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धर्म परिवर्तन के लिए 60 दिन पहले देना होगा आवेदन

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Published : Dec 27, 2020, 5:50 PM IST

धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2020 को मंजूरी मिलने के बाद इसे विधानसभा में पेश करने की तैयारी की जा रही है. राज्य सरकार ने कानून को सख्त बनाते कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं.

File photo
फाइल फोटो

भोपाल। शनिवार को शिवराज कैबिनेट की बैठक में लव जिहाद को रोकने के लिए बने धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2020 को मंजूरी दे दी गई है. अब इस विधेयक को विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा. राज्य सरकार ने कानून को सख्त बनाते हुए इसमें कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं. अब किसी भी व्यक्ति को धर्म परिवर्तन कराने के लिए 30 दिन के स्थान पर 60 दिन पहले जिला दंडाधिकारी को इसका आवेदन सौंपना होगा. इसमें प्रावधान किया गया है कि बहला-फुसलाकर या जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कराकर कराई गई शादी शून्य होने के साथ ही धर्म परिवर्तन भी स्वता ही शून्य माना जाएगा.

Madhya Pradesh Legislative Assembly
मध्यप्रदेश विधानसभा
कैबिनेट द्वारा मंजूर किए गए मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 2020 में कई प्रावधान किए गए हैं
  • अब स्वेच्छा से भी यदि कोई धर्म परिवर्तन कर आना चाहता है तो यह कार्य कराने वाले धार्मिक व्यक्ति को 30 दिन के स्थान पर 60 दिन पहले जिला दंडाधिकारी को सूचना देनी होगी.
  • ऐसा नहीं करने पर कम से कम 3 साल और अधिकतम 5 साल की सजा होगी. 50 हजार के जुर्माने का भी प्रावधान किया जाएगा.
  • शादी को शून्य मानने के साथ ही धर्म परिवर्तन भी स्वता ही शून्य हो जाएगा.
  • अपना धर्म छिपाकर धर्म परिवर्तन किए जाने पर 3 से 10 साल सजा और 50 हजार का जुर्माना लगेगा.
  • नाबालिग अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के धर्म परिवर्तन पर 2 से 10 साल तक की सजा.
  • सामूहिक धर्म परिवर्तन पर 5 से 10 साल की सजा 1 लाख का जुर्माना.
  • प्रलोभन, धमकी, बल प्रयोग, प्रताड़ना या कपट पूर्ण तरीके से धर्म परिवर्तन कर आना प्रतिबंधित होगा. ऐसा करने पर 1 साल से 5 साल तक की सजा का प्रावधान.
  • एक से अधिक बार अपराध करने वाले को 5 से 10 साल की सजा.अपराध गैर जमानती होगा. मामले की सत्र न्यायालय की सुनवाई कर सकेगा.
  • निर्दोष साबित करने की बाध्यता अभियुक्त पर होगी. शादी को शून्य करने का निर्णय फैमिली कोर्ट करेगी.
  • धर्म परिवर्तन में लगी संस्थाओं और संगठनों का पंजीयन भी निरस्त हो सकेगा.
  • पीड़ित महिला एवं पैदा हुए बच्चे को भरण पोषण का अधिकार और बच्चे को पिता की संपत्ति में उत्तराधिकारी के रूप में अधिकार बरकरार रखे जाने का प्रावधान भी किया गया है.
  • मतांतरण के मामले में व्यक्ति के माता-पिता या भाई-बहन को पुलिस थाने में शिकायत करना जरूरी होगा.
  • मामले की जांच उपनिरीक्षक स्तर से नीचे का अधिकारी नहीं कर सकेगा.

इन राज्यों में भी सख्ती
उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड पहले ही धर्मांतरण को लेकर कानून बना चुके हैं.

  • उत्तर प्रदेश में 28 नवंबर को उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 लागू हुआ था. इसके बाद प्रदेश में करीब 12 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं.
  • हिमाचल प्रदेश में धर्मांतरण कानून अधिसूचित है. जबरन आंचल से मतांतरण कराने वालों को 7 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है.
  • उत्तराखंड में जानबूझकर विवाह या गुप्त एजेंडे के जरिए मतान्तरण के खिलाफ राज्य में कानून 2018 से मौजूद है.
  • वहीं हरियाणा और कर्नाटक में भी लव जिहाद को लेकर कानून बनाने की तैयारी की जा रही है.


