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International Literature Festival: अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव उन्मेष का हुआ शानदार समापन, आखिरी दिन हुए 23 कार्यक्रम - unmesh concludes on grand note

एशिया के सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव उन्मेष का शानदार समापन हुआ, इस दौरान अंतिम दिन 23 कार्यक्रमों में 160 साहित्यकारों ने भाग लिया.

International Literature Festival
अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव उन्मेष
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Published : Aug 6, 2023, 10:25 PM IST

भोपाल। साहित्य को जन-जन तक पहुंचाने, साहित्य सृजन और संरक्षण करने की प्रतिज्ञा के साथ एशिया के सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव उन्मेष का शानदार समापन हुआ. कार्यक्रम के अंतिम दिन कई साहित्यकारों ने अपनी साहित्यिक रचनाओं का पाठ भी किया और जीवन दर्शन के महत्व को भी बताया. आजादी के अमृत महोत्सव के अंतिम दिन आदिवासी कवि सम्मिलन के साथ भारत की संस्कृत विरासत, नारीवाद और साहित्य, साहित्य के मूल्य, भारत के महाकाव्य, भारत की सौम्य शक्ति, स्वतंत्रता आंदोलन में पुस्तकों की भूमिका और भारतीय भाषाओं में प्रकाशन पर विचार विमर्श हुआ.

Asia biggest international literature festival
अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव उन्मेष का शानदार समापन

इस दौरान विश्वास पाटिल, के. शिवा रेड्डी, एस एल भैरप्पा, सुरजीत पातर, वसंत निरगुने, प्रयाग शुक्ल, नमिता गोखले, आलोक भल्ला रमेश आर्य, मदन मोहन सोरेन और महादेव टोप्पो आदि ने अपने विचार रखें.

International Literature Festival
अंतिम दिन 23 कार्यक्रमों में 160 साहित्यकारों ने लिया भाग

स्त्रियों के लिए समान दृष्टिकोण जरूरी: प्रख्यात लेखिका और प्रकाशक नमिता गोखले ने कहा कि "सही मायने में नारीवाद का मतलब सभी के लिए समान दृष्टि होना है." नारीवाद और साहित्य विषय पर महत्वपूर्ण सत्र की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने बताया कि "प्राचीन काल से महिलाओं द्वारा लिखे साहित्य की चर्चा करते हुए कहा कि लेखन की परंपरा आज भी जारी है." वक्ता सी मृणालिनी ने नारी साहित्य की उपयोगिता को रेखांकित करते हुए कहा कि "इस साहित्य ने नारी स्वतंत्रता के नए द्वार खोले हैं."

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इसके साथ ही लीना चंदोरकर ने कहा कि "जिस दिन नारी अपने जीवन से जुड़े महत्त्वपूर्ण निर्णय स्वयं ले सकेगी, वह तभी आजाद होगी. इसके अलावा प्रीति शिनॉय ने महिलाओं के लिए समान वेतन और आर्थिक समानता पर बल दिया. सोनोर झा ने कहा कि "आर्थिक समानता की शुरुआत हमें अपने घरों से ही करनी होगी."

international literature festival unmesh
एशिया के सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव

भोपाल। साहित्य को जन-जन तक पहुंचाने, साहित्य सृजन और संरक्षण करने की प्रतिज्ञा के साथ एशिया के सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव उन्मेष का शानदार समापन हुआ. कार्यक्रम के अंतिम दिन कई साहित्यकारों ने अपनी साहित्यिक रचनाओं का पाठ भी किया और जीवन दर्शन के महत्व को भी बताया. आजादी के अमृत महोत्सव के अंतिम दिन आदिवासी कवि सम्मिलन के साथ भारत की संस्कृत विरासत, नारीवाद और साहित्य, साहित्य के मूल्य, भारत के महाकाव्य, भारत की सौम्य शक्ति, स्वतंत्रता आंदोलन में पुस्तकों की भूमिका और भारतीय भाषाओं में प्रकाशन पर विचार विमर्श हुआ.

Asia biggest international literature festival
अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव उन्मेष का शानदार समापन

इस दौरान विश्वास पाटिल, के. शिवा रेड्डी, एस एल भैरप्पा, सुरजीत पातर, वसंत निरगुने, प्रयाग शुक्ल, नमिता गोखले, आलोक भल्ला रमेश आर्य, मदन मोहन सोरेन और महादेव टोप्पो आदि ने अपने विचार रखें.

International Literature Festival
अंतिम दिन 23 कार्यक्रमों में 160 साहित्यकारों ने लिया भाग

स्त्रियों के लिए समान दृष्टिकोण जरूरी: प्रख्यात लेखिका और प्रकाशक नमिता गोखले ने कहा कि "सही मायने में नारीवाद का मतलब सभी के लिए समान दृष्टि होना है." नारीवाद और साहित्य विषय पर महत्वपूर्ण सत्र की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने बताया कि "प्राचीन काल से महिलाओं द्वारा लिखे साहित्य की चर्चा करते हुए कहा कि लेखन की परंपरा आज भी जारी है." वक्ता सी मृणालिनी ने नारी साहित्य की उपयोगिता को रेखांकित करते हुए कहा कि "इस साहित्य ने नारी स्वतंत्रता के नए द्वार खोले हैं."

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इसके साथ ही लीना चंदोरकर ने कहा कि "जिस दिन नारी अपने जीवन से जुड़े महत्त्वपूर्ण निर्णय स्वयं ले सकेगी, वह तभी आजाद होगी. इसके अलावा प्रीति शिनॉय ने महिलाओं के लिए समान वेतन और आर्थिक समानता पर बल दिया. सोनोर झा ने कहा कि "आर्थिक समानता की शुरुआत हमें अपने घरों से ही करनी होगी."

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एशिया के सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव
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