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साहूकार के बेटे ने पेश की मिसाल, किसान परिवार को लौटाई 50 साल पहले गिरवी रखी जमीन

आज के दौर में जब जमीन की कीमतें बेतहाशा बढ़ रही हैं और जमीन के छोटे से टुकड़े के लिए भाई भाई का दुश्मन बन जाता है. तब भिंड जिले की मेहगांव विधानसभा के धनौली गांव के किसान हरिओम सिंह भदौरिया ने एक नई मिसाल पेश की.

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Published : Dec 31, 2020, 3:42 PM IST

The moneylender's son
साहूकार के बेटे ने पेश की मिसाल

भिंड। देश का किसान पिछले कई हफ्ते से दिल्ली की सीमा पर अपने हक के लिए संघर्ष कर रहा है, इस आंदोलन की वजह से काफी तनाव की स्थिति बनी हुई है. इस बीच भिंड जिले से बड़ा ही सुकून देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक साहूकार के बेटे ने 50 साल पहले 1300 रुपए में गिरवी रखी गई तीन बीघा जमीन को वापस लौटा दिया, जिसे गरीब किसान ने साहूकार के पिता के नाम कर दिया था, जिसकी कीमत आज 20 लाख रुपए से अधिक है, इतना ही नहीं साहूकार ने जमीन की रजिस्ट्री कराने का पूरा खर्च भी उठाया.

साहूकार के बेटे ने पेश की मिसाल

50 साल पहले गिरवी रखी थी जमीन

मेहगांव विधानसभा के धनौली गांव के किसान हरिओम सिंह भदौरिया के पिता जनक सिंह एक बड़े किसान थे, जिनके पास साल 1970 में पचरा गांव के सरवन सिंह कुशवाहा ने महज 1300 रुपए कर्ज के बदले अपनी तीन बीघा जमीन जनक सिंह के पास गिरवी रख दी थी, गरीबी के चलते किसान कर्ज नहीं चुका पाया, कर्ज लेने के लंबे समय बाद किसान ने जमीन को साहूकार के नाम कर दी, ताकि उसका कर्ज उतर जाये. इसके बाद साहूकार ने तीन बीघा जमीन के बदले उसका 1300 रुपए कर्ज माफ कर दिया और एक समय आया, जब साहूकार और कर्जदार दोनों ही इस दुनिया से रुखसत हो गए.

The moneylender's son
जमीन पाकर भावुक हुआ परिवार

गरीबी देख जमीन लौटाने का किया फैसला

सरवन सिंह की मौत के बाद भी उनके परिवार की माली हालत में कोई सुधार नहीं हुआ, उनके तीन बेटे हैं जो मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं. उनकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए जनक सिंह के बेटे हरिओम सिंह भदोरिया ने वह फैसला लिया जो आज पूरे देश के लिए मिसाल बन रहा है क्योंकि जहां देश का किसान सड़कों पर है. वही हाल ही में हरिओम ने वह गिरवी रखी हुई 3 बीघा जमीन बिना एक पैसा लिए ही सरवन सिंह के बेटे तिलक सिंह को वापस की है. वह भी महल कहने को नहीं बल्कि अपने खर्च पर रजिस्ट्री भी सरनाम के परिवार के नाम कर दी है. जमीन वापस मिलने पर तिलक सिंह और उनका परिवार काफी खुश है.

The moneylender's son
साहूकार के बेटे ने पेश की मिसाल

20 लाख तक लग गई थी खेत की कीमत

जमीन लौटाने वाले हरिओम सिंह भदोरिया कहते हैं कि आज किसानों की हालत देश में हम सभी देख रहे हैं सरकार उनकी मदद को आगे नहीं आ रही. वह खुद भी एक किसान हैं और अपने भाई बंधुओं का दर्द समझते हैं. हरिओम का कहना है कि तिलक का परिवार बेहद गरीब है अगर उनके पास जमीन नहीं रहती तो शायद भविष्य में यह परिवार भूखों मरने की कगार पर आ जाता. उन्होंने इस संबंध में पहले अपने परिवार से बातचीत की और फिर जमीन वापस लौटाने का फैसला कर लिया. हरि सिंह ने यह भी बताया कि कई लोग इस जमीन के लिए उनके पास कीमत लगा चुके थे कभी 12 लाख से शुरू हुई कीमत 20 लाख तक लगाई जा चुकी थी इसके बावजूद भदौरिया ने अपने संकल्प पर कायम रहकर जमीन तिलक सिंह के परिवार के नाम कर दी.

The moneylender's son
परिवार की माली हालत है खस्ता

दरियादिली की हर तरफ तारीख

हरिओम की दरियादिली की चर्चा आप सभी जगह हो रही है तिलक सिंह के पड़ोसी भी कह रहे हैं कि उन्होंने आज तक ऐसा व्यक्ति नहीं देखा जहां भाई भाई के बीच जमीन को लेकर लड़ाइयां हो जाती हैं वहां बिना अपना स्वार्थ देखे इतना बड़ा कदम उठा लेना सराहनीय है उन्होंने किसान परिवार को भूखों मरने से बचा लिया है

हरिओम ने बड़ा दिल दिखाते हुए 50 साल पहले प्रपोज द्वारा खरीदी गई जमीन बिना किसी शर्त तिलक सिंह के परिवार को वापस कर दी. इस काम में हरिओम का परिवार और दोस्तों ने भी उनका साथ दिया. आज हरिओम की इच्छा है कि उनके काम को देखकर और लोग भी प्रेरित हो और जरूरतमंद किसानों और गरीबों की मदद के लिए आगे आएं. अगर ऐसा होता है तो उनका यह प्रयास सफल साबित होगा.

