ETV Bharat / state

अफसर बेटे की पहल, पिता की तेरहवीं पर भोज ना कराकर बनवाएंगे सामुदायिक भवन - भिंड

समाज में मृत्युभोज जैसी कुरीति को दूर करने के लिए पुलिस अधिकारी रवि सिंह भदौरिया आगे आए हैं. उन्होंने अपने पिता की तेरहवीं पर भोज ना कराकर उसकी जगह गांव में सामुदायिक भवन बनवाने का फैसला किया है.

DSP Ravi Singh Bhadoria
डीएसपी रवि सिंह भदौरिया
author img

By

Published : Nov 22, 2020, 10:48 AM IST

भिंड। आज के आधुनिक दौर में हम विकास की बात करते हैं, क्षेत्र की उन्नति की बात करते हैं. लेकिन चंबल अंचल में आज भी एक ऐसी कुरीति हैं, जिसने न जाने कितने परिवारों को कर्ज के मुंह में धकेल दिया. यह कुरीति है मृत्यु भोज. मृत्यु भोज यानी परिवार के किसी सदस्य के मरणोपरांत उसकी याद में रखा गया भोज. चंबल अंचल में मृत्यु भोज यानी तेरहवीं प्रतिष्ठा का सवाल होती है. व्यक्ति की क्षमता के अनुसार उसे अपने रिश्तेदारों और लोगों को भोज कराना होता है, जो 50 लोगों से लेकर 5000 लोगों तक हो सकता है. जिसमें काफी खर्च भी आता है. लेकिन मृत्यु भोज में लगने वाला पैसा यदि समाज के हित में लगाया जाए तो उससे विकास की लहर पैदा होती है और इसकी शुरुआत कर रहे हैं भिंड जिले के रायपुरा गांव के निवासी डीएसपी रैंक के पुलिस अधिकारी रवि सिंह भदौरिया. उन्होंने अपने पिता की तेरहवीं ना कराकर उसकी जगह उसी पैसे से क्षेत्र की विकास कराने की बात कही है.

Father of Ravi Singh Bhadoria
रवि सिंह भदौरिया के पिता

मृत्यु भोज की जगह गांव के विकास का फैसला

पुलिस विभाग में सीएसपी रहे रवि सिंह भदौरिया वर्तमान में भोपाल हेड क्वार्टर में पदस्थ हैं, जो मूल रूप से भिंड जिले के रायपुरा गांव के निवासी हैं. रवि सिंह भदौरिया के पिता का 8 नवंबर को देहांत हो गया था, लेकिन उन्होंने मृत्यु भोज की कुरीति को आगे बढ़ाने की बजाए अपने परिवार से सलाह मशवरा कर समाज के लिए कुछ बेहतर करने का निर्णय लिया है. उन्होंने गांव में बने शासकीय स्कूल परिसर के बिल्डिंग को तुड़वा कर वहां सामुदायिक भवन बनाने की बात कही है. जिसके लिए उन्होंने भूमि पूजन भी कर दिया है.

डीएसपी की सामाजिक पहल

परिजनों ने भी दिया साथ

डीएसपी रवि सिंह भदौरिया ने अपने पिता की तेरहवीं पर पूरे गांव को भोज कराने की बजाए सामुदायिक भवन बनाने का निर्णय लिया तो उनके परिवार ने भी उनका साथ दिया. रवि सिंह भदोरिया ईटीवी भारत को बताया कि उनके मन में शुरुआत से ही यह इच्छा थी कि जो कुरीतियां समाज को विकास की बजाय पीछे धकेल रहीं हैं. ऐसी कुरीतियों के खिलाफ वे अपनी आवाज बुलंद कर समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं. अपने रिटायर्ड इंस्पेक्टर पिता राम बाबू सिंह भदौरिया की मृत्यु के बाद यह फैसला किया. जिसमें उनके तीन भाइयों ने भी उनका समर्थन किया है.

Community building will be built here
यहां बनेगा सामुदायिक भवन

गांव को होगा फायदा

डीएसपी भदौरिया का मानना है कि उनकी इस पहल से न सिर्फ समाज को बल्कि पूरे ग्राम को फायदा मिलेगा. स्कूल परिसर में ही भवन बनाने से यहां न सिर्फ बच्चों की पढ़ाई हो सकेगी बल्कि गांव में होने वाले कार्यक्रम और शादियां भी इसे सामुदायिक भवन से हो पाएंगे. जिससे लोगों का व्यर्थ जाने वाला पैसा बचेगा और लोगों में जागरुकता आएगी.

