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bhopal durga puja Navratri पंडाल में लाएं मां दुर्गा की मिट्टी की मूर्तियां, जाने पीओपी की मूर्ति के नुकसान

दुर्गा पूजा नवरात्रि का शुभारंभ सोमवार से होने जा रहा है. शारदीय नवरात्रि में दुर्गापूजा पंडालों की शोभा बढ़ाने के लिए मां आदिशक्ति सोमवार सुबह से विराजने वाली हैं. भक्तों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी यह है कि वह अपने पंडालों में माता की मिट्टी की मूर्तियां ही स्थापित करें. भोपाल शहर में 20 फीसदी पीओपी की मूर्तियां भी बनकर तैयार हैं. पर्यावरणविद एवं पंडितों ने बताया कि आखिर क्यों पीओपी की मूर्तियां नहीं स्थापित करनी चाहिए. (bhopal durga puja Navratri statue)

bhopal durga puja Navratri statue
भोपाल पंडाल में लाएं मां दुर्गा की मिट्टी की मूर्तियां
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Published : Sep 25, 2022, 8:02 PM IST

भोपाल। मां शक्ति का पर्व नवदुर्गा की शुरुआत सोमवार से होने जा रही है. राजधानी में छोटी-बड़ी दुर्गा प्रतिमाओं सहित करीब ढाई हजार प्रतिमाएं शहर में स्थापित की जा रही हैं. उधर तमाम रोक के बाद भी 20 फीसदी से ज्यादा पीओपी की प्रतिमाएं बनकर तैयार हो चुकी हैं. यह सब बिक्री के लिए तैयार हैं. हालांकि इस बार प्रशासन ने इन प्रतिमाओं को लेकर पहले से कोई सख्ती दिखाई और न दिशानिर्देश जारी किए. पर्यावरणविद के मुताबिक प्रशासन को ऐसी पीओपी की प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए अलग से व्यवस्था करनी चाहिए. (bring clay idols of maa durga in pandal)

पीओपी प्रतिमाओं पर रोक नहींः प्लास्टिक ऑफ पेरिस यानी (पीओपी) की प्रतिमाओं के निर्माण पर सालों से रोक है. इसके बाद भी गणेश उत्सव और दुर्गा पूजा में मिट्टी की प्रतिमा के स्थान पर पीओपी की प्रतिमाएं तैयार की जाती हैं. मूर्तिकार सुदेश बनर्जी कहते हैं कि पिछले सालों में धीरे-धीरे कई लोग अब मिट्टी की मूर्तियों की ही डिमांड करते हैं. हालांकि पीओपी के मुकाबले मिट्टी की प्रतिमाएं महंगी होती हैं. पीओपी की प्रतिमाएं जल्द तैयार हो जाती हैं. मजबूत होती हैं और इसमें फिनिशिंग भी अच्छी आती है. जबकि मिट्टी की प्रतिमा बनाने में करीब 2 माह का वक्त लग जाता है. इसके लिए अच्छी क्वालिटी की मिट्टी लगायी जाती है. पीओपी और मिट्टी की प्रतिमाओं की कीमत में 40 फीसदी तक का अंतर होता है. यही वजह है कि पीओपी की मूर्तियों की डिमांड बनी हुई है. (bhopal know the disadvantages of pop idol)

Shardiya Navratri 2022: नवरात्र में कैसे और किस मुहूर्त में करें कलश स्थापना, जानिए इसके महत्व और फायदे

पानी में नहीं घुलती पीओपी की प्रतिमाएंः पर्यावरणविद् सुभाष पांडे कहते हैं कि पीओपी की प्रतिमाओं को बनाने से रोकने के लिए सालों से प्रयास चल रहे हैं. लेकिन आम लोगों को इसको लेकर सोचना होगा. जिस आस्था के साथ देवी-देवताओं की स्थापना की जाती है. क्या वह आस्था पीओपी की प्रतिमाओं में बनी रह पाती है. ऐसी प्रतिमाएं पानी में विजर्सन के बाद भी गल नहीं पातीं. इसमें उपयोग होने वाला कैमिकल जलीय पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाता है. (bhopal durga puja statue clay not pop)

मिट्टी की प्रतिमा स्थापना का ही विधानः पंडित विष्णु राजौरिया कहते हैं कि पीओपी की प्रतिमाएं स्थापित करने का विधान ही नहीं हैं. हमेशा मिट्टी की प्रतिमाएं ही स्थापित की जानी चाहिए. दुर्गा प्रतिमा पवित्र नदियों की मिट्टी से बनाए जाने का ही विधान है. पीओपी से बनाई गई प्रतिमाएं पानी में घुलती नहीं हैं. बाद में यह ऐसी ही पड़ी रहती हैं, जो ठीक नहीं होता. लोगों को मिट्टी की प्रतिमाएं ही स्थापित करनी चाहिए. ऐसी प्रतिमाएं पानी में डालते ही घुल जाती हैं. (bhopal durga puja Navratri statue)

