ETV Bharat / state

COVID 19: बायो मेडिकल वेस्ट को नष्ट करने के लिए बनाई गई 3 स्तरीय व्यवस्था

author img

By

Published : Sep 13, 2020, 5:51 PM IST

भोपाल में बायो मेडिकल वेस्ट के निष्पादन के लिए अलग से 3 स्तरीय विधि अपनाई जा रही है, ताकि इनसे किसी अन्य व्यक्ति को संक्रमण ना फैले. भारत सरकार की गाइडलाइन के तहत ही कोविड19 का इलाज कर रहे अस्पतालों में बायो मेडिकल कचरे को निष्पादित किया जा रहा है.

Bio Medical Waste
बायो मेडिकल वेस्ट

भोपाल। कोरोना संक्रमित मरीजों और संदिग्धों का इलाज करने के वाले डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ अपने बचाव के लिए पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई किट) का इस्तेमाल करते हैं. जिसमें ग्लव्स, मास्क और गोगल शामिल हैं. डॉक्टर्स पीपीई किट को केवल एक बार ही इस्तेमाल कर सकते हैं. इसे एक बार उतारने के बाद दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे भी संक्रमण का खतरा रहता है. इसके साथ ही कोविड वार्ड से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट से भी संक्रमण का खतरा बना रहता है, इसलिए यह बहुत जरूरी है कि कोविड वार्ड और सर्वे-सैंपलिंग के बाद निकले बायो मेडिकल वेस्ट का ठीक से निष्पादन किया जाए.

बायो मेडिकल वेस्ट का निष्पादन

राजधानी भोपाल में बायो मेडिकल वेस्ट के निष्पादन के लिए अलग से 3 स्तरीय विधि अपनाई जा रही है, ताकि इनसे किसी अन्य व्यक्ति को संक्रमण ना फैले. भारत सरकार की गाइडलाइन के तहत ही कोविड19 का इलाज कर रहे अस्पतालों में बायो मेडिकल कचरे को निष्पादित किया जा रहा है. भोपाल के एम्स, हमीदिया, चिरायु अस्पताल, शासकीय होम्योपैथिक अस्पताल, जे के हॉस्पिटल, बंसल हॉस्पिटल समेत अब आयुष्मान भारत निरामयम में आने वाले अस्पतालों में कोविड-19 मरीजों को इलाज दिया जा रहा है. इन अस्पतालों में इस्तेमाल की गई पीपीई किट और अन्य बायो मेडिकल कचरे को किस तरह से निष्पादित किया जाए इसके लिए भारत सरकार की गाइडलाइन का पालन किया जा रहा है.

बायो मेडिकल कचरे के लिए राजधानी भोपाल में जो प्रकिया अपनाई जा रही है. उस बारे में नगर निगम कमिश्नर वीएस चौधरी ने बताया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइड लाइन के मुताबिक ही राजधानी भोपाल के कोविड सेंटर्स से निकले बायो मेडिकल वेस्ट का निष्पादन इंसीनरेटर में किया जा रहा है. भोपाल इंसीनरेटर संस्था से हमारा टाई अप है. यह संस्था क्वारेंटाइन सेंटर और कोविड सेंटर से निकले कचरे का प्रबंधन कर रही है.

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइड लाइन का होता है पालन

कोविड बायो मेडिकल वेस्ट को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइडलाइन के बारे में मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मेंबर सेक्रेटरी एए मिश्रा ने बताया कि कोविड-19 बायो मेडिकल वेस्ट को डबल लेयर की पन्नियों में इकट्ठा किया जाता है. इस कचरे को शहर के निकले बाकी कचरे से अलग इंसीनरेट किया जाता है. कचरा निष्पादन क्षेत्र में बने अलग से हीटर में इस पूरे कचरे को 1000 डिग्री से भी ज्यादा तापमान में 24 घंटे के भीतर बोर्ड की निगरानी में सुरक्षित तरीके से नष्ट किया जाता है. भोपाल में मध्य प्रदेश पॉल्यूशन बोर्ड की एक अलग से कचरा गाड़ी कोविड बायो मेडिकल वेस्ट को मंडीदीप स्थित निष्पादन क्षेत्र में लाने के लिए ड्यूटी पर लगाई गई है. यह कचरा गाड़ी शहर के क्वॉरेंटाइन सेंटर और कोविड-19 सेंटर्स से बायो मेडिकल वेस्ट को मंडीदीप लेकर आती है. कोविड बायो मेडिकल वेस्ट को 3 श्रेणियों में बांटकर उसका कलेक्शन किया जाता है.

पीपीई किट, मास्क आदि को पीले कलर की पॉलीबैग में डाला जाता है. वहीं निडिल, शार्प जैसे सर्जीकल मटेरियल को लाल कलर की पॉलीबैग में और प्लास्टिक के कचरे को नीले कलर के पॉलीबैग में इकट्ठा किया जाता है. यदि कोविड-19 से निकले बायो मेडिकल कचरे का सही तरीके से निष्पादन ना किया जाए तो यह बहुत खतरनाक हो सकता है. इस बारे में मेंबर सेक्रेट्री मिश्रा कहते हैं कि कोविड-19 बायो मेडिकल वेस्ट का सही तरीके से निष्पादन किया जाना बहुत जरूरी है. क्योंकि यदि यह खुले में रहेगा और इसका ठीक से प्रबंध नहीं किया जाएगा तो इससे कोरोना वायरस फैलने का खतरा बहुत ज्यादा रहेगा. यदि यह गलती से ड्रेन या नाली में चला गया तो वहां भी इंफेक्शन फैलने का खतरा हो सकता है.

