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भिंड में मंडी सोसाइटी में लापरवाही से खुले में रखा हजारों क्विंटल बाजरा, कौन होगा भीगने पर जिम्मेदार - Mandi Society in Bhind

भिंड में मंडी सोसाइटियों में हजारों क्विंटल बाजरा खुले में रखा हुआ है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि अगर बारिश में ये बाजरा भीग जाएगा, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा.

millet kept carelessly in open
खुले में रखा हजारों क्विंटल बाजरा
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Published : Dec 16, 2020, 11:00 PM IST

भिंड। मध्य प्रदेश में सरकार भले ही किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए फसल खरीदी कर रही हो. साथ ही समर्थन मूल्य पर खरीदी कर किसानों को फसल के उचित दाम देने की बात कह रही हो, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही उस फसल के मुनाफे से ज्यादा नुकसान पहुंचाने पर तुली है. क्योंकि भिंड जिले में जब मौसम आंख मिचोली खेल रहा है तब भिंड के किसानों की हजारों क्विंटल बाजरा, खरीदी केंद्रों पर खुले में रखे होने के कारण बारिश में भीगने के इंतजार कर रही है. इससे किसानों को कितना नुकसान होगा, इस बात का अंदाजा खुद लगाया जा सकता है.

जिले में 8000 से ज्यादा किसानों के पंजीयन के बाद समर्थन मूल्य पर बाजरे की फसल खरीदी के लिए 20 उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं, लेकिन ज्यादातर उपार्जन केंद्रों पर आज भी फसलें तुलाई के बाद खुले आसमान के नीचे रखी हुई है. इस बात की जानकारी जब ETV भारत को मिली तो ETV भारत की टीम ने ग्राउंड पर पहुंचकर हालातों का जायजा लिया. जहां देखा कि हजारों बोरियों में भरा बाजरा खुले आसमान के नीचे रखा हुआ है, जिससे मंडी प्रशासन की लापरवाही साफ झलक रही है.

इसको लेकर जब कृषि उपज मंडी में मौजूद किसान नेता संजीव बरुआ से बात की गई तो, उन्होंने कहा कि किसान की हर हाल में दुर्गति हो रही है. पहले अपनी फसल का पंजीयन होने के बाद उसे तुलाई के लिए कई दिनों तक परेशान होना पड़ता है. और अब उसकी फसल खुले आसमान के नीचे रखी है, ऐसे में अगर पर्ची मिलने से पहले बारिश हो जाती है और यह बाजरा खराब हो जाता है तो वह नुकसान किसान के हिस्से में आएगा.

क्या कहता है नियम

किसान नेता संजीव बरुआ ने बताया कि नियमानुसार फसल की तौल होने के बाद जब तक उसकी पर्ची किसान को नहीं मिलती तब तक फसल किसान की ही मानी जाती है. नियम कहता है कि फसल तोले जाने के बाद अगले 24 घंटे में उसे वेयरहाउस में ट्रांसफर करना होता है, लेकिन जिले में सोसाइटी ऐसा नहीं कर रही है, क्योंकि अगर पर्ची किसान के हाथ आ जाएगी तो फिर इसका नुकसान प्रशासन को झेलना पड़ेगा. ऐसे में जिम्मेदार अधिकारियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए.

बारदाने की कमी से बंद हुई फसल की तौल

किसान नेता संजीव बरुआ ने बताया कि बारदाना खत्म हो जाने की वजह से फसल की तौल नहीं हो पा रही थी. ऐसे में बाजरा खरीदी पर अनचाही रोक लग दी गई, जिसकी परेशानी अब किसानों को उठानी पड़ेगी. क्योंकि जब तक कॉल शुरू नहीं होगी, तब तक किसान अपनी फसल के साथ इंतजार करने को मजबूर रहेगा.

क्या बोले जिम्मेदार अधिकारी

मंडी में खुले में रखी फसल को लेकर भिंड कलेक्टर डॉ. वीरेंद्र नवल सिंह रावत ने कहा कि मंडी सोसायटियों को पहले ही निर्देशित किया जा चुका है, कि बारदाने में भरी फसल की स्टैकिंग यानी उन्हें एक के ऊपर एक व्यवस्थित तरीके से रखा जाए. साथ ही बारिश और मौसम से बचाव के लिए शेड में रखने के निर्देश भी दिए गए हैं. इसके अलावा शेड की कमी के दौरान प्लास्टिक पल्ली से ढंकने के लिए भी कहा गया है. लगातार सोसाइटी की मॉनिटरिंग भी की जा रही है, जिससे कि सारी चीजें व्यवस्थित रहें.

