मुंबई: महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाली महायुति ने विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज की. महायुति में अकेले बीजेपी ने 132 सीटें जीतीं. ऐसे में माना जा रहा है कि राज्य में विधानसभा चुनाव में महायुति और खासकर भाजपा की सफलता में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का बड़ा योगदान है.
लोकसभा चुनाव में मिली असफलता के बाद बीजेपी और संघ ने ऐसा कौन सा जादू किया, जिसकी वजह से भगवा पार्टी को 132 सीटें मिल गईं. इसे समझने के लिए यह समझना पहले यह समझना होगी कि पिछले 5 महीनों में आरएसएस और बीजेपी के बीच क्या-क्या हुआ?
इस संबंध में संघ विद्वान दिलीप देवधर ने कहा, "शुरू में दस साल तक संघ परिवार का देवेंद्र फडणवीस पर बिल्कुल भी नियंत्रण नहीं था. हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद देवेंद्र फडणवीस उसी तरह आरएसएस के नियंत्रण में काम करने लगे, जैसे वे बीजेपी के नियंत्रण में काम कर रहे थे. यह इसका नतीजा है."
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद आरएसएस सक्रिय
दिलीप देवधर ने बताया, "पांच महीने पहले 4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित हुए थे. उसके बाद 5 जून को देवेंद्र फडणवीस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हार की पूरी जिम्मेदारी लेते हुए कहा था कि मैं इस्तीफा दे रहा हूं और सरकार छोड़ रहा हूं. मुझे संगठन में काम करने दीजिए. इसके बाद आरएसएस सक्रिय हो गया."
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद देवेंद्र फडणवीस ने इस्तीफा देने की इच्छा जताई थी. अगले ही दिन 6 जून को आरएसएस के अतुल लिमये पदाधिकारियों के साथ नागपुर में देवेंद्र फडणवीस के आवास पर पहुंचे. उन्होंने देवेंद्र फडणवीस से एक घंटे तक चर्चा की.
देवधर ने कहा कि इसके बाद भाजपा ने साफ कर दिया कि देवेंद्र फडणवीस अपने पद पर बने रहेंगे, इस्तीफा देकर सरकार नहीं छोड़ेंगे और न ही संगठन की जिम्मेदारी लेंगे. विधानसभा चुनाव को लेकर समन्वय के लिए भाजपा और संघ के बीच कई बैठकें हुई. संघ परिवार पूरी ताकत से भाजपा के लिए काम कर रहा है."
अजित पवार को सरकार में क्यों शामिल किया गया?
23 जुलाई को मुंबई के लोअर परेल इलाके के प्रभादेवी में आरएसएस के सदस्य अरुण कुमार के साथ बैठक हुई. अतुल लिमये, देवेंद्र फडणवीस, चंद्रशेखर बावनकुले और संघ के अन्य पदाधिकारी की बैठक हुई. इसमें अजित पवार को सरकार में क्यों शामिल किया गया, इस पर चर्चा हुई. जब ये सारा घटनाक्रम हो रहा था, उसी रात अजित पवार दिल्ली के लिए रवाना हो गए.
अजित पवार के प्रति नरम हुआ सुर
23 जुलाई को मुंबई और दिल्ली में हुई बैठकों के जरिए भाजपा ने अजित पवार के प्रति आरएसएस की नाराजगी के सुर को नरम करने में सफलता पाई. मीडिया में खबरें थीं कि देवेंद्र फडणवीस केंद्र में जाएंगे, वे महाराष्ट्र में नहीं रहेंगे. उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाएगा. हालांकि, देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर में मीडिया के सामने साफ कर दिया था कि वे राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बनेंगे. उन्होंने स्पष्ट किया कि वे महाराष्ट्र की राजनीति में सक्रिय बने रहेंगे.
देवेंद्र फडणवीस और अतुल लिमये के बीच बैठक
देवेंद्र फडणवीस ने राज्य की राजनीति में सक्रिय रहने की बात कहने के अगले ही दिन 3 अगस्त को देवेंद्र फडणवीस और अतुल लिमये ने नागपुर स्थित संघ कार्यालय में फिर से मुलाकात की. इस दौरान यह स्पष्ट किया गया कि देवेंद्र फडणवीस की भूमिका महाराष्ट्र में बनी रहेगी और विधानसभा चुनाव में वे महाराष्ट्र में भाजपा का नेतृत्व करेंगे.
संघ और भाजपा के बीच बैठक
9 अगस्त को नागपुर के एक स्कूल में संघ परिवार के सभी संगठनों की समन्वय बैठक हुई. इसमें आरएसएस परिवार के एक अंग के रूप में भाजपा को आमंत्रित किया गया. भाजपा की ओर से देवेंद्र फडणवीस ने बैठक में हिस्सा लिया. उन्होंने 40 से 45 मिनट का भाषण दिया और भाजपा की पूरी स्थिति को सामने रखा.राज्य में चुनाव को लेकर भाजपा के सामने क्या-क्या समस्याएं हैं? फर्जी नैरेटिव कैसे लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार का कारण बना? इसके साथ ही बैठक में उन सभी मुद्दों पर चर्चा की गई जो समस्या पैदा करने वाले साबित हो रहे हैं.
महाराष्ट्र में हरियाणा वाली 'माइक्रो प्लानिंग'
महाराष्ट्र में चुनाव घोषित होने से पहले यानी हरियाणा में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद 10 अक्टूबर को एक बार फिर आरएसएस और बीजेपी की समन्वय बैठक हुई थी. उस बैठक में इस बात पर चर्चा हुई थी कि हरियाणा में संघ और बीजेपी की 'माइक्रो प्लानिंग' को महाराष्ट्र में कैसे लागू किया जाए. गौरतलब है कि देवधर ने यह भी कहा कि संघ के लोगों के जरिए बीजेपी को हमेशा सीधे तौर पर नहीं बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से मदद की जाती रही है.