पेस व्हीकल यानी अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष में ले जाने और वापस लाने के लिए सर्विस मॉड्यूल के प्रोपलशन सिस्टम का यूज़ किया जाएगा. जब अंतरिक्ष यान पृथ्वी के वायुमंडल (Earth Atmoshpere) में वापस आएगा, तो प्रोपलशन सिस्टम, उसकी स्पीड को कम कर देगा. उसके बाद पैराशूट की मदद से धीरे-धीरे अंतरिक्ष यान को नीचे उतारा जाएगा. इससे अंतरिक्ष यान और एस्ट्रोनॉट्स की सुरक्षित और सटीक लैंडिंग होगी."

इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने गगनयान मिशन में मानव अंतरिक्ष उड़ान की सफलता, सुरक्षा और खासकर पृथ्वी के वायुमंडल में अंतरिक्ष यान का सुरक्षित रूप से पुन: प्रवेश करने के बारे में विस्तार से समझाते हुए कहा कि,

"जब कोई चीज काफी तेज गति से पृथ्वी के वातावरण में वापस आती है, तो उसके घर्षण से बहुत ज्यादा गर्मी पैदा होती है. इस समस्या का समाधान करने के लिए एडवांस थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम को डेवलप किया जा रहा है, ताकि अंतरिक्ष यान को सुरक्षित रूप से वापस लाया जा सके. उसके बाद फाइनल फेज़ में अंतरिक्ष यान की गति को पैराशूट की मदद से नियंत्रित किया जाएगा, ताकि वो धीरे-धीरे और सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर लैंड कर सके." उन्होंने बताया कि इन पैराशूट्स को आगरा में स्थित DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) की मदद से तैयार किया गया है."

LUPEX मिशन क्या है?

गगनयान कार्यक्रम के बाद, इसरो का उद्देश्य कम से कम खर्च में अंतरिक्ष मिशन को सफल बनाना है. इसका मतलब है कि इसरो ऐसी टेक्नोलॉजी और रॉकेट को बनाना चाहचे हैं जिसके जरिए कम से कम कीमत में अंतरिक्ष यान या एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में भेजना संभव हो पाए. नारायणन ने कहा कि, इनमें से एक मुख्य मिशन है लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन मिशन (LUPEX) है. यह इसरो के लिए एख खास मिशन है.

LUPEX एक बेहद खास मिशन है, जो भारत की इसरो और जापान की अंतरिक्ष एजेंसी JAXA (जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी) के बीच कॉलेबरेशन को डेवलप करेगी. यह मिशन चंद्रमा के बारे में हमारी समझ को और भी बेहतर करेगा और भविष्य में लूनर एक्सप्लोरेशन के नए रास्ते खोलेगा.

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