रतलाम: मध्य प्रदेश के रतलाम में मंगलवार को पंचायत और शिक्षा विभाग के कारनामे की वजह से शासकीय दफ्तरों की कार्यप्रणाली किरकरी का मामला सामने आया. मंगलवार को जनसुनवाई में पहुंचे 13 साल के छात्र ने कलेक्टर को बताया कि समग्र पोर्टल पर उसे मृत घोषित कर दिया गया है. जिसके बाद उसे 9वीं कक्षा में एडमिशन नहीं मिल पाया है. कलेक्टर राजेश बाथम ने जब शिक्षा विभाग के अधिकारियों को तलब किया तो, मामला सही निकला. इसके बाद कलेक्टर के निर्देश पर छात्र का दाखिला कक्षा 9वीं में पुनः करवाया गया है.
जिंदा छात्र को बताया मृत
दरअसल, जनसुनवाई में अगस्त माह से चक्कर लगा रहे छात्र और उसके पिता का कहना है कि 'उन्हें इस सत्र की शुरुआत में पता चला कि ग्राम पंचायत द्वारा छात्र का नाम समग्र आईडी में मृत होना बता कर हटा दिया गया है. जिसकी वजह से नौवीं कक्षा में नामांकन नहीं हो पा रहा है. ग्राम पंचायत और जनपद पंचायत में संपर्क किए जाने पर बताया गया कि बेटे को जीवित बताने के लिए उसका नाम पुनः समग्र आईडी में जुड़वाना होगा, लेकिन इस बार भी छात्र का नाम गलत तरीके से दूसरी समग्र आईडी में जोड़ दिया गया. जिसकी वजह से उसे दाखिला नहीं मिल पा रहा था.
- मैडम मैं जिंदा हूं, मुझे मत मारिए प्लीज! चलते-फिरते को कर दिया यमराज के हवाले
- रीवा में मरे आदमी का भूत लगा रहा सरकारी दफ्तरों के चक्कर, बोलता है "साहब सबकी छोड़ो मेरी सुनो"
कलेक्टर के आदेश पर मिला एडमिशन
मंगलवार को जनसुनवाई में पिता के साथ पहुंचे छात्र ने जब कलेक्टर राजेश बाथम को पूरी बात बताई तो कलेक्टर ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को फौरन त्रुटि सुधरवा कर छात्र को एडमिशन दिलवाने के निर्देश दिए. इसके बाद छात्र को 9वीं कक्षा में बैठने की अनुमति मिल सकी है. बहरहाल ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत और जिला पंचायत की खराब कार्य प्रणाली और लापरवाही की वजह से जिंदा व्यक्ति मृत घोषित हो जाता है और योजनाओं से वंचित हो जाता है. मृत व्यक्ति कागजों में जिंदा होकर मनरेगा की मजदूरी से लेकर सामाजिक पेंशन भी ले लेते हैं.