भोपाल। राजधानी भोपाल में आज सीआरपी (कमोडिटी रिसोर्स पर्सन) संघ ने अपनी मागों को लेकर पत्रकार वार्ता कर अपनी बात सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया. मप्र डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के सीआरपी संघ ने मुख्यमंत्री से अपनी महापंचायत बुलाने की मांग की है. संघ ने कहा कि ''मप्र डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में काम करने वालों को सम्पूर्ण पंचायतकर्मी या मिशनकर्मी का दर्जा देकर कलेक्ट्रेट रेट पर कंसल्टेंसी के माध्यम से नियुक्त किया जाये.'' उनका कहना है कि ''यदि उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वह लोग भी आंदोलन करेंगे.''
मांगे पूरी न होने पर आंदोलन करेगा सीआरपी: अपनी मांगों पर जानकारी देते हुए सीआरपी संघ मप्र के अध्यक्ष एस पी प्रजापति और महासचिव रीना पाल ने बताया कि ''डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़े लोगों को सम्पूर्ण प्रदेश में पंचायतकर्मी या मिशनकर्मी का दर्जा देकर कलेक्ट्रेट रेट पर कंसल्टेंसी के माध्यम से नियुक्त करना संघ की पहली मांग है.'' उन्होंने कहा कि ''मप्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन व पंचायत विभाग में किसी भी पद की भर्ती परीक्षा में प्रथम प्राथमिकता अंकों सहित हम सीआरपी कर्मियों को दी जाये.''
सरकार पर नजर अंदाज करने का आरोप: प्रदेश अध्यक्ष एस पी प्रजापति के अनुसार ''हम सभी कर्मचारी 2001 से निरंतर सीआरपी के पद पर रहकर आज दिनांक तक पूरी निष्ठा और ईमानदारी से कार्य कर रहे हैं, जबकि हमारी ओर सरकार का कभी कोई ध्यान नहीं गया है. हम लोग आस लगाए हुए हैं कि कभी न कभी हम लोगों को स्थाई किया जायेगा. किंतु समय अधिक होने के कारण हम लोग ओवरएज हो गये है. अन्य किसी विभाग में आवेदन करने हेतु नहीं बचे हैं, इसलिए प्रदेश के संपूर्ण सीआरपी कर्मचारियों को स्थाई मानदेय दिया जाये.''
आंदोलन के लिए होंगे बाध्य: प्रजापति के अनुसार हम सभी सीआरपी भाई-बहन गांव-गांव में कार्यरत हैं, जो कि शासन की विभिन्न योजनाओं को सफल धरातल पर क्रियान्वयन कराते हैं. इसलिए हमारी मांगों पर शासन को गौर करना चाहिए. सीआरपी संघ के पदाधिकारियों का स्पष्ट कहना है कि, यदि निश्चित समय के अंदर हमारी मांगें नहीं मानी गई तो हम सरकार के विरुद्ध आंदोलन के लिए बाध्य होंगे.
संगठन की प्रमुख मांगें
- सीआरपी म.प्र. डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन भाईयों-बहनों को सम्पूर्ण म.प्र. पंचायतकर्मी या मिशनकर्मी का दर्जा देकर कलेक्ट्रेट रेट पर कंसल्टेंसी के माध्यम से नियुक्त किया जाये. सरकार पर कोई अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा.
- म.प्र. राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन व पंचायत विभाग में किसी भी पद पर कोई भी भर्ती निकलती है तो भर्ती परीक्षा में प्रथम प्राथमिकता अंकों सहित हम सीआरपी भाईयों-बहनों को दी जाये.
- हम सभी भाई-बहन वर्ष 2001 से निरंतर सीआरपी के पद पर रहकर आज दिनांक तक कार्य कर रहे हैं. हमारी ओर सरकार का कभी कोई ध्यान नहीं गया है जो कि हम लोग आशा से लगे हुये है कि कभी न कभी हम लोगों को स्थाई किया जायेगा. समय अधिक होने के कारण हम लोग ओवरएज हो गये हैं. अन्य किसी विभाग में आवेदन करने हेतु नहीं बचे है.
- म.प्र. के संपूर्ण सी.आर.पी. भाई-बहनों को स्थाई मानदेय दिया जाए.
नहीं बनने देंगे भाजपा की सरकार: हम सभी सीआरपी भाई-बहन गांव-गांव में कार्यरत हैं जो कि शासन की विभिन्न योजनाओं को सफल धरातल पर क्रियान्वयन कराते हैं. मप्र के संपूर्ण जिले एवं ब्लाकों में सभाएं होती है, हम सभी सीआरपी भाई-बहनों द्वारा ही माता-बहनों को एकत्रित किया जाता है. आपको जो दिखाया जा रहा है वह हकीकत नहीं है, हकीकत कुछ और है. प्रदेश में समस्त सीआरपी की संख्या 55,000 है जिनके 3,70,000 के लगभग स्वसहायता समूह हैं. जिनमें 52 लाख बहनों का संचालन किया जाता है. इसलिये हमारी ओर ध्यान देने का कष्ट करें. यदि हम लोगों को सरकार के द्वारा स्थाई मानदेय पर नहीं रखा जाता है तो हम लोग किसी भी कीमत पर आपकी सरकार नहीं बनने देंगे और विपक्ष पार्टी का सहारा लेने को मजबूर हो जाएंगे.