भोपाल। कोरोना संक्रमित मरीजों और संदिग्धों का इलाज करने के वाले डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ अपने बचाव के लिए पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई किट) का इस्तेमाल करते हैं. जिसमें ग्लव्स, मास्क और गोगल शामिल हैं. डॉक्टर्स पीपीई किट को केवल एक बार ही इस्तेमाल कर सकते हैं. इसे एक बार उतारने के बाद दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे भी संक्रमण का खतरा रहता है. इसके साथ ही कोविड वार्ड से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट से भी संक्रमण का खतरा बना रहता है, इसलिए यह बहुत जरूरी है कि कोविड वार्ड और सर्वे-सैंपलिंग के बाद निकले बायो मेडिकल वेस्ट का ठीक से निष्पादन किया जाए.

बायो मेडिकल वेस्ट का निष्पादन

राजधानी भोपाल में बायो मेडिकल वेस्ट के निष्पादन के लिए अलग से 3 स्तरीय विधि अपनाई जा रही है, ताकि इनसे किसी अन्य व्यक्ति को संक्रमण ना फैले. भारत सरकार की गाइडलाइन के तहत ही कोविड19 का इलाज कर रहे अस्पतालों में बायो मेडिकल कचरे को निष्पादित किया जा रहा है. भोपाल के एम्स, हमीदिया, चिरायु अस्पताल, शासकीय होम्योपैथिक अस्पताल, जे के हॉस्पिटल, बंसल हॉस्पिटल समेत अब आयुष्मान भारत निरामयम में आने वाले अस्पतालों में कोविड-19 मरीजों को इलाज दिया जा रहा है. इन अस्पतालों में इस्तेमाल की गई पीपीई किट और अन्य बायो मेडिकल कचरे को किस तरह से निष्पादित किया जाए इसके लिए भारत सरकार की गाइडलाइन का पालन किया जा रहा है.

बायो मेडिकल कचरे के लिए राजधानी भोपाल में जो प्रकिया अपनाई जा रही है. उस बारे में नगर निगम कमिश्नर वीएस चौधरी ने बताया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइड लाइन के मुताबिक ही राजधानी भोपाल के कोविड सेंटर्स से निकले बायो मेडिकल वेस्ट का निष्पादन इंसीनरेटर में किया जा रहा है. भोपाल इंसीनरेटर संस्था से हमारा टाई अप है. यह संस्था क्वारेंटाइन सेंटर और कोविड सेंटर से निकले कचरे का प्रबंधन कर रही है.

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइड लाइन का होता है पालन

कोविड बायो मेडिकल वेस्ट को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइडलाइन के बारे में मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मेंबर सेक्रेटरी एए मिश्रा ने बताया कि कोविड-19 बायो मेडिकल वेस्ट को डबल लेयर की पन्नियों में इकट्ठा किया जाता है. इस कचरे को शहर के निकले बाकी कचरे से अलग इंसीनरेट किया जाता है. कचरा निष्पादन क्षेत्र में बने अलग से हीटर में इस पूरे कचरे को 1000 डिग्री से भी ज्यादा तापमान में 24 घंटे के भीतर बोर्ड की निगरानी में सुरक्षित तरीके से नष्ट किया जाता है. भोपाल में मध्य प्रदेश पॉल्यूशन बोर्ड की एक अलग से कचरा गाड़ी कोविड बायो मेडिकल वेस्ट को मंडीदीप स्थित निष्पादन क्षेत्र में लाने के लिए ड्यूटी पर लगाई गई है. यह कचरा गाड़ी शहर के क्वॉरेंटाइन सेंटर और कोविड-19 सेंटर्स से बायो मेडिकल वेस्ट को मंडीदीप लेकर आती है. कोविड बायो मेडिकल वेस्ट को 3 श्रेणियों में बांटकर उसका कलेक्शन किया जाता है.

पीपीई किट, मास्क आदि को पीले कलर की पॉलीबैग में डाला जाता है. वहीं निडिल, शार्प जैसे सर्जीकल मटेरियल को लाल कलर की पॉलीबैग में और प्लास्टिक के कचरे को नीले कलर के पॉलीबैग में इकट्ठा किया जाता है. यदि कोविड-19 से निकले बायो मेडिकल कचरे का सही तरीके से निष्पादन ना किया जाए तो यह बहुत खतरनाक हो सकता है. इस बारे में मेंबर सेक्रेट्री मिश्रा कहते हैं कि कोविड-19 बायो मेडिकल वेस्ट का सही तरीके से निष्पादन किया जाना बहुत जरूरी है. क्योंकि यदि यह खुले में रहेगा और इसका ठीक से प्रबंध नहीं किया जाएगा तो इससे कोरोना वायरस फैलने का खतरा बहुत ज्यादा रहेगा. यदि यह गलती से ड्रेन या नाली में चला गया तो वहां भी इंफेक्शन फैलने का खतरा हो सकता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.