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भिंड में है भोलेनाथ का अनोखा मंदिर, 11वीं सदी से जल रही अखंड ज्योत

भिंड के वन में बसा है वनखंडेश्वर का मंदिर. यहां आने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है. यहां पृथ्वीराज चौहान ने जलाई थी अखंड ज्योत जो कि अब तक जल रही है. श्रावण मास में निकलती है लाल बत्ती की अनोखी पालकी.

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Published : Jul 31, 2019, 11:21 PM IST

वनखंडेश्वर शिवलिंग

भिंड। भोलेनाथ को समर्पित एक ऐसा ऐतिहासिक मंदिर जिसका निर्माण खुद पराक्रमी राजा पृथ्वीराज चौहान ने कराया था इस मंदिर में भगवान शिव वनखंडेश्वर के रूप में पूजे जाते हैं. 11 वीं सदी का ये मंदिर भिंड में स्थित है. वन खंडेश्वर मंदिर में बनी शिवलिंग और पृथ्वीराज चौहान को लेकर एक किस्सा भी मशहूर है. कहा जाता है कि शिवलिंग से आशीर्वाद लेकर उन्होंने महोबा में युद्ध पर जीत हासिल की थी और इस जीत के बाद पूजा के लिए जलाई अखंड ज्योत सैकड़ों सालों से ऐसे ही प्रज्वलित है.

वनखंडेश्वर मंदिर

घना जंगल होने के चलते मंदिर का नाम वन खंडेश्वर पड़ा. स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां आसपास के इलाकों के लोग अपनी पुराने लड़ाई झगड़ों और चोरी डकैती के संदेही व्यक्तियों को सौगंध दिलवाने आते हैं. लोगों का कहना है कि जो व्यक्ति गलत होता है वह खुद इस मंदिर में सौगंध लेने से डरता है क्योंकि वन खंडेश्वर महादेव की महिमा ही ऐसी है कि झूठी सौगंध खाने वाले को इसका परिणाम भुगतना पड़ता है.

श्रावण में पूजा का है खास महत्व

शिव पुराण में श्रावण के महीने में जो भक्त श्रावण सोमवार के दिन शिवजी की पूजा करेगा और उनका अभिषेक करेगा वह समस्त कष्टों को छुटकारा पाता है और उसकी मनोकामनाएं पूरी होती है. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि शिव जी आपकी श्रद्धा से खुश होते हैं जरूरी नहीं कि फल फूल जैसी चीजों से उनकी सेवा करें. सावन के महीने में कांवड़िए दूर-दूर से कांवड़ भरकर लाते हैं और शिवजी का अभिषेक करते हैं इन दिनों में यह नजारा देखने लायक होता.

महाशिवरात्रि पर देवासी राज वन खंडेश्वर महाराज शिव बारात में लाल बत्ती लगी पालकी में सवार होकर बड़ी शान से निकलते हैं. वन खंडेश्वर महादेव की बारात में पूरा शहर और दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालु शामिल होते हैं. इस मौके पर शिव जी का खास श्रंगार भी किया जाता है. पालकी पर चांदी का छत्र सभी का ध्यान आकर्षित करते हैं. वहीं दशहरे की शाम भी वन खंडेश्वर महादेव को हीरे जवाहरात जड़े मुकुट और आभूषणों से सजाया जाता है.

भिंड। भोलेनाथ को समर्पित एक ऐसा ऐतिहासिक मंदिर जिसका निर्माण खुद पराक्रमी राजा पृथ्वीराज चौहान ने कराया था इस मंदिर में भगवान शिव वनखंडेश्वर के रूप में पूजे जाते हैं. 11 वीं सदी का ये मंदिर भिंड में स्थित है. वन खंडेश्वर मंदिर में बनी शिवलिंग और पृथ्वीराज चौहान को लेकर एक किस्सा भी मशहूर है. कहा जाता है कि शिवलिंग से आशीर्वाद लेकर उन्होंने महोबा में युद्ध पर जीत हासिल की थी और इस जीत के बाद पूजा के लिए जलाई अखंड ज्योत सैकड़ों सालों से ऐसे ही प्रज्वलित है.

वनखंडेश्वर मंदिर

घना जंगल होने के चलते मंदिर का नाम वन खंडेश्वर पड़ा. स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां आसपास के इलाकों के लोग अपनी पुराने लड़ाई झगड़ों और चोरी डकैती के संदेही व्यक्तियों को सौगंध दिलवाने आते हैं. लोगों का कहना है कि जो व्यक्ति गलत होता है वह खुद इस मंदिर में सौगंध लेने से डरता है क्योंकि वन खंडेश्वर महादेव की महिमा ही ऐसी है कि झूठी सौगंध खाने वाले को इसका परिणाम भुगतना पड़ता है.

श्रावण में पूजा का है खास महत्व

शिव पुराण में श्रावण के महीने में जो भक्त श्रावण सोमवार के दिन शिवजी की पूजा करेगा और उनका अभिषेक करेगा वह समस्त कष्टों को छुटकारा पाता है और उसकी मनोकामनाएं पूरी होती है. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि शिव जी आपकी श्रद्धा से खुश होते हैं जरूरी नहीं कि फल फूल जैसी चीजों से उनकी सेवा करें. सावन के महीने में कांवड़िए दूर-दूर से कांवड़ भरकर लाते हैं और शिवजी का अभिषेक करते हैं इन दिनों में यह नजारा देखने लायक होता.

