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Black Fungus: 22 लोगों ने गंवाई आंखों की रोशनी, समय रहते जान लें उपचार

बीते कुछ दिनों में ब्लैक फंगस के लगभग 100 से ज्यादा मरीज अलग-अलग अस्पतालों में अपना इलाज कराने पहुंचे हैं. इनमें से करीब 22 मरीज ऐसे हैं जोकि अपनी आंखों की रोशनी खो चुके हैं. जानें क्या कहते हैं इस पर वरिष्ठ सर्जन सत्य प्रकाश दुबे.

ब्लैक फंगस
Black Fungus
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Published : May 16, 2021, 10:22 AM IST

Updated : May 16, 2021, 1:52 PM IST

भोपाल। कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस मरीजों पर कहर बनकर टूट रहा है. खास तौर पर यह बीमारी पोस्ट कोविड-19 मरीजों को अपनी गिरफ्त में ले रही है. आंखों में सूजन, चेहरे पर सूजन, सिर में दर्द और आंखों में जलन जैसे कई लक्षण इस बीमारी के दौरान देखने को मिल रहे हैं. पिछले कुछ दिनों में राजधानी में लगभग 100 से ज्यादा मरीज इस बीमारी का इलाज कराने अलग-अलग अस्पतालों में पहुंचे हैं. चिंता की बात यह है कि इनमें से करीब 22 मरीज ऐसे हैं जिनकी एक आंख की रोशनी चली गई है. उन्हें दिखना बंद हो गया है. डॉक्टरों ने बताया कि ऐसा तभी होता है जब संक्रमण दिमाग तक पहुंच जाता है.

ब्लैक फंगस



कहां कितने मरीज
जानकारी के अनुसार, हमीदिया अस्पताल में 34 मरीज, चिरायु में 10 और बंसल अस्पताल 17 और दिव्य एडवांस ईएनटी क्लिनिक में 5 मरीजों की आंखों की सर्जरी हुई है. इसके बाद उन्हें एक आंख से दिखना बंद हो गया है. वहीं, कई मरीज अभी इसका इलाज कराने के लिए अस्पतालों में भर्ती हैं. जिन्हें सीरियस कंडीशन में सर्जरी की जरूरत है.


हमीदिया में फंगस के इलाज के लिए बना नया वार्ड
हमीदिया हॉस्पिटल में फिलहाल 34 मरीज इस बीमारी का इलाज करा रहे हैं. जीएमसी के डीन डॉक्टर जितेन शुक्ला ने बताया की मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. अभी सर्जिकल वार्ड 3 को भी तैयार किया जा रहा है. जहां, ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज किया जाएगा. अभी तक 8 लोगों की सर्जरी एंडोस्कोपिक पद्धति से की गई है. जिसमें नाक और मुंह की सर्जरी हुई है. इनमें कोरोना संक्रमित 9 मरीज और पोस्ट कॉविड 26 मरीज (जो कोरोना से ठीक हो चुके हैं) भी शामिल हैं. शनिवार को चिरायु और नोबेल में ब्लैक फंगस के 6 संक्रमित मरीजों की सर्जरी की गई.

जा चुकी है आंखों की रोशनी
ब्लैक फंगस कितनी खतरनाक बीमारी है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि समय पर इलाज ना मिलने से लोग जीवन भर के लिए आंखों की रोशनी गवा रहे हैं. भोपाल के टीला जमालपुरा के 25 वर्षीय राजेश (बदला हुआ नाम) की एक आंख जन्म से ही खराब थी, इसके बाद उन्हें कोविड-19 हुआ और ब्लैक फंगस की चपेट में आ गए. जिससे उनकी दूसरी आंख भी चली गई. अब उन्हें दोनों आंखों से दिखाई नहीं दे रहा है. इसी तरह 34 वर्षीय किशोर (बदला हुआ नाम) को 6 महीने पहले आंखों में दर्द की शिकायत हुई. उनका डायबिटीज और शुगर लेवल बढ़ा हुआ था. एक आंख में देखना बंद हुआ तो राजधानी के बड़े अस्पताल में उनका इलाज कराया, लेकिन अब उनकी आंखों की रोशनी जा चुकी.

Black Fungus: बाजार से गायब हो रहे लाइपोजोमल एम्फोटेरिसिन इंजेक्शन

पोस्ट कोविड मरीजों को फंगस का ज्यादा खतरा
वरिष्ठ ईएनटी सर्जन डॉक्टर सत्य प्रकाश दुबे ने बताया कि यहां लगभग 60 मरीज ब्लैक फंगस का इलाज कराने आ चुके हैं. इनमें सभी मरीज कोरोना संक्रमण का शिकार हो चुके हैं. कोरोना से ठीक होने के बाद होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों को यह बीमारी ज्यादा हो रही है. इसका संक्रमण तेजी से फैलता है. प्राथमिक उपचार के तौर पर लेजर एंडोस्कोपी से इसकी रोकथाम की जा सकती है.

