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नाव हादसे के बाद प्रशासन हुआ सतर्क, विसर्जन के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

सर्जन के दौरान नाव डूबने की घटना के बाद प्रशासन ने दूसरे दिन हो रहे विसर्जन के समय सुरक्षा के कई इंतजाम किये. जिससे किसी प्रकार की अनहोनी ना हो सके.

नाव हादसे के बाद प्रशासन हुआ सतर्क
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Published : Sep 14, 2019, 9:34 AM IST

भोपाल | राजधानी में गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के दौरान हुई घटना के बाद प्रशासन ने दूसरे दिन हो रहे विसर्जन के समय सुरक्षा के इंतजाम के साथ सावधानी बरती है. सभी विसर्जन घाटों पर चाक-चौबंद व्यवस्था दिखाई दे रही थी. इस दौरान सभी विसर्जन घाटों पर प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस अधिकारी कई सामाजिक संगठन के लोग विसर्जन के दौरान सतर्कता के साथ काम करते हुए नजर आए. सरकार ने सख्त निर्णय लेते हुए खटलापुरा घाट पर हुई घटना में लापरवाही बरतने पर कई शासकीय कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है.

नाव हादसे के बाद प्रशासन हुआ सतर्क

विसर्जन घाटों पर छोटी मूर्तियों के लिए वहां तैनात कर्मचारियों के द्वारा ही विसर्जन किया जा रहा था, साथ ही बड़ी मूर्तियों के लिए भी क्रेन की व्यवस्था की गई थी. विसर्जन के लिये केवल 5 लोगों को ही जाने की अनुमति थी. वहीं सुरक्षा को लेकर 3 से 4 बोट भी घाटों पर तैनात की गई थी. सभी वरिष्ठ अधिकारी आने वाली भीड़ पर नजर बनाए हुए थे साथ ही लाउड स्पीकर के माध्यम से भी लोगों को नियंत्रित किया जा रहा था सुरक्षा की दृष्टि से सभी घाटों पर तीन-तीन बैरिकेड भी लगाए गए थे.

घटना के बाद हुए विसर्जन में वह उत्साह देखने को नहीं मिला जो अक्सर श्रद्धालुओं में रहता है इस बार विसर्जन के दौरान ना ही ढोल बजते नजर आ रहे थे और ना डीजे क्योंकि जिस प्रकार की घटना राजधानी में घटी है उससे कहीं ना कहीं लोगों में भी मायूसी है.

भोपाल | राजधानी में गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के दौरान हुई घटना के बाद प्रशासन ने दूसरे दिन हो रहे विसर्जन के समय सुरक्षा के इंतजाम के साथ सावधानी बरती है. सभी विसर्जन घाटों पर चाक-चौबंद व्यवस्था दिखाई दे रही थी. इस दौरान सभी विसर्जन घाटों पर प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस अधिकारी कई सामाजिक संगठन के लोग विसर्जन के दौरान सतर्कता के साथ काम करते हुए नजर आए. सरकार ने सख्त निर्णय लेते हुए खटलापुरा घाट पर हुई घटना में लापरवाही बरतने पर कई शासकीय कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है.

नाव हादसे के बाद प्रशासन हुआ सतर्क

विसर्जन घाटों पर छोटी मूर्तियों के लिए वहां तैनात कर्मचारियों के द्वारा ही विसर्जन किया जा रहा था, साथ ही बड़ी मूर्तियों के लिए भी क्रेन की व्यवस्था की गई थी. विसर्जन के लिये केवल 5 लोगों को ही जाने की अनुमति थी. वहीं सुरक्षा को लेकर 3 से 4 बोट भी घाटों पर तैनात की गई थी. सभी वरिष्ठ अधिकारी आने वाली भीड़ पर नजर बनाए हुए थे साथ ही लाउड स्पीकर के माध्यम से भी लोगों को नियंत्रित किया जा रहा था सुरक्षा की दृष्टि से सभी घाटों पर तीन-तीन बैरिकेड भी लगाए गए थे.