भोपाल। शनिवार को शिवराज कैबिनेट की बैठक में लव जिहाद को रोकने के लिए बने धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2020 को मंजूरी दे दी गई है. अब इस विधेयक को विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा. राज्य सरकार ने कानून को सख्त बनाते हुए इसमें कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं. अब किसी भी व्यक्ति को धर्म परिवर्तन कराने के लिए 30 दिन के स्थान पर 60 दिन पहले जिला दंडाधिकारी को इसका आवेदन सौंपना होगा. इसमें प्रावधान किया गया है कि बहला-फुसलाकर या जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कराकर कराई गई शादी शून्य होने के साथ ही धर्म परिवर्तन भी स्वता ही शून्य माना जाएगा.

Madhya Pradesh Legislative Assembly
मध्यप्रदेश विधानसभा
कैबिनेट द्वारा मंजूर किए गए मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 2020 में कई प्रावधान किए गए हैं
  • अब स्वेच्छा से भी यदि कोई धर्म परिवर्तन कर आना चाहता है तो यह कार्य कराने वाले धार्मिक व्यक्ति को 30 दिन के स्थान पर 60 दिन पहले जिला दंडाधिकारी को सूचना देनी होगी.
  • ऐसा नहीं करने पर कम से कम 3 साल और अधिकतम 5 साल की सजा होगी. 50 हजार के जुर्माने का भी प्रावधान किया जाएगा.
  • शादी को शून्य मानने के साथ ही धर्म परिवर्तन भी स्वता ही शून्य हो जाएगा.
  • अपना धर्म छिपाकर धर्म परिवर्तन किए जाने पर 3 से 10 साल सजा और 50 हजार का जुर्माना लगेगा.
  • नाबालिग अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के धर्म परिवर्तन पर 2 से 10 साल तक की सजा.
  • सामूहिक धर्म परिवर्तन पर 5 से 10 साल की सजा 1 लाख का जुर्माना.
  • प्रलोभन, धमकी, बल प्रयोग, प्रताड़ना या कपट पूर्ण तरीके से धर्म परिवर्तन कर आना प्रतिबंधित होगा. ऐसा करने पर 1 साल से 5 साल तक की सजा का प्रावधान.
  • एक से अधिक बार अपराध करने वाले को 5 से 10 साल की सजा.अपराध गैर जमानती होगा. मामले की सत्र न्यायालय की सुनवाई कर सकेगा.
  • निर्दोष साबित करने की बाध्यता अभियुक्त पर होगी. शादी को शून्य करने का निर्णय फैमिली कोर्ट करेगी.
  • धर्म परिवर्तन में लगी संस्थाओं और संगठनों का पंजीयन भी निरस्त हो सकेगा.
  • पीड़ित महिला एवं पैदा हुए बच्चे को भरण पोषण का अधिकार और बच्चे को पिता की संपत्ति में उत्तराधिकारी के रूप में अधिकार बरकरार रखे जाने का प्रावधान भी किया गया है.
  • मतांतरण के मामले में व्यक्ति के माता-पिता या भाई-बहन को पुलिस थाने में शिकायत करना जरूरी होगा.
  • मामले की जांच उपनिरीक्षक स्तर से नीचे का अधिकारी नहीं कर सकेगा.

इन राज्यों में भी सख्ती
उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड पहले ही धर्मांतरण को लेकर कानून बना चुके हैं.

  • उत्तर प्रदेश में 28 नवंबर को उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 लागू हुआ था. इसके बाद प्रदेश में करीब 12 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं.
  • हिमाचल प्रदेश में धर्मांतरण कानून अधिसूचित है. जबरन आंचल से मतांतरण कराने वालों को 7 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है.
  • उत्तराखंड में जानबूझकर विवाह या गुप्त एजेंडे के जरिए मतान्तरण के खिलाफ राज्य में कानून 2018 से मौजूद है.
  • वहीं हरियाणा और कर्नाटक में भी लव जिहाद को लेकर कानून बनाने की तैयारी की जा रही है.


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