भिण्ड। सरकार के लाख दावों के बाद भी कई गांवों तक मूलभूत सुविधाएं आज तक पहुंच पाई हैं. ऐसा ही हाल रौन जनपद पंचायत के मुचा गांव में है, जहां लोग प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता और भ्रष्टाचार का दंश झेल रहे हैं. इस गांव में आजादी के 70 साल बाद न तो सड़क है और दूसरी मूलभूत सुविधाएं. यही नहीं सरकारी योजनाओं का लाभ भी उसके असली हकदारों को नहीं मिल रहा है.
कहने को तो सरकार ने गरीब को रहने के लिए घर दे दिया है. लेकिन मुचा गांव के लोग आज भी कच्चे-मकानों झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं. जिसके चलते बरसात के दिनों में उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वहीं पीएम आवास योजना का लाभ इसके असली हकदार को नहीं मिल पा रहा है. बल्कि अपात्र इसका लाभ लेकर घर बनवा रहे हैं. ग्रामीणों ने पंचायत के सरपंच पर आरोप लगाया है कि हमें किसी भी सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं दिलाया गया है. इसके अलावा आने-जाने के लिए पक्का रास्ता भी नहीं है, जिससे बरसात के दिनों में नाले में पानी भर जाता है और आवागमन बंद हो जाता है. ग्रामीणों की माने तो इस संबंध में उन्होंने सरपंच से लेकर संबंधित अधिकारियों को भी अवगत कराया है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं योजना फेल
इस गांव में 40 से 50 घर हैं, जो मजदूरी पर आश्रित हैं. परिवार के सभी सदस्य सुबह ही खाना पीना खाकर मजदूरी के लिए निकल जाते हैं. इसीलिए जब हमारी टीम गांव पहुंची तो ज्यादातर घरों में ताले लगे थे. इसी दौरान एक लड़की ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाओं की पोल खोलकर रख दी. बिटिया ने कहा कि हमारे पापा बेहद गरीब हैं, इसलिए हमें आठवीं के बाद नहीं पढ़ा पाए, यह कहती हुई बिटिया और उसकी मां भावुक हो गए. जब किसी के सपने टूटते हैं तो आंसू तो आ ही जाते हैं.