भिंड। चंबल कभी बागियों और डकैतों का जनक माना जाता था. लेकिन आज वहां के बच्चे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित खेलों में मेडल जीतकर न सिर्फ चम्बल बल्कि पूरे देश का नाम रोशन कर रहे हैं. भिंड ने देश को पहली पैरा कैनो कयाकिंग वॉटर स्पोर्ट्स महिला खिलाड़ी दी. जिसने न सिर्फ इस खेल में पांच बार नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड जीता, बल्कि हंगरी में आयोजित हुई एशियन पैरा चैंपियनशिप में भी सिलवर मेडल जीतकर देश का परचम लहराया. वहीं अब जिले में बच्चे कराटे जैसी खेल विधाओं में पारंगत होकर आगे बढ़ रहे हैं.
MMA नैशनल चैम्पियनशिप में आदेश का ‘गोल्ड’
खेल हमें ताकतस स्फूर्ति और अनुशासन सिखाता है. यही वजह है कि खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा भिंड जिले में बच्चों को मार्शल आर्ट्स का विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है. खेलों के प्रति बढ़ती रुचि की वजह से भिंड के बच्चे भी कड़ी ट्रेनिंग और मेहनत से अपना हुनर दिखा रहे हैं. भिंड शहर के MJS क्रिकेट ग्राउंड स्थित शासकीय व्यायामशाला में लड़के-लड़कियां मार्शल आर्ट्स के गुर सीख रहे हैं. कई बच्चे तो इनके ऐसे हैं जो अपनी काबिलियत के दम पर राष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेकर मेडल जीत कर लाए हैं. हाल ही में भिंड के आदेश सगर ने इंदौर में आयोजित हुई मिक्स मार्शल आर्ट्स (MMA) की नेशनल चैम्पीयनशिप में गोल्ड मेडल जीता है.
अंडर-18 न होते तो कजाकिस्तान में करते देश का प्रतिनिधित्व
आदेश कहते हैं कि वे अपनी ट्रेनिंग में कोताही नहीं बरतते है. अपने कोच की ट्रेनिंग और मेहनत का शुक्रिया अदा करते हुए आदेश ने बताया कि मिक्स मार्शल आर्ट्स अभी भारत के लिए नया है, और तेजी से विकसित हो रहा है. हाल ही में इंदौर में आयोजित ओपन इंडिया नेशनल चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है. इससे पहले भी उन्होंने 3 स्टेट और 3 नेशनल चैम्पीयन्शिप्स में मेडल जीते हैं. हालांकि इंदौर में आयोजित हुई नेशनल चैम्पीयन्शिप में ही कजाकिस्तान में होने वाली प्रतिस्पर्धा के लिए चयन प्रक्रिया भी थी. लेकिन गोल्ड जीतने के बावजूद अंडर-18 होने की वजह से आदेश का चयन नहीं हो सका. लेकिन गोल्ड जीतने की खुशी उस मलाल से कई ज्यादा है.
मार्शल आर्ट्स में बेटियां भी पीछे नहीं
मार्शल आर्ट्स में सिर्फ लड़के ही नहीं भिंड की लड़कियां भी आगे आ रहीं हैं. प्रशिक्षण केंद्र पर कराटे ट्रेनिंग ले रही स्कूली छात्रा भारती भदौरिया का कहना है कि आज के समय में बेटियां किसी से काम नहीं हैं. लेकिन वर्तमान हालातों में वे सुरक्षित भी नहीं हैं. ऐसे में आत्मरक्षा बहुत जरूरी है. इसलिए वे भी मार्शल आर्ट्स सीख रहीं हैं. साथ ही वे इस खेल में आगे जाकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल कर अपने परिवार और भिंड का नाम रोशन करना चाहती हैं.
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कोच का बच्चों पर होता है विशेष ध्यान
इस केंद्र का संचालन खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा किया जाता है. केंद्र में प्रशिक्षक संजय सिंह ने बताया कि वे पिछले तीन सालों से भिंड में बच्चों को प्रशिक्षण दे रहे हैं. जिसमें उनके सहयोगी और मार्शल आर्ट्स में ब्लैक बेल्ट पंकज भी उनकी मदद करते हैं. उन्होंने बताया कि भिंड के बच्चे बहुत प्रतिभाशाली हैं, उनके स्टूडेंट कई प्रतिस्पर्धाओं में मेडल लेकर आए हैं. दो स्टूडेंट्स तो SGFI में किक बॉक्सिंग नेशनल्स में सिल्वर मेडल जीत कर लाए हैं. आदेश सगर ने एमएमए की ओपन इंडिया नेशनल चेंपियनशिप में गोल्ड जीता है, और भी कई बच्चे हैं जिन्होंने जिले का नाम रोशन किया है. उन्होंने जनता से भी अपील की है कि वे अपने बच्चों को ट्रेनिंग के लिए भेजें. जिससे बच्चे आत्मनिर्भर और अनुशासित होने के साथ अच्छे खिलाड़ी भी बनेंगे.