इस बार सख्ती दिखाने में चूका प्रशासनः पीओपी की प्रतिमाओं को लेकर प्रशासन ने इस बार ज्यादा सख्ती नहीं दिखाई. नगर निगम कमिश्नर बीएस कोसलानी के मुताबिक पूर्व में ही मूर्तिकारों को पीओपी की प्रतिमाएं न बनाने के निर्देश दिए गए थे. हालांकि ऐसी प्रतिमाओं के अलग से विसर्जन की व्यवस्था नहीं की गई है. (bring clay idols of maa durga in pandal)

भोपाल। मां शक्ति का पर्व नवदुर्गा की शुरुआत सोमवार से होने जा रही है. राजधानी में छोटी-बड़ी दुर्गा प्रतिमाओं सहित करीब ढाई हजार प्रतिमाएं शहर में स्थापित की जा रही हैं. उधर तमाम रोक के बाद भी 20 फीसदी से ज्यादा पीओपी की प्रतिमाएं बनकर तैयार हो चुकी हैं. यह सब बिक्री के लिए तैयार हैं. हालांकि इस बार प्रशासन ने इन प्रतिमाओं को लेकर पहले से कोई सख्ती दिखाई और न दिशानिर्देश जारी किए. पर्यावरणविद के मुताबिक प्रशासन को ऐसी पीओपी की प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए अलग से व्यवस्था करनी चाहिए. (bring clay idols of maa durga in pandal)

पीओपी प्रतिमाओं पर रोक नहींः प्लास्टिक ऑफ पेरिस यानी (पीओपी) की प्रतिमाओं के निर्माण पर सालों से रोक है. इसके बाद भी गणेश उत्सव और दुर्गा पूजा में मिट्टी की प्रतिमा के स्थान पर पीओपी की प्रतिमाएं तैयार की जाती हैं. मूर्तिकार सुदेश बनर्जी कहते हैं कि पिछले सालों में धीरे-धीरे कई लोग अब मिट्टी की मूर्तियों की ही डिमांड करते हैं. हालांकि पीओपी के मुकाबले मिट्टी की प्रतिमाएं महंगी होती हैं. पीओपी की प्रतिमाएं जल्द तैयार हो जाती हैं. मजबूत होती हैं और इसमें फिनिशिंग भी अच्छी आती है. जबकि मिट्टी की प्रतिमा बनाने में करीब 2 माह का वक्त लग जाता है. इसके लिए अच्छी क्वालिटी की मिट्टी लगायी जाती है. पीओपी और मिट्टी की प्रतिमाओं की कीमत में 40 फीसदी तक का अंतर होता है. यही वजह है कि पीओपी की मूर्तियों की डिमांड बनी हुई है. (bhopal know the disadvantages of pop idol)

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पानी में नहीं घुलती पीओपी की प्रतिमाएंः पर्यावरणविद् सुभाष पांडे कहते हैं कि पीओपी की प्रतिमाओं को बनाने से रोकने के लिए सालों से प्रयास चल रहे हैं. लेकिन आम लोगों को इसको लेकर सोचना होगा. जिस आस्था के साथ देवी-देवताओं की स्थापना की जाती है. क्या वह आस्था पीओपी की प्रतिमाओं में बनी रह पाती है. ऐसी प्रतिमाएं पानी में विजर्सन के बाद भी गल नहीं पातीं. इसमें उपयोग होने वाला कैमिकल जलीय पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाता है. (bhopal durga puja statue clay not pop)

मिट्टी की प्रतिमा स्थापना का ही विधानः पंडित विष्णु राजौरिया कहते हैं कि पीओपी की प्रतिमाएं स्थापित करने का विधान ही नहीं हैं. हमेशा मिट्टी की प्रतिमाएं ही स्थापित की जानी चाहिए. दुर्गा प्रतिमा पवित्र नदियों की मिट्टी से बनाए जाने का ही विधान है. पीओपी से बनाई गई प्रतिमाएं पानी में घुलती नहीं हैं. बाद में यह ऐसी ही पड़ी रहती हैं, जो ठीक नहीं होता. लोगों को मिट्टी की प्रतिमाएं ही स्थापित करनी चाहिए. ऐसी प्रतिमाएं पानी में डालते ही घुल जाती हैं. (bhopal durga puja Navratri statue)

इस बार सख्ती दिखाने में चूका प्रशासनः पीओपी की प्रतिमाओं को लेकर प्रशासन ने इस बार ज्यादा सख्ती नहीं दिखाई. नगर निगम कमिश्नर बीएस कोसलानी के मुताबिक पूर्व में ही मूर्तिकारों को पीओपी की प्रतिमाएं न बनाने के निर्देश दिए गए थे. हालांकि ऐसी प्रतिमाओं के अलग से विसर्जन की व्यवस्था नहीं की गई है. (bring clay idols of maa durga in pandal)

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