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लाॅकडाउन के बीच दो वक्त की रोटी को मोहताज ये महिला, जंगल में बेटी के साथ कर रही गुजारा

भिंड जिले में एक महिला अपनी बेटी के साथ गांव के बाहर जंगल में रहने को मजबूर है. महिला जंगल में छप्पर डालकर रहती है. सरकार की कोई मदद महिला तक नहीं पहुंच पा रही है, जिससे उसे कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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Published : Apr 16, 2020, 5:32 PM IST

A woman forced to live in the forest
जंगल में रहने को मजबूर महिला

भिंड। जिले के नयागांव में एक अलग ही दृश्य देखने को मिला. पति के गुजर जाने के बाद महिला मिथलेश अपनी बेटी के साथ गांव के बाहर जंगल में छप्पर बनाकर गुजर बसर कर रही है. महिला खेतों में मजदूरी करके अपने बच्चों का पेट पालती है.

जंगल में रहने को मजबूर महिला

मिथलेश जब मजदूरी के लिए जाती है तो 7 साल की बेटी खाना बनाकर अपनी मां को देने जाती है. यह दृश्य बहुत ही झकझोर देने वाला है. शासन और प्रशासन आखिर ऐसे गरीब वर्गों तक क्यों नहीं पहुंच पाता है.

मिथिलेश बीपीएल कार्ड, उज्ज्वला योजना गैस कनेक्शन, आवास और शौचालय जैसी सुविधाओं से वंचित हैं. जिले में मिथिलेश जैसीं कई महिलाएं हैं जो इस तरह का जीवन जीने को मजबूर हैं. लॉकडाउन के चलते मजदूरी नही मिलने से मिथलेश को दो वक्त की रोटी के लिए कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

भिंड। जिले के नयागांव में एक अलग ही दृश्य देखने को मिला. पति के गुजर जाने के बाद महिला मिथलेश अपनी बेटी के साथ गांव के बाहर जंगल में छप्पर बनाकर गुजर बसर कर रही है. महिला खेतों में मजदूरी करके अपने बच्चों का पेट पालती है.

जंगल में रहने को मजबूर महिला

मिथलेश जब मजदूरी के लिए जाती है तो 7 साल की बेटी खाना बनाकर अपनी मां को देने जाती है. यह दृश्य बहुत ही झकझोर देने वाला है. शासन और प्रशासन आखिर ऐसे गरीब वर्गों तक क्यों नहीं पहुंच पाता है.

मिथिलेश बीपीएल कार्ड, उज्ज्वला योजना गैस कनेक्शन, आवास और शौचालय जैसी सुविधाओं से वंचित हैं. जिले में मिथिलेश जैसीं कई महिलाएं हैं जो इस तरह का जीवन जीने को मजबूर हैं. लॉकडाउन के चलते मजदूरी नही मिलने से मिथलेश को दो वक्त की रोटी के लिए कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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