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तेज आंधी बारिश से गिरी गरीब मजदूर की झोपड़ी, प्रशासन ने नहीं की कोई मदद

पुरानी कहावत है कि नेकी कर दरिया में डाल, लेकिन आज के इस कोरोना काल में कहावत थोड़ी बदल गयी है. आज मदद के नाम पर फ़ोटो खींचकर सोशल मीडिया पर डाला जा रहा है. लेकिन इस फोटो वाली मदद की वजह से कई स्वाभिमानी गरीब लोग आहत हो जाते हैं.

In Ojha village, the administration did not get help even after the hut fell due to strong storm water
ओझा गांव में तेज आंधी पानी से झोपड़ी गिरने के बाद भी प्रशासन से नहीं मिली मदद
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Published : May 9, 2020, 9:28 AM IST

Updated : May 9, 2020, 11:04 AM IST

भिंड। पुरानी कहावत है कि नेकी कर दरिया में डाल, लेकिन आज के इस कोरोना काल मे कहावत थोड़ी बदल गयी है. आज मदद के नाम पर फ़ोटो खींचकर सोशल मीडिया पर डाला जा रहा है. लेकिन इस फोटो वाली मदद की वजह से कई स्वाभिमानी गरीब लोग आहत हो जाते हैं. क्योंकि ऐसे लोग अपनी गरीबी का मज़ाक नहीं उड़वाना चाहते हैं. कुछ इस तरह की तस्वीरें भिंड जिले के ओझा पंचायत में भी सामने आई हैं.

दरअसल, लॉकडाउन की वजह से ओझा गांव के रहने वाले राजकुमार के जीवन पर गहरा असर हुआ है. मेहनत मजदूरी कर पेट पालने वाले राजकुमार को लॉकडाउन की वजह से मजदूरी काम नहीं मिला कुछ ही दिन में भूखे मरने की नौबत आ गई. उसमें भी मौसम मुसीबतों का पहाड़ बनकर टूटा और 26 अप्रैल को आई तेज आंधी बारिश ने गरीब की कुटिया सहित सब कुछ तहस नहस कर दिया. जब 8 दिन तक उसकी मदद को कोई नहीं आया तो राजकुमार ने बांस बल्ली से अपने रहने लायक झोपड़ी तैयार कर ली. ग्राम पंचायत के सचिव ने मौके पर पहुंचकर मदद की बजाय झोपड़ी का फोटो खींच शासन तक यह कहकर पहुंचा दिया कि यह झोपड़ी आपदा में ग्राम पंचायत की ओर से बनवाई गई है. वहीं जिन लोगों के साथ उठना बैठना था. उन्होंने भी राजकुमार की गरीबी का मज़ाक उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

राजकुमार का आरोप है कि गांव के चौकीदार ने उसकी गरीबी का मज़ाक बनाते हुए पूरे गांव में उसका नाम लेकर गरीब की मदद करने का अनाउंसमेंट कर दिया. जिस पर लोग तो आये लेकिन मदद के नाम पर फ़ोटो खींचकर ले जाते रहे, किसी की मदद करने के लिए फ़ोटो खींचने की क्या जरूरत है. मामले को लेकर जब चौकीदार और सरपंच से बात की गई तो उनका कहना है कि वे तो सिर्फ गरीब की मदद कर रहे थे. लेकिन इस तरह नाम लेकर ढिंढोरा पिटवाना और मदद के समय फ़ोटो खींच लेना, किसी व्यक्ति की दशा की नुमाइश करना कितनी सही है यह सोच हमें जरूर सोचने पर मजबूर करती है.

भिंड। पुरानी कहावत है कि नेकी कर दरिया में डाल, लेकिन आज के इस कोरोना काल मे कहावत थोड़ी बदल गयी है. आज मदद के नाम पर फ़ोटो खींचकर सोशल मीडिया पर डाला जा रहा है. लेकिन इस फोटो वाली मदद की वजह से कई स्वाभिमानी गरीब लोग आहत हो जाते हैं. क्योंकि ऐसे लोग अपनी गरीबी का मज़ाक नहीं उड़वाना चाहते हैं. कुछ इस तरह की तस्वीरें भिंड जिले के ओझा पंचायत में भी सामने आई हैं.

दरअसल, लॉकडाउन की वजह से ओझा गांव के रहने वाले राजकुमार के जीवन पर गहरा असर हुआ है. मेहनत मजदूरी कर पेट पालने वाले राजकुमार को लॉकडाउन की वजह से मजदूरी काम नहीं मिला कुछ ही दिन में भूखे मरने की नौबत आ गई. उसमें भी मौसम मुसीबतों का पहाड़ बनकर टूटा और 26 अप्रैल को आई तेज आंधी बारिश ने गरीब की कुटिया सहित सब कुछ तहस नहस कर दिया. जब 8 दिन तक उसकी मदद को कोई नहीं आया तो राजकुमार ने बांस बल्ली से अपने रहने लायक झोपड़ी तैयार कर ली. ग्राम पंचायत के सचिव ने मौके पर पहुंचकर मदद की बजाय झोपड़ी का फोटो खींच शासन तक यह कहकर पहुंचा दिया कि यह झोपड़ी आपदा में ग्राम पंचायत की ओर से बनवाई गई है. वहीं जिन लोगों के साथ उठना बैठना था. उन्होंने भी राजकुमार की गरीबी का मज़ाक उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

राजकुमार का आरोप है कि गांव के चौकीदार ने उसकी गरीबी का मज़ाक बनाते हुए पूरे गांव में उसका नाम लेकर गरीब की मदद करने का अनाउंसमेंट कर दिया. जिस पर लोग तो आये लेकिन मदद के नाम पर फ़ोटो खींचकर ले जाते रहे, किसी की मदद करने के लिए फ़ोटो खींचने की क्या जरूरत है. मामले को लेकर जब चौकीदार और सरपंच से बात की गई तो उनका कहना है कि वे तो सिर्फ गरीब की मदद कर रहे थे. लेकिन इस तरह नाम लेकर ढिंढोरा पिटवाना और मदद के समय फ़ोटो खींच लेना, किसी व्यक्ति की दशा की नुमाइश करना कितनी सही है यह सोच हमें जरूर सोचने पर मजबूर करती है.

Last Updated : May 9, 2020, 11:04 AM IST
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