भिंड। देश का किसान पिछले कई हफ्ते से दिल्ली की सीमा पर अपने हक के लिए संघर्ष कर रहा है, इस आंदोलन की वजह से काफी तनाव की स्थिति बनी हुई है. इस बीच भिंड जिले से बड़ा ही सुकून देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक साहूकार के बेटे ने 50 साल पहले 1300 रुपए में गिरवी रखी गई तीन बीघा जमीन को वापस लौटा दिया, जिसे गरीब किसान ने साहूकार के पिता के नाम कर दिया था, जिसकी कीमत आज 20 लाख रुपए से अधिक है, इतना ही नहीं साहूकार ने जमीन की रजिस्ट्री कराने का पूरा खर्च भी उठाया.

साहूकार के बेटे ने पेश की मिसाल

50 साल पहले गिरवी रखी थी जमीन

मेहगांव विधानसभा के धनौली गांव के किसान हरिओम सिंह भदौरिया के पिता जनक सिंह एक बड़े किसान थे, जिनके पास साल 1970 में पचरा गांव के सरवन सिंह कुशवाहा ने महज 1300 रुपए कर्ज के बदले अपनी तीन बीघा जमीन जनक सिंह के पास गिरवी रख दी थी, गरीबी के चलते किसान कर्ज नहीं चुका पाया, कर्ज लेने के लंबे समय बाद किसान ने जमीन को साहूकार के नाम कर दी, ताकि उसका कर्ज उतर जाये. इसके बाद साहूकार ने तीन बीघा जमीन के बदले उसका 1300 रुपए कर्ज माफ कर दिया और एक समय आया, जब साहूकार और कर्जदार दोनों ही इस दुनिया से रुखसत हो गए.

The moneylender's son
जमीन पाकर भावुक हुआ परिवार

गरीबी देख जमीन लौटाने का किया फैसला

सरवन सिंह की मौत के बाद भी उनके परिवार की माली हालत में कोई सुधार नहीं हुआ, उनके तीन बेटे हैं जो मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं. उनकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए जनक सिंह के बेटे हरिओम सिंह भदोरिया ने वह फैसला लिया जो आज पूरे देश के लिए मिसाल बन रहा है क्योंकि जहां देश का किसान सड़कों पर है. वही हाल ही में हरिओम ने वह गिरवी रखी हुई 3 बीघा जमीन बिना एक पैसा लिए ही सरवन सिंह के बेटे तिलक सिंह को वापस की है. वह भी महल कहने को नहीं बल्कि अपने खर्च पर रजिस्ट्री भी सरनाम के परिवार के नाम कर दी है. जमीन वापस मिलने पर तिलक सिंह और उनका परिवार काफी खुश है.

The moneylender's son
साहूकार के बेटे ने पेश की मिसाल

20 लाख तक लग गई थी खेत की कीमत

जमीन लौटाने वाले हरिओम सिंह भदोरिया कहते हैं कि आज किसानों की हालत देश में हम सभी देख रहे हैं सरकार उनकी मदद को आगे नहीं आ रही. वह खुद भी एक किसान हैं और अपने भाई बंधुओं का दर्द समझते हैं. हरिओम का कहना है कि तिलक का परिवार बेहद गरीब है अगर उनके पास जमीन नहीं रहती तो शायद भविष्य में यह परिवार भूखों मरने की कगार पर आ जाता. उन्होंने इस संबंध में पहले अपने परिवार से बातचीत की और फिर जमीन वापस लौटाने का फैसला कर लिया. हरि सिंह ने यह भी बताया कि कई लोग इस जमीन के लिए उनके पास कीमत लगा चुके थे कभी 12 लाख से शुरू हुई कीमत 20 लाख तक लगाई जा चुकी थी इसके बावजूद भदौरिया ने अपने संकल्प पर कायम रहकर जमीन तिलक सिंह के परिवार के नाम कर दी.

The moneylender's son
परिवार की माली हालत है खस्ता

दरियादिली की हर तरफ तारीख

हरिओम की दरियादिली की चर्चा आप सभी जगह हो रही है तिलक सिंह के पड़ोसी भी कह रहे हैं कि उन्होंने आज तक ऐसा व्यक्ति नहीं देखा जहां भाई भाई के बीच जमीन को लेकर लड़ाइयां हो जाती हैं वहां बिना अपना स्वार्थ देखे इतना बड़ा कदम उठा लेना सराहनीय है उन्होंने किसान परिवार को भूखों मरने से बचा लिया है

हरिओम ने बड़ा दिल दिखाते हुए 50 साल पहले प्रपोज द्वारा खरीदी गई जमीन बिना किसी शर्त तिलक सिंह के परिवार को वापस कर दी. इस काम में हरिओम का परिवार और दोस्तों ने भी उनका साथ दिया. आज हरिओम की इच्छा है कि उनके काम को देखकर और लोग भी प्रेरित हो और जरूरतमंद किसानों और गरीबों की मदद के लिए आगे आएं. अगर ऐसा होता है तो उनका यह प्रयास सफल साबित होगा.

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