महाशिवरात्रि पर देवासी राज वन खंडेश्वर महाराज शिव बारात में लाल बत्ती लगी पालकी में सवार होकर बड़ी शान से निकलते हैं. वन खंडेश्वर महादेव की बारात में पूरा शहर और दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालु शामिल होते हैं. इस मौके पर शिव जी का खास श्रंगार भी किया जाता है. पालकी पर चांदी का छत्र सभी का ध्यान आकर्षित करते हैं. वहीं दशहरे की शाम भी वन खंडेश्वर महादेव को हीरे जवाहरात जड़े मुकुट और आभूषणों से सजाया जाता है.

Intro:भोलेनाथ को समर्पित एक ऐसा ऐतिहासिक मंदिर जिसका निर्माण खुद पराक्रमी राजा पृथ्वीराज चौहान ने कराया था इस मंदिर में भगवान शिव वनखंडेश्वर के रूप में पूजे जाते हैं 11 वीं सदी का यह मंदिर स्थित है भिंड में विभांडक ऋषि की तपोभूमि पर वन खंडेश्वर मंदिर में बनी शिवलिंग और पृथ्वीराज चौहान को लेकर एक किस्सा भी मशहूर है कहा जाता है कि शिवलिंग से आशीर्वाद लेकर उन्होंने महोबा में युद्ध पर जीत हासिल की थी और इस जीत के बाद पूजा के लिए जलाई अखंड ज्योत सैकड़ों सालों से ऐसे ही प्रचलित है


Body:कहते हैं भगवान शिव अपने भक्तों से हमेशा प्रसन्न रहते हैं जो दिल से उन्हें पूजिता है उस वक्त की हर मनोकामना पूरी करते हैं भगवान शिव शिवलिंग के रूप में कई देव स्थानों पर विराजमान हैं भोलेनाथ के ऐसे ही एक शिवलिंग के दर्शन होते हैं भिंड के 11 वीं सदी में बने प्राचीन प्रसिद्ध वन खंडेश्वर महादेव मंदिर में बताया जाता है कि महोबा के चंदेल राजा से युद्ध के समय पृथ्वीराज चौहान ने इस जगह पर अपना डेरा डाला था और काफी समय यहां रुके पृथ्वीराज चौहान शिव भक्त थे और प्रतिदिन शिव की पूजा किया करते थे इसलिए उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया और पूजा अर्चना कर यहां ज्योत जलाई इस मंदिर के भीतर अखंड ज्योत तभी से निरंतर जल रही है क्योंकि यहां घना जंगल हुआ करता था इसलिए इस मंदिर का नाम वन खंडेश्वर पड़ा ।

मंदिर में सौगंध लेने आते हैं लोग स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां आसपास के इलाकों के लोग अपनी पुराने लड़ाई झगड़ों और चोरी डकैती के संदेही व्यक्तियों को सौगंध दिलवाने आते हैं लोगों का कहना है कि जो व्यक्ति गलत होता है वह खुद इस मंदिर में सौगंध लेने से डरता है क्योंकि वन खंडेश्वर महादेव की महिमा ही ऐसी है कि झूठी सौगंध खाने वाले को इसका परिणाम भुगतना पड़ता है

श्रावण में पूजा का है खास महत्व
शिव पुराण में श्रावण के महीने की बहुत महिमा बताई गई है इसमें कहा गया है कि जो भक्त श्रावण सोमवार के दिन शिवजी की पूजा करेगा और उनका अभिषेक करेगा वह समस्त कष्टों को छुटकारा पाकर सभी उसकी मनोकामनाएं पूरी होंगी मंदिर के पुजारी बताते हैं कि शिव जी आपकी श्रद्धा से खुश होते हैं जरूरी नहीं कि आप भी फल फूल जैसी चीजों से उनकी सेवा करें शिवजी तो जलाभिषेक मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है सावन के महीने में कांवड़िए दूर-दूर से कांवड़ भरकर लाते हैं और शिवजी का अभिषेक करते हैं इन दिनों में यह नजारा देखने लायक होता


Conclusion:आज देश में भले ही लाल बत्ती का कल्चर खत्म हो गया हो लेकिन महाशिवरात्रि पर देवासी राज वन खंडेश्वर महाराज शिव बारात में लाल बत्ती लगी पालकी में सवार होकर बड़ी शान से निकलते हैं वन खंडेश्वर महादेव की बारात में पूरा शहर और दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालु शामिल होते हैं इस मौके पर शिव जी का खास श्रंगार भी किया जाता है पालकी पर चांदी का छत्र सभी का ध्यान आकर्षित करते हैं वही दशहरे की शाम भी वन खंडेश्वर महादेव को हीरे जवाहरात जड़े मुकुट और आभूषणों से सजाया जाता है।

बाइट - पुजारी वन खंडेश्वर मंदिर
बाइट- श्रद्धालु
बाइट- वीरेंद्र पांडे, वरिष्ठ मार्गदर्शक, पुरातत्व विभाग

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