भिंड। भिंड की रोशनी को नई पहचान मिली है, वो अब महिला एवं बाल विकास विभाग की ब्रांड एंबेसडर होंगी. अजनोल गांव की रहने वाली रौशनी की कहानी प्रेरणा देने वाली है. उनमें पढ़ाई का ऐसा जुनून है कि वो रोज बिना ब्रेक किए स्कूल जाती थीं. उसका स्कूल गांव से 12 किमी दूर था. इससे वो रोज 24 किमी का सफर वो तय करती थीं. उनकी मेहनत की ही नतीजा रहा कि हाल ही में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10वीं की परीक्षा में रौशनी ने 98.5 प्रतिशत अंक हासिल किए थे, जिसकी चर्चा चारों ओर रही.
रोशनी भदौरिया ने मध्य प्रदेश बोर्ड 10वीं 2020 की परीक्षा में 98.5 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं. रोशनी अपने घर से 24 किलोमीटर साइकिल चलाकर स्कूल पढ़ने के लिए जाती हैं. उनकी मेहनत को देखकर लोग भी हैरान रह जाते हैं. उन्हें महिला एवं बाल विकास विभाग का ब्रांड एंबेसडर बनाए जाने की घोषणा होने के बार परिवार में खुशी का माहौल है. परिवार के सदस्यों ने ईटीवी भारत से बात भी की है.
रोशनी का संदेश
छात्रा रोशनी कहती हैं कि उन्हें इस बारे में ज्यादा पता नहीं कि ब्रांड एंबेसडर होता क्या है, लेकिन जब किसी के लिए प्रेरणा बनने की जिम्मेदारी मिल रही है तो उसे पूरी शिद्दत से निभाएंगी. हालांकि वे यह भी कहती हैं कि अभी आगे भी 11वीं और 12वीं की पढ़ाई पर ध्यान देना है, क्योंकि आगे की पढ़ाई ज्यादा महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि आप पढ़ाई में कमजोर हैं तो ब्लू प्रिंट के जरिए और टाइमटेबल बनाकर पढ़ाई करनी चाहिए.
शिक्षक ने जताई खुशी
आईएएस अफसर बनने की चाह रखने वाली रोशनी के कोचिंग शिक्षक अनुज पुजारी ने बताया कि वे रोशनी को चौथी कक्षा से पढ़ा रहे हैं. उनकी छात्रा ने गुरु पूर्णिमा से पहले ही अच्छे अंक से पास होकर गुरुदीक्षा दी थी और अब वह प्रदेश में महिला बाल विकास विभाग का चेहरा बनने जा रही हैं. इससे अच्छी क्या बात हो सकती है.
दादा का सीना गर्व से चौड़ा
खुशखबरी मिलने के बाद रोशनी का परिवार गर्व महसूस कर रहा है. रोशनी के दादा उदय सिंह भदौरिया का कहना है कि उनकी बच्ची ने मेहनत की उसका फल उसे मिला है. आगे भी उसकी पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी. उन्होंने कहा कि उनको जब पता चला तो गर्व से सीना चौड़ा हो गया उनकी बेटी ने प्रदेश में उनका नाम रोशन कर दिया है.
पूरे प्रदेश का नाम किया रोशन
रोज 24 किमी स्कूल साइकिल चलाकर स्कूल जाने वाली रोशनी उन तमाम लड़कियों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं, जो अपने आप को लड़कों से कम आंकती हैं. रोशनी भदौरिया की उपलब्धि से न सिर्फ उनके परिवार बल्कि भिंड जिले का नाम रोशन हुआ है.