भिंड। मध्य प्रदेश में सरकार भले ही किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए फसल खरीदी कर रही हो. साथ ही समर्थन मूल्य पर खरीदी कर किसानों को फसल के उचित दाम देने की बात कह रही हो, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही उस फसल के मुनाफे से ज्यादा नुकसान पहुंचाने पर तुली है. क्योंकि भिंड जिले में जब मौसम आंख मिचोली खेल रहा है तब भिंड के किसानों की हजारों क्विंटल बाजरा, खरीदी केंद्रों पर खुले में रखे होने के कारण बारिश में भीगने के इंतजार कर रही है. इससे किसानों को कितना नुकसान होगा, इस बात का अंदाजा खुद लगाया जा सकता है.

जिले में 8000 से ज्यादा किसानों के पंजीयन के बाद समर्थन मूल्य पर बाजरे की फसल खरीदी के लिए 20 उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं, लेकिन ज्यादातर उपार्जन केंद्रों पर आज भी फसलें तुलाई के बाद खुले आसमान के नीचे रखी हुई है. इस बात की जानकारी जब ETV भारत को मिली तो ETV भारत की टीम ने ग्राउंड पर पहुंचकर हालातों का जायजा लिया. जहां देखा कि हजारों बोरियों में भरा बाजरा खुले आसमान के नीचे रखा हुआ है, जिससे मंडी प्रशासन की लापरवाही साफ झलक रही है.

इसको लेकर जब कृषि उपज मंडी में मौजूद किसान नेता संजीव बरुआ से बात की गई तो, उन्होंने कहा कि किसान की हर हाल में दुर्गति हो रही है. पहले अपनी फसल का पंजीयन होने के बाद उसे तुलाई के लिए कई दिनों तक परेशान होना पड़ता है. और अब उसकी फसल खुले आसमान के नीचे रखी है, ऐसे में अगर पर्ची मिलने से पहले बारिश हो जाती है और यह बाजरा खराब हो जाता है तो वह नुकसान किसान के हिस्से में आएगा.

क्या कहता है नियम

किसान नेता संजीव बरुआ ने बताया कि नियमानुसार फसल की तौल होने के बाद जब तक उसकी पर्ची किसान को नहीं मिलती तब तक फसल किसान की ही मानी जाती है. नियम कहता है कि फसल तोले जाने के बाद अगले 24 घंटे में उसे वेयरहाउस में ट्रांसफर करना होता है, लेकिन जिले में सोसाइटी ऐसा नहीं कर रही है, क्योंकि अगर पर्ची किसान के हाथ आ जाएगी तो फिर इसका नुकसान प्रशासन को झेलना पड़ेगा. ऐसे में जिम्मेदार अधिकारियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए.

बारदाने की कमी से बंद हुई फसल की तौल

किसान नेता संजीव बरुआ ने बताया कि बारदाना खत्म हो जाने की वजह से फसल की तौल नहीं हो पा रही थी. ऐसे में बाजरा खरीदी पर अनचाही रोक लग दी गई, जिसकी परेशानी अब किसानों को उठानी पड़ेगी. क्योंकि जब तक कॉल शुरू नहीं होगी, तब तक किसान अपनी फसल के साथ इंतजार करने को मजबूर रहेगा.

क्या बोले जिम्मेदार अधिकारी

मंडी में खुले में रखी फसल को लेकर भिंड कलेक्टर डॉ. वीरेंद्र नवल सिंह रावत ने कहा कि मंडी सोसायटियों को पहले ही निर्देशित किया जा चुका है, कि बारदाने में भरी फसल की स्टैकिंग यानी उन्हें एक के ऊपर एक व्यवस्थित तरीके से रखा जाए. साथ ही बारिश और मौसम से बचाव के लिए शेड में रखने के निर्देश भी दिए गए हैं. इसके अलावा शेड की कमी के दौरान प्लास्टिक पल्ली से ढंकने के लिए भी कहा गया है. लगातार सोसाइटी की मॉनिटरिंग भी की जा रही है, जिससे कि सारी चीजें व्यवस्थित रहें.

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