Community building will be built here
यहां बनेगा सामुदायिक भवन

शिक्षा में सुधार की कवायद

रवि सिंह भदौरिया ने बताया कि जब उन्होंने यह प्रस्ताव अपने परिवार के सामने रखा तो सभी चौक गए. इस बात पर काफी मंथन हुआ और अंत में सभी इस बात के लिए राजी हो गए कि मृत्यु भोज की जगह हम अपने गांव के विकास के लिए एक सामुदायिक भवन बनवाएं जिससे न सिर्फ लोगों को एक सामुदायिक भवन मिलेगा. बल्कि गिरते शिक्षा के स्तर में भी सुधार आएगा और उस भवन में स्कूल की कक्षाएं भी लग सकेंगे. इस फैसले के बाद पूरे गांव में पंचायत लगाई गई और सब से सलाह मशवरा कर उनके फैसले पर मुहर लगाई गई. जिसके बाद शिक्षा विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया गया जो इस प्रस्ताव से काफी प्रभावित हुए और 21 नवंबर के दिन इस सामुदायिक भवन का भूमि पूजन भी किया गया.

प्राइवेट शिक्षक रखेंगे, लाइब्रेरी बनाने की भी इच्छा

ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर बहुत अच्छा नहीं है. जिसका एक बड़ा कारण है शिक्षकों की कमी. रवि सिंह भदौरिया का कहना है कि गांव में स्कूल तो बना है लेकिन केवल 2 शिक्षक ही पदस्थ हैं ऐसे में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होना आम बात है, इसलिए उन्होंने इस बात का भी फैसला किया है कि आगे भविष्य में वे इसे स्कूल के लिए एक प्राइवेट शिक्षक भी रखेंगे जिसका वह भी उन्हीं का परिवार करेगा, इसके अलावा भविष्य में वह इस स्कूल के लिए एक लाइब्रेरी का भी निर्माण करना चाहते हैं जिससे कि बच्चों को पढ़ाई के लिए बेहतर माहौल मिल सके.

लोगों में जागरूकता जरूरी

रवि सिंह भदौरिया का मानना है कि सिर्फ कह देने भर से लोगों में जागरूकता नहीं आती. लेकिन उनकी पहल कहीं ना कहीं लोगों में जागरूकता लाने का काम करेगी ऐसी उन्हें उम्मीद है क्योंकि जब लोग देखेंगे कि गांव में हमने एक सामुदायिक भवन बनाया है तो अगली बार हो सकता है, उनके मन में भी इस तरह के विचार आएं और बजाय मृत्यु भोज के वे इस पर विचार करें कि कोई व्यक्ति सड़क निर्माण करा दे. कोई व्यक्ति गांव के विकास में पैसा लगाए. ऐसे में सिर्फ शासन के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा और गांव तेजी से विकास करेगा समस्याओं को दूर किया जा सकेगा.

क्या कहते हैं गांव के बुजुर्ग

बात प्रथाओं पर आती है तो सबसे पहले गांव के बड़े बुजुर्ग अपनी बात रखते हैं. ज्यादातर इलाकों में प्रथाओं में बदलाव लोगों को पसंद नहीं आता, लेकिन रवि सिंह भदौरिया और उनके परिवार के द्वारा सामुदायिक भवन बनाने और मृत्यु भोज को नकारने को लेकर रायपुरा गांव के ग्रामीण कहते हैं कि यह एक नेक पहल है और समाज के उत्थान के लिए है. ऐसे में सभी उनका समर्थन कर रहे हैं और कोशिश रहेगी कि आगे भी सकारात्मक रूप से इस नई प्रथा को आगे बढ़ाया जा सके.

सरपंच बोले अच्छी पहल गांव को होगा फायदा

रायपुरा पंचायत के सरपंच भी भूमि पूजन के दौरान मौके पर मौजूद रहे. ईटीवी भारत ने जब उनसे बात की तो उनका कहना था कि इस पहल से वाकई लोग प्रभावित हैं और आगे उनके मन में भी इस तरह से गांव के विकास की इच्छा जाग रही है. गांव में सामुदायिक भवन बनने से शिक्षा के स्तर में भी सुधार आएगा जब ग्रामीण क्षेत्र अच्छा होगा तो भिंड जिले का भी नाम आगे रोशन होगा.

मृत्यु भोज के नाम पर आज लाखों रुपए खर्च होते हैं जबकि पुराने समय में केवल सक्षम और धनवान लोग की मृत्यु भोज का आयोजन किया करते थे अपनी प्रतिष्ठा दिखाने के लिए लंबा खर्चा उठाया जाता था देखा देखी आज समाज में इस कुरीति ने न जाने कितने घर बर्बाद भी कर दिए हैं लेकिन रवि सिंह भदोरिया और उनका परिवार इस कुरीति के खिलाफ एक नेक पहल कर रहा है जिससे उम्मीद है कि लोगों में जागरूकता आएगी और धीरे-धीरे मृत्यु भोज का चलन खत्म हो जाएगा.

