भोपाल। सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए मध्य प्रदेश की आशा उषा कार्यकर्ता पिछले 35 दिनों से हड़ताल पर थी, मानदेय सहित अन्य मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बना रही थी. इसको लेकर इन्होंने पैदल मार्च भी निकाला और अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन भी किया.
आशा उषा कार्यकर्ता के एक धड़े ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलकर अपनी हड़ताल वापस ले ली थी, तो दूसरा धड़ा मैदान में था. दूसरे संगठन ने आज एनएचएम के अधिकारियों को अपना पत्र देकर हड़ताल वापस ले ली है. पत्र में कहा गया है कि सरकार की ओर से इनकी समस्या के निराकरण के लिए एक समय समिति का गठन किया गया है, जिसकी अध्यक्षता एनएचएम के डायरेक्टर पंकज शुक्ला करेंगे, ऐसे में यह सभी आशा उषा कार्यकर्ता मांगों के समाधान को लेकर वापस काम पर लौट रहीं हैं.
5 सदस्य कमेटी करेगी मांगों पर निराकरण आशा आशा कार्यकर्ताओं की मुख्य मांगों में उनका मानदेय है, आषा उशा कार्यकर्ता अपने मानदेय को लेकर ही सबसे ज्यादा सरकार को घेर रही हैं, इसके समाधान के लिए एनएचएम ने 15 सदस्यीय कमेटी बनाई है, जो आशा उषा कार्यकर्ताओं की फाइनेंस संबंधी समस्याओं को जानकर उसका निराकरण करेंगी, इसकी अध्यक्षता एनएचएम के डायरेक्टर पंकज शुक्ला करेंगे.
जूनियर डॉक्टर्स और नर्सों के बाद आशा कार्यकर्ताओं की बेमियादी हड़ताल, कहा-सरकार नहीं दे रही ध्यान
आशा उशा कार्यकर्ता का कहना है कि इनको जो मानदेय मिलता है, वह अन्य राज्यों के मुकाबले बेहद ही कम है, अभी इन्हें ₹2000 महीना मिलता है, जिस हिसाब से ₹60 प्रतिदिन के हिसाब से इनका वेतन बन पाता है, ऐसे में उनका कहना है कि एक ओर जहां कोरोना का काल चल रहा है, उसमें भी सैनिटाइजर और मास्क की खरीदी में ही यह पैसा चला जाता है, ऐसे में परिवार के लिए क्या बचा पाएंगे.
मध्यप्रदेश में 80 हजार आशा कार्यकर्ता
मध्य प्रदेश में अभी 80 हजार के करीब आशा उषा कार्यकर्ता हैं, जो सरकार की स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं को ग्रामीण अंचलों तक पहुंचाने में सहयोग करती हैं, यह तमाम टीकाकरण से लेकर अन्य कार्यों में भी जुटी रहती हैं, ग्रामीण स्तर पर सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन करती हैं.