भोपाल। कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस मरीजों पर कहर बनकर टूट रहा है. खास तौर पर यह बीमारी पोस्ट कोविड-19 मरीजों को अपनी गिरफ्त में ले रही है. आंखों में सूजन, चेहरे पर सूजन, सिर में दर्द और आंखों में जलन जैसे कई लक्षण इस बीमारी के दौरान देखने को मिल रहे हैं. पिछले कुछ दिनों में राजधानी में लगभग 100 से ज्यादा मरीज इस बीमारी का इलाज कराने अलग-अलग अस्पतालों में पहुंचे हैं. चिंता की बात यह है कि इनमें से करीब 22 मरीज ऐसे हैं जिनकी एक आंख की रोशनी चली गई है. उन्हें दिखना बंद हो गया है. डॉक्टरों ने बताया कि ऐसा तभी होता है जब संक्रमण दिमाग तक पहुंच जाता है.

ब्लैक फंगस



कहां कितने मरीज
जानकारी के अनुसार, हमीदिया अस्पताल में 34 मरीज, चिरायु में 10 और बंसल अस्पताल 17 और दिव्य एडवांस ईएनटी क्लिनिक में 5 मरीजों की आंखों की सर्जरी हुई है. इसके बाद उन्हें एक आंख से दिखना बंद हो गया है. वहीं, कई मरीज अभी इसका इलाज कराने के लिए अस्पतालों में भर्ती हैं. जिन्हें सीरियस कंडीशन में सर्जरी की जरूरत है.


हमीदिया में फंगस के इलाज के लिए बना नया वार्ड
हमीदिया हॉस्पिटल में फिलहाल 34 मरीज इस बीमारी का इलाज करा रहे हैं. जीएमसी के डीन डॉक्टर जितेन शुक्ला ने बताया की मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. अभी सर्जिकल वार्ड 3 को भी तैयार किया जा रहा है. जहां, ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज किया जाएगा. अभी तक 8 लोगों की सर्जरी एंडोस्कोपिक पद्धति से की गई है. जिसमें नाक और मुंह की सर्जरी हुई है. इनमें कोरोना संक्रमित 9 मरीज और पोस्ट कॉविड 26 मरीज (जो कोरोना से ठीक हो चुके हैं) भी शामिल हैं. शनिवार को चिरायु और नोबेल में ब्लैक फंगस के 6 संक्रमित मरीजों की सर्जरी की गई.

जा चुकी है आंखों की रोशनी
ब्लैक फंगस कितनी खतरनाक बीमारी है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि समय पर इलाज ना मिलने से लोग जीवन भर के लिए आंखों की रोशनी गवा रहे हैं. भोपाल के टीला जमालपुरा के 25 वर्षीय राजेश (बदला हुआ नाम) की एक आंख जन्म से ही खराब थी, इसके बाद उन्हें कोविड-19 हुआ और ब्लैक फंगस की चपेट में आ गए. जिससे उनकी दूसरी आंख भी चली गई. अब उन्हें दोनों आंखों से दिखाई नहीं दे रहा है. इसी तरह 34 वर्षीय किशोर (बदला हुआ नाम) को 6 महीने पहले आंखों में दर्द की शिकायत हुई. उनका डायबिटीज और शुगर लेवल बढ़ा हुआ था. एक आंख में देखना बंद हुआ तो राजधानी के बड़े अस्पताल में उनका इलाज कराया, लेकिन अब उनकी आंखों की रोशनी जा चुकी.

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पोस्ट कोविड मरीजों को फंगस का ज्यादा खतरा
वरिष्ठ ईएनटी सर्जन डॉक्टर सत्य प्रकाश दुबे ने बताया कि यहां लगभग 60 मरीज ब्लैक फंगस का इलाज कराने आ चुके हैं. इनमें सभी मरीज कोरोना संक्रमण का शिकार हो चुके हैं. कोरोना से ठीक होने के बाद होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों को यह बीमारी ज्यादा हो रही है. इसका संक्रमण तेजी से फैलता है. प्राथमिक उपचार के तौर पर लेजर एंडोस्कोपी से इसकी रोकथाम की जा सकती है.

Last Updated : May 16, 2021, 1:52 PM IST
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