भिंड। आज के आधुनिक दौर में हम विकास की बात करते हैं, क्षेत्र की उन्नति की बात करते हैं. लेकिन चंबल अंचल में आज भी एक ऐसी कुरीति हैं, जिसने न जाने कितने परिवारों को कर्ज के मुंह में धकेल दिया. यह कुरीति है मृत्यु भोज. मृत्यु भोज यानी परिवार के किसी सदस्य के मरणोपरांत उसकी याद में रखा गया भोज. चंबल अंचल में मृत्यु भोज यानी तेरहवीं प्रतिष्ठा का सवाल होती है. व्यक्ति की क्षमता के अनुसार उसे अपने रिश्तेदारों और लोगों को भोज कराना होता है, जो 50 लोगों से लेकर 5000 लोगों तक हो सकता है. जिसमें काफी खर्च भी आता है. लेकिन मृत्यु भोज में लगने वाला पैसा यदि समाज के हित में लगाया जाए तो उससे विकास की लहर पैदा होती है और इसकी शुरुआत कर रहे हैं भिंड जिले के रायपुरा गांव के निवासी डीएसपी रैंक के पुलिस अधिकारी रवि सिंह भदौरिया. उन्होंने अपने पिता की तेरहवीं ना कराकर उसकी जगह उसी पैसे से क्षेत्र की विकास कराने की बात कही है.

Father of Ravi Singh Bhadoria
रवि सिंह भदौरिया के पिता

मृत्यु भोज की जगह गांव के विकास का फैसला

पुलिस विभाग में सीएसपी रहे रवि सिंह भदौरिया वर्तमान में भोपाल हेड क्वार्टर में पदस्थ हैं, जो मूल रूप से भिंड जिले के रायपुरा गांव के निवासी हैं. रवि सिंह भदौरिया के पिता का 8 नवंबर को देहांत हो गया था, लेकिन उन्होंने मृत्यु भोज की कुरीति को आगे बढ़ाने की बजाए अपने परिवार से सलाह मशवरा कर समाज के लिए कुछ बेहतर करने का निर्णय लिया है. उन्होंने गांव में बने शासकीय स्कूल परिसर के बिल्डिंग को तुड़वा कर वहां सामुदायिक भवन बनाने की बात कही है. जिसके लिए उन्होंने भूमि पूजन भी कर दिया है.

डीएसपी की सामाजिक पहल

परिजनों ने भी दिया साथ

डीएसपी रवि सिंह भदौरिया ने अपने पिता की तेरहवीं पर पूरे गांव को भोज कराने की बजाए सामुदायिक भवन बनाने का निर्णय लिया तो उनके परिवार ने भी उनका साथ दिया. रवि सिंह भदोरिया ईटीवी भारत को बताया कि उनके मन में शुरुआत से ही यह इच्छा थी कि जो कुरीतियां समाज को विकास की बजाय पीछे धकेल रहीं हैं. ऐसी कुरीतियों के खिलाफ वे अपनी आवाज बुलंद कर समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं. अपने रिटायर्ड इंस्पेक्टर पिता राम बाबू सिंह भदौरिया की मृत्यु के बाद यह फैसला किया. जिसमें उनके तीन भाइयों ने भी उनका समर्थन किया है.

Community building will be built here
यहां बनेगा सामुदायिक भवन

गांव को होगा फायदा

डीएसपी भदौरिया का मानना है कि उनकी इस पहल से न सिर्फ समाज को बल्कि पूरे ग्राम को फायदा मिलेगा. स्कूल परिसर में ही भवन बनाने से यहां न सिर्फ बच्चों की पढ़ाई हो सकेगी बल्कि गांव में होने वाले कार्यक्रम और शादियां भी इसे सामुदायिक भवन से हो पाएंगे. जिससे लोगों का व्यर्थ जाने वाला पैसा बचेगा और लोगों में जागरुकता आएगी.

