भोपाल। श्रद्धा और आफताब को दो लोगों का निजी मामला मानकर छोड़ा नहीं जा सकता. इस घटना ने बताया है कि समाज में अमानवीयता का स्तर कहां पहुंचा है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखा राष्ट्रीय मुस्लिम मंच की महिला विंग ने भारतीय समाज की रीढ़ परिवार और समाज की खोई संवेदना लौटाने के लिए पूरे देश में मुहिम छेड़ने का फैसला कर लिया है. इस मुहिम में संगठन और समाज के बीच सेतु की तरह काम कर रहे हैं धर्मगुरु. जो समाज के बीच जाकर परिवारो के खोए संस्कार और इंसानियत का पाठ पढ़ा रहे हैं.
बेटियों को पढ़ाएं, बेटों को इंसान बनाएं : मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की महिला विंग इस एक मंत्र पर काम कर रही है कि परिवारों में बेटियों को पढ़ा- लिखाकर आत्मनिर्भर बनाने के साथ इस काबिल बनाया जा सके कि वह सही गलत का फैसला ले सकें. और लड़कों को दिया जाए ये संस्कार कि वे वहशी ना बनने पाएं. इसके लिए बाकायदा परिवारों और अलग-अलग समाज में प्रभाव रखने वाले धर्मगुरुओं का भी मंच की मुस्लिम विंग सहारा लेगी. ये विंग समाज के बीच जाकर कार्यक्रम आयोजित कर रही है. अलग अलग इलाकों में होने जा रहे ऐसे आयोजनो में धर्म गुरु संदेश देते हैं कि परिवार में बेटियों का शिक्षित होना क्यों जरूरी और संस्कार की शिक्षा बेटों के लिए भी कितनी आवश्यक है.
दुष्कर्म और हत्या पर कठोरतम सजा का प्रावधान हो : मंच के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शाहिद सईद ने बताया कि ऐसे आयोजनों के अलावा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने प्रेम प्रसंगों में दुष्कर्म, घरेलू हिंसा, महिलाओं के खिलाफ संगीन अपराध पर चिंता जताई है. साथ ही मंच ने मांग की है कि दुष्कर्म और हत्या के लिए कठोरतम सजा का प्रावधान होना चाहिए. बेटियों की इज्जत, सम्मान व संस्कार का पाठ परिवार और समाज को सही ढंग से पढ़ाया जाए. इसे लेकर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की महिला विंग देश में चौतरफा आंदोलन चला रही है. दिल्ली उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार में राष्ट्रीय संयोजिका शालिनी अली और शहनाज अफजल के नेतृत्व में टीम जनजागरण अभियान छेड़े हुए है.
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धर्म गुरुओं के साथ डायलॉग प्रोसेस : मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की महिला इकाई देशभर में जो जागरूकता अभियान चला रही है उसके जरिए अलग- अलग समुदायों, वर्गों, जातियों, छात्र-छात्राओं, बुद्धिजीवियों एवं धर्म गुरुओं के साथ डायलॉग प्रोसेस किया जा रहा है. महिला विंग स्कूल कॉलेज धार्मिक स्थलों सामुदायिक केन्द्रों में बैठक करते हैं. जहां समाज के साथ धर्म गुरुओं को भी आमंत्रित किया जाता है. इन आयोजनों में खासतौर पर ये संदेश दिया जाता है कि मज़हब कोई हो, स्त्री का सम्मान हर धर्म में ज़रूरी बताया गया है.