विजया एकादशी 2023। विजया यानी शत्रु पर विजय और एकादशी यानी एकादश तिथि. जब आप संकट में हों, शत्रु आप पर हावी हो तब उन परिस्थितियों में भी विजया एकादशी आपको शत्रु से जीत दिलाने की क्षमता रखती है. हिंदू पंचांग के मुताबिक विजया एकादशी का व्रत फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष एकादशी को मनाया जाता है. इस व्रत का वर्णन स्कन्द और पद्म पुराणों में भी देखने को मिलता है. कहा जाता है कि, प्राचीन समय में बड़े-बड़े राजा महाराजा भी अपने शत्रु को पराजित करने के लिए इस व्रत को करते थे. इस साल विजया एकादशी की तिथि फरवरी की 16 और 17 तारीख में पड़ने से लोगों में संशय की स्थिति है कि वे व्रत किस तारीख को करें.
कब रखें व्रत: इस वर्ष विजया एकादशी गुरुवार यानी 16 फरवरी को प्रारंभ हो रही है. हिंदू पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष की एकादशी 16 फरवरी को 5 बजकर 31 मिनट पूर्वाह्न यानी सुबह से शुरू होगी, जो 17 फरवरी पूर्वाह्न 2 बजकर 51 मिनट यानी मध्यरात्रि को समाप्त हो रही है. ऐसे में व्रत जातकों के लिए स्पष्ट रूप से 16 फरवरी को ही रखा जाएगा. हालांकि विजय एकादशी का पारण शुक्रवार सुबह 8 बजकर 01 मिनट पर शुरू होगा जो 9 बजकर 12 मिनट तक रहेगा. वहीं वैष्णव समुदाय एकादशी 17 फरवरी को मनाएगा.
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ऐसे करें विजया एकादशी व्रत का पूजन: विजया एकादशी के पूजा और व्रत का भी बहुत महत्व है. इस व्रत का फल पाने के लिए पूजा भी विधि विधान के अनुसार करना चाहिए. जिसके लिए एकादशी से एक दिन पहले दशमी पर एक वेदी बनाकर उस पर सप्तधान रखना चाहिए. साथ ही उस पर अपने सामर्थ्य अनुसार सोना, चांदी, तांबे या मिट्टी का कलश बनाकर स्थापित करना चाहिए. अगले दिन एकदशी को सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए. इसके साथ ही वेदी पर स्थापित कलश में पंचपल्लव रखकर विष्णु भगवान की प्रतिमा स्थापित कर विधि सहित चंदन, दीप, धूप, फूल, फल और तुलसी से भगवान की पूजा अर्चना करें. जो लोग व्रत कर रहे हैं, वे दिनभर भगवान की कथा का पाठ और अनुसरण करें. इस दिन विजया एकादशी मंत्र ‘ॐ पुराण पुरुषोत्तमाय नम:’ का तुलसी की माला से 108 बार जाप भी करना चाहिए. रात्रि में कलश के सामने बैठकर जागरण करें. वहीं अगले दिन द्वादशी को कलश को योग्य ब्राह्मण या पंडित को दान करें.
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विजया एकादशी व्रत के लाभ: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार विधि-विधान के साथ विजया एकादशी किया गया. विजया एकादशी का व्रत बहुत फलदायी होता है. यह सभी बाधकों और बाधाओं को दूर करने में मदद करता है, साथ ही सफलता दिलाता है. यह व्रत याचक की सभी इच्छाओं को पूरा करता है. सभी पाप और बुरे कर्मों को नष्ट करने और मोक्ष प्राप्ति में मदद करता है.