घटना के बाद हुए विसर्जन में वह उत्साह देखने को नहीं मिला जो अक्सर श्रद्धालुओं में रहता है इस बार विसर्जन के दौरान ना ही ढोल बजते नजर आ रहे थे और ना डीजे क्योंकि जिस प्रकार की घटना राजधानी में घटी है उससे कहीं ना कहीं लोगों में भी मायूसी है.

Intro: दूसरे दिन भी हुआ गणपति का विसर्जन सुरक्षा के रहे विशेष इंतजाम लोगों में नहीं दिखा उत्साह


भोपाल | राजधानी के खटला पूरा घाट पर हुए हादसे के बाद प्रशासनिक कसावट दिखाई देने लगी है राजधानी में गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन दूसरे दिन भी देर रात तक जारी रहा इस बार दो तिथियां होने की वजह से 2 दिन तक गणपति की प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया है राजधानी के सभी विसर्जन घाटों पर चाक-चौबंद व्यवस्था दिखाई दे रही थी जिस तरह से सरकार ने सख्त निर्णय लेते हुए खटला पूरा घाट पर हुई घटना में लापरवाही बरतने पर कई शासकीय कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है उसके बाद प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारी कोई कोताही बरतना नहीं चाहते हैंBody: राजधानी में शुक्रवार देर रात तक कई विसर्जन घाटों पर बड़ी और छोटी प्रतिमाओं का भक्तों के द्वारा विसर्जन किया गया इस दौरान सभी विसर्जन घाटों पर प्रशासनिक अधिकारी पुलिस अधिकारी कई सामाजिक संगठन के लोग विसर्जन के दौरान सतर्कता के साथ काम करते हुए नजर आए हर विसर्जन घाट पर गोताखोरों की तैनाती की गई थी तो वही सुरक्षा की दृष्टि से 3 से 4 वोट भी इस दौरान विसर्जन घाटों पर तैनात की गई थी सभी वरिष्ठ अधिकारी आने वाली भीड़ पर नजर बनाए हुए थे साथ ही लाउडस्पीकर के माध्यम से भी लोगों को नियंत्रित किया जा रहा था सुरक्षा की दृष्टि से सभी घाटों पर तीन-तीन बैरिकेड भी लगाए गए थेConclusion:विसर्जन घाटों पर छोटी मूर्तियों के लिए वहां तैनात कर्मचारियों के द्वारा ही विसर्जन किया जा रहा था साथ ही बड़ी मूर्तियों के लिए भी क्रेन की व्यवस्था की गई थी लेकिन इस बार केवल 5 लोगों को ही जाने की अनुमति दी जा रही थी इससे ज्यादा लोगों को बाहर ही रोका जा रहा था हालांकि शुक्रवार को हुए गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन में वह उत्साह देखने को नहीं मिला जो अक्सर श्रद्धालुओं में रहता है इस बार विसर्जन के दौरान नाही ढोल बजते नजर आ रहे थे और ना ही कहीं डीजे बजाया जा रहा था क्योंकि जिस प्रकार की घटना राजधानी में घटी है उससे कहीं ना कहीं लोगों में भी मायूसी है यही वजह है कि लोगों में कुछ खास उत्साह नहीं दिखाई दिया .


राजधानी के बैरागढ़ स्थित विसर्जन घाट पर भी सुरक्षा की हर व्यवस्था की गई थी ज्यादा लोगों को पानी के करीब नहीं आने दिया जा रहा था यहां तैनात कर्मचारी लोगों को विसर्जन करने में मदद भी कर रहे थे हालांकि बड़ा सवाल अभी यहीं है कि यदि प्रशासन इस तरह की व्यवस्था पहले कर लेता तो शायद 11 लोगों की जान बचाई जा सकती थी .
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