भोपाल। मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से अब-तक 45 हजार 135 ग्रामों में तीन लाख 36 हजार 521 स्व-सहायता समूहों का गठन किया गया है. इन समूहों से 38 लाख 31 हजार परिवारों को जोड़ा जा चुका है. प्रदेश में साल 2012 से ग्रामीण गरीब परिवारों की महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक सशक्तीकरण के लिए स्व-सहायता समूह बनाकर उनके संस्थागत विकास तथा आजीविका के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं. अब-तक 45 हजार 135 गांवों में 3 लाख 36 हजार 521 स्व-सहायता समूहों का गठन कर इनसे 38 लाख 31 हजार परिवारों को जोड़ा जा चुका है.
कई माध्यमों से की जा रही है समूहों की वित्तीय सहायता
समूहों को मिशन के माध्यम से चक्रीय निधि, सामुदायिक निवेश निधि, आपदा कोष तथा बैंक लिंकेज के रूप में वित्तीय सहयोग किया जा रहा है. इस राशि से उनकी छोटी-बड़ी आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाती है, जिससे वे साहूकारों के कर्जजाल से बच जाते हैं. प्रदेश में समूहों को विभिन्न आजीविका गतिविधियों के संचालन के लिए बैंक ऋण वितरण का लक्ष्य विगत दो वर्षो में कई गुना बढ़ाते हुए इस वर्ष में 2550 करोड़ रुपए किया गया है. समूहों को सस्ती ब्याज दरों पर पूंजी उपलब्ध कराने के साथ अलग से ब्याज अनुदान भी दिया जा रहा है.
103 प्रकार की लघु उद्यम गतिविधियां संचालित
राज्य सरकार ने महिला स्व-सहायता समूहों के कार्यो का दायरा बढ़ाते हुए पोषण आहार संयत्रों के संचालन का बहुत बड़ा काम भी समूहों को देकर वृहद कारोबारों को संचालित करने का अनुभव समूहों की महिलाओं को दिया है. समूहों की सदस्य महिलाओं द्वारा रुचि अनुसार परंपरागत आय के साधन कृषि-पशुपालन के साथ अतिरिक्त आय अर्जित करने के लिए सिलाई, दुकान, साबुन, अगरबत्ती निर्माण आदि सहित 103 प्रकार की लघु उद्यम गतिविधियां की जा रही हैं.
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आजीविका रूरल मार्ट किए गए स्थापित
समूहों के उत्पादों को बेचने के लिए आजीविका रूरल मार्ट जिला स्तर पर नाबार्ड के सहयोग से स्थापित किए गए हैं. आजीविका मार्ट पोर्टल के माध्यम से भी उत्पादों के क्रय-विक्रय में सहयोग किया जा रहा है. समूहों के उपयोग के लिए ब्लॉक स्तर पर आजीविका भवन निर्माण किया गया है. समूहों की बैठकों तथा आजीविका गतिविधि केंद्र और प्रशिक्षण केंद्र बनाने के लिए बड़ी संख्या में शासकीय भवन समूहों को आवंटित किए गए हैं.
आईएएनएस