Community building will be built here
यहां बनेगा सामुदायिक भवन

शिक्षा में सुधार की कवायद

रवि सिंह भदौरिया ने बताया कि जब उन्होंने यह प्रस्ताव अपने परिवार के सामने रखा तो सभी चौक गए. इस बात पर काफी मंथन हुआ और अंत में सभी इस बात के लिए राजी हो गए कि मृत्यु भोज की जगह हम अपने गांव के विकास के लिए एक सामुदायिक भवन बनवाएं जिससे न सिर्फ लोगों को एक सामुदायिक भवन मिलेगा. बल्कि गिरते शिक्षा के स्तर में भी सुधार आएगा और उस भवन में स्कूल की कक्षाएं भी लग सकेंगे. इस फैसले के बाद पूरे गांव में पंचायत लगाई गई और सब से सलाह मशवरा कर उनके फैसले पर मुहर लगाई गई. जिसके बाद शिक्षा विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया गया जो इस प्रस्ताव से काफी प्रभावित हुए और 21 नवंबर के दिन इस सामुदायिक भवन का भूमि पूजन भी किया गया.

प्राइवेट शिक्षक रखेंगे, लाइब्रेरी बनाने की भी इच्छा

ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर बहुत अच्छा नहीं है. जिसका एक बड़ा कारण है शिक्षकों की कमी. रवि सिंह भदौरिया का कहना है कि गांव में स्कूल तो बना है लेकिन केवल 2 शिक्षक ही पदस्थ हैं ऐसे में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होना आम बात है, इसलिए उन्होंने इस बात का भी फैसला किया है कि आगे भविष्य में वे इसे स्कूल के लिए एक प्राइवेट शिक्षक भी रखेंगे जिसका वह भी उन्हीं का परिवार करेगा, इसके अलावा भविष्य में वह इस स्कूल के लिए एक लाइब्रेरी का भी निर्माण करना चाहते हैं जिससे कि बच्चों को पढ़ाई के लिए बेहतर माहौल मिल सके.

लोगों में जागरूकता जरूरी

रवि सिंह भदौरिया का मानना है कि सिर्फ कह देने भर से लोगों में जागरूकता नहीं आती. लेकिन उनकी पहल कहीं ना कहीं लोगों में जागरूकता लाने का काम करेगी ऐसी उन्हें उम्मीद है क्योंकि जब लोग देखेंगे कि गांव में हमने एक सामुदायिक भवन बनाया है तो अगली बार हो सकता है, उनके मन में भी इस तरह के विचार आएं और बजाय मृत्यु भोज के वे इस पर विचार करें कि कोई व्यक्ति सड़क निर्माण करा दे. कोई व्यक्ति गांव के विकास में पैसा लगाए. ऐसे में सिर्फ शासन के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा और गांव तेजी से विकास करेगा समस्याओं को दूर किया जा सकेगा.

क्या कहते हैं गांव के बुजुर्ग

बात प्रथाओं पर आती है तो सबसे पहले गांव के बड़े बुजुर्ग अपनी बात रखते हैं. ज्यादातर इलाकों में प्रथाओं में बदलाव लोगों को पसंद नहीं आता, लेकिन रवि सिंह भदौरिया और उनके परिवार के द्वारा सामुदायिक भवन बनाने और मृत्यु भोज को नकारने को लेकर रायपुरा गांव के ग्रामीण कहते हैं कि यह एक नेक पहल है और समाज के उत्थान के लिए है. ऐसे में सभी उनका समर्थन कर रहे हैं और कोशिश रहेगी कि आगे भी सकारात्मक रूप से इस नई प्रथा को आगे बढ़ाया जा सके.

सरपंच बोले अच्छी पहल गांव को होगा फायदा

रायपुरा पंचायत के सरपंच भी भूमि पूजन के दौरान मौके पर मौजूद रहे. ईटीवी भारत ने जब उनसे बात की तो उनका कहना था कि इस पहल से वाकई लोग प्रभावित हैं और आगे उनके मन में भी इस तरह से गांव के विकास की इच्छा जाग रही है. गांव में सामुदायिक भवन बनने से शिक्षा के स्तर में भी सुधार आएगा जब ग्रामीण क्षेत्र अच्छा होगा तो भिंड जिले का भी नाम आगे रोशन होगा.

मृत्यु भोज के नाम पर आज लाखों रुपए खर्च होते हैं जबकि पुराने समय में केवल सक्षम और धनवान लोग की मृत्यु भोज का आयोजन किया करते थे अपनी प्रतिष्ठा दिखाने के लिए लंबा खर्चा उठाया जाता था देखा देखी आज समाज में इस कुरीति ने न जाने कितने घर बर्बाद भी कर दिए हैं लेकिन रवि सिंह भदोरिया और उनका परिवार इस कुरीति के खिलाफ एक नेक पहल कर रहा है जिससे उम्मीद है कि लोगों में जागरूकता आएगी और धीरे-धीरे मृत्यु भोज का चलन खत्म हो जाएगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.