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इंदिरा गांधी के मुरीद थे बाबूलाल गौर, पार्टी से अधिक सिद्धांत-विचारधारा को देते थे तवज्जोः कांग्रेस

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल गौर दलगत विचारधारा से हटकर पक्ष-विपक्ष के नेताओं से आत्मीय संबंध रखने वाले व्यक्ति माने जाते थे, जोकि इंदिरा गांधी के भी मुरीद थे. उनका जाना राजनीति में बड़ी क्षति है.

इंदिरा गांधी के मुरीद थे बाबूलाल गौर
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Published : Aug 21, 2019, 7:53 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल गौर के निधन के बाद पक्ष के अलावा विपक्ष के नेताओं ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनके व्यक्तित्व को याद किया. प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा बताते हैं कि बाबूलाल गौर जैसे व्यक्तित्व का जाना भारतीय राजनीति के लिए बेहद दुखद है, गौर पार्टी नहीं, बल्कि सिद्धांतों और विचारधाराओं को तवज्जो देते थे. एक समय बाबूलाल गौर इंदिरा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने गये थे, जो उनकी अलग सोच को प्रदर्शित करता है.

इंदिरा गांधी के मुरीद थे बाबूलाल गौर

देश पर सर्वस्व समर्पण करने वाले गौर का सम्मान होना चाहिए, ऐसे व्यक्तित्व और सोच के धनी का आज के समय में जाना देश और प्रदेश के लिए बड़ी क्षति है. बाबू लाल गौर दलगत विचारधारा से हटकर पक्ष-विपक्ष के नेताओं से आत्मीय संबंध रखने वाले व इंदिरा गांधी के मुरीद थे.

गौर इंदिरा गांधी की जयंती और पुण्यतिथि पर होने वाले कार्यक्रमों में शामिल होते थे, जबकि प्रियंका गांधी के राजनीति में आने की पैरवी भी इसीलिए करते दिखे क्योंकि उनका मानना था कि प्रियंका गांधी में इंदिरा गांधी की छवि नजर आती है.

भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल गौर के निधन के बाद पक्ष के अलावा विपक्ष के नेताओं ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनके व्यक्तित्व को याद किया. प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा बताते हैं कि बाबूलाल गौर जैसे व्यक्तित्व का जाना भारतीय राजनीति के लिए बेहद दुखद है, गौर पार्टी नहीं, बल्कि सिद्धांतों और विचारधाराओं को तवज्जो देते थे. एक समय बाबूलाल गौर इंदिरा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने गये थे, जो उनकी अलग सोच को प्रदर्शित करता है.

इंदिरा गांधी के मुरीद थे बाबूलाल गौर

देश पर सर्वस्व समर्पण करने वाले गौर का सम्मान होना चाहिए, ऐसे व्यक्तित्व और सोच के धनी का आज के समय में जाना देश और प्रदेश के लिए बड़ी क्षति है. बाबू लाल गौर दलगत विचारधारा से हटकर पक्ष-विपक्ष के नेताओं से आत्मीय संबंध रखने वाले व इंदिरा गांधी के मुरीद थे.

गौर इंदिरा गांधी की जयंती और पुण्यतिथि पर होने वाले कार्यक्रमों में शामिल होते थे, जबकि प्रियंका गांधी के राजनीति में आने की पैरवी भी इसीलिए करते दिखे क्योंकि उनका मानना था कि प्रियंका गांधी में इंदिरा गांधी की छवि नजर आती है.

Intro:भोपाल।दलगत विचारधारा से हटकर पक्ष विपक्ष के नेताओं से आत्मीय संबंध रखने वाले बाबू लाल गौर पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के मुरीद थे। बाबूलाल गौर इंदिरा गांधी की जयंती और पुण्यतिथि पर होने वाले कार्यक्रमों में सम्मिलित होते थे। एक बार तो कांग्रेस कार्यालय के बाहर लगी प्रतिमा पर माल्यार्पण करने बाबूलाल गौर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के पहले ही पहुंच गए और कांग्रेसी जब तय कार्यक्रम के अनुसार पहुंचे,तो गौर साहब के आने की जानकारी मिली। बाबूलाल गौर प्रियंका गांधी की राजनीति में आने की पैरवी भी इसीलिए करते थे।क्योंकि उनका मानना था कि प्रियंका गांधी में इंदिरा गांधी की छवि नजर आती है।


Body:अपनी ही पार्टी और सरकार के कामकाज पर सवाल खड़े करना, दलगत विचारधारा से हटकर विपक्षी नेताओं से आत्मीय संबंध रखना और विपक्ष के महापुरुषों को भी उतना सम्मान देना, जितना सम्मान अपनी पार्टी के महापुरुषों को देते थे। बाबूलाल गौर के व्यक्तित्व की ये विशेषताएं थी। एक बार तो स्थिति यह बनी बाबूलाल गौर इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर मध्य प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के बाहर स्थापित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण करने कांग्रेस पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के पहले ही पहुंच गए। कुछ देर बाद जब कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को उनके पहुंचने की सूचना मिली, तो कांग्रेसी कार्यकर्ता जब कार्यालय पहुंचे। तब तक बाबूलाल गौर उनको माल्यार्पण कर निकल चुके थे। बाबूलाल गौर मौजूदा राजनीति को लेकर भी बेबाक टिप्पणी करते थे। बाबूलाल को और प्रियंका गांधी की राजनीति में आने की इसलिए पैरवी करते थे। क्योंकि उनको प्रियंका गांधी में इंदिरा गांधी का अक्स नजर आता था।


Conclusion:मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा बताते हैं कि बाबूलाल गौर जैसे व्यक्तित्व का आज जाना भारतीय राजनीति के लिए दुखद दिन है।बाबूलाल गौर जैसे व्यक्तित्व में हमेशा पक्ष और विपक्ष ना देखते हुए पार्टियों का भेद ना देखते हुए हर पार्टी के सिद्धांतों और विचारधारा का सम्मान किया। हर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का सम्मान किया। मैंने अनुभव किया कि एक समय बाबूलाल गौर इंदिरा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने आते थे और उनकी सोच कि जो सम्मान योग्य हैं कि जिन्होंने देश पर सर्वस्व समर्पण किया है। उनका सम्मान होना चाहिए ऐसे व्यक्तित्व और सोच के धनी का आज के समय में जाना देश और प्रदेश के लिए हितकर नहीं हैं।

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