भोपाल। मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ने के साथ ही बाघों की टेरिटरी का संकट पैदा हो गया है. सबसे ज्यादा संकट की स्थिति बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पैदा हो गई है. यहां क्षमता से 40 फीसदी तक बाघ ज्यादा हो गए हैं. इसकी वजह से उनमें लगातार टेरिटोरियल फाइट हो रही है. इसे देखते हुए अब वन विभाग बाघों को दूसरे टाइगर रिजर्व में शिफ्ट करने की तैयारी कर रहा है.
वन विभाग के आगे ये चुनौती
मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या 526 है. इनमें सबसे ज्यादा बाघ बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हैं. यहां बाघों की संख्या 125 है. इसके अलावा पन्ना टाइगर रिजर्व में 31, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में 47, पेंच में 87 और कान्हा टाइगर रिजर्व में 104 बाघ हैं. इनमें सबसे ज्यादा बाघ बांधवगढ़ में हैं. बांधवगढ़ में 125 बाघों के अलावा करीबन 50 शावक भी हैं. हालांकि शावकों की गिनती नहीं की जाती, लेकिन यह शावक अगले 2 सालों में व्यस्क हो जाएंगे. बांधवगढ़ में कुल क्षेत्रफल 1530 स्क्वायर मीटर का है. एक बाघ को अपनी टेरिटरी बनाने में करीब 20 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल की जरूरत होती है, ताकि उन्हें पर्याप्त शिकार मिलता रहे. इस लिहाज से बांधवगढ़ में 35 से ज्यादा बाघ हो गए हैं.
ये भी पढ़ें: साथी की मौत पर गुस्साए हाथी ने ग्रामीणों को कुचला, करंट लगने से बिछड़े साथी की हुई थी मौत
तीन टाइगर रिजर्व में शिफ्ट होंगे टाइगर
वन मंत्री विजय शाह (Forest Minister Vijay Shah) के मुताबिक ज्यादा संख्या में बाघ हो जाने की वजह से ही बाघों में लगातार संघर्ष हो रहा है. जिस वजह से कमजोर बाघों की मौत हो जाती है. इसे देखते हुए बाघों को बांधवगढ़ से दूसरी टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया जाएगा. इन्हें गांधी सागर, नौरादेही, संजय गांधी टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किए जाने की तैयारी है.
वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट बोले हवा-हवाई दावे
वन मंत्री के दावों को लेकर वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट ने कड़ा ऐतराज जताया है. वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट अजय दुबे के मुताबिक बाघों के मामले में कोई भी निर्णय एनटीसीए की मंजूरी के बिना नहीं हो सकता. वन विभाग अपनी नाकामी छुपाने के लिए हवा-हवाई दावे करता रहता है. जबकि हकीकत यह है कि वन विभाग ने बाघों की शूटिंग के लिए अभी तक एनटीसीए को कोई प्रस्ताव ही नहीं भेजा है.
ये भी पढ़ें: पेंच टाइगर रिजर्व में दिखा काले रंग का तेंदुआ, एक झलक पाने के लिए पहुंच रहे पर्यटक
बाघों की शिफ्टिंग करना सबसे आसान
उधर, वन विभाग के रिटायर्ड अधिकारी सुरेश बाघमारे के मुताबिक बाघों को शिफ्ट करना दूसरे छोटे जानवरों की अपेक्षा सबसे आसान होता है. चीतल, बारहसिंघा, सांभर को शिफ्ट करना मुश्किल होता है. इनमें ट्रामा की संभावना ज्यादा होती है. इनके मुकाबले बाघों की शिफ्टिंग ज्यादा आसान होती है.
हालांकि इनकी शिफ्टिंग के दौरान ट्रांसपोर्टेशन में ज्यादा वक्त ना लगे तो यह ज्यादा बेहतर होता है. वैसे रोड से शिफ्टिंग के स्थान पर इन्हें एयर लिफ्ट किया जाए तो इनके जीवित रहने की संभावना काफी ज्यादा रहती है. हालांकि बाघों से जुड़े किसी भी मुद्दे पर निर्णय बिना एनटीसीए की अनुमति के नहीं लिया जा सकता.