ETV Bharat / state

शोकाकुल परिवार में होली से शुरू होते हैं त्योहार, जानें क्यों सदियों से निभाई जा रही यह परंपरा

हर साल हम पूर्णिमा पर होलिका दहन और पड़वा पर होली के रंग में रंगे नजर आते हैं, लेकिन इस पर्व में कई परिवार ऐसे होते हैं जो अपने मान्यवर का इंतजार करते हैं. उनके मान्यवर घर में होलिका दहन और रंग गुलाल लगाकर इस त्योहार की शुरुआत करते हैं. इस परंपरा को समय आने पर हिंदू धर्म से जुड़े सभी लोग निभाते हैं. लेकिन कभी किसी ने शायद ही इस परंपरा को शुरुआत और इसके पीछे की वजह जानने का प्रयास किया होगा.

Happy Holi 2023
एमपी होली 2023
author img

By

Published : Mar 8, 2023, 11:54 AM IST

Happy Holi 2023: सनातन हिंदू धर्म में होली का पर्व आदिकाल से प्रतिवर्ष मनाया जाता रहा है, भक्त प्रहलाद की अच्छाई की चिता में बुराई की होलिका का दहन इस पर्व का सार बना. यह ऐसा पर्व है जब रंगों से सारे शिकवे दूर हो जाते हैं, नव वर्ष में त्योहारों का शुभारंभ होता है. लेकिन यह पर्व उन शोकाकुल परिवारों के लिए और भी महत्वपूर्ण माना जाता है. क्योंकि जिस परिवार में किसी का मृत्युशोक हुआ हो वहां पूरे वर्ष या होली तक कोई भी शुभकार्य नही किए जाते और न ही त्योहारों को खुशियां मनाई जाती हैं. इसलिए कहा जाता है कि होली के त्योहार से घर के त्योहार उठते हैं और शुभकार्य शुरू किए जाते हैं. लेकिन क्या कभी सोचा है कि इस परंपरा के पीछे क्या कारण हैं.

बारात आने से पहले भस्म हो गई थी होलिका: मशहूर ज्योतिषाचार्य और पंडित डॉ. प्रणयन एम पाठक कहते हैं की आज तक यह प्रश्न कभी किसी ने उठाया नहीं हम परंपराओं को सदियों से पीढ़ी दर पीढ़ी निभाते आ रहे हैं. ETV Bharat से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि होली का त्योहार क्यों मनाया जाता है या प्रहलाद और उनकी बुआ होलिका की कहानी तो सभी जानते हैं. प्रहलाद को भस्म करने बैठी होलिका अग्निदेव के वरदान के बाद भी अपने भतीजे प्रहलाद की बजाय चिता पर खुद जलकर भस्म हो गई थी. लेकिन कहीं न कहीं उसका परिवार इस मृत्यशोक से प्रभावित हुआ, लेकिन इस परंपरा के शुरू होने की वजह थी उनका विवाह, पौराणिक कथाओं के अनुसार होलिका का विवाह इलोजी से फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होना तय हुआ था. इधर जब अपने भाई हिरण्यकश्यप की जिद पूरी करने के लिए उसके पुत्र और अपने भतीजे को भस्म करने के लिए होलिका अपने साथ बैठा कर अग्नि में जल रही थी उसी समय इलोजी होलिका से विवाह करने बरात लेकर हिरण्यकश्यप के महल पहुंच रहे थे लेकिन उनके आने से पहले ही होलिका जल कर भस्म हो गई.

हिरण्यकश्यप के घर की शुद्धि: माना जाता है जैसे ही इलोजी को अपनी प्रियतमा और होने वाली अर्धांगिनी की मौत की सूचना मिली तो प्रेम और विरह से विभोर इलोजी ने भी उस चिता में कूद लगाई लेकिन तब तक अग्नि शांत हो चुकी थी. ऐसे में वे अपना दिमागी संतुलन खो बैठे और होलिका की भस्म को चारो ओर बिखरने लगे लोगों पर उड़ाने लगे. जब लोगों ने यह देखा तो उन्हें लगा कि अग्नि में भस्म हुई बुराई की शुद्धि इस रख से हो रही है. तब से ही होलिका दहन के बाद उसकी राख उड़ाई जाती है और एक दूसरे को उसी राख से तिलक किया जाता है.

होली से जुड़ी खबरें यहां पढ़ें...

ऐसे होती है शुभ कार्य की शुरूआत: माना जाता है कि होलिका के घर में भी उस समय उसकी मौत से मृत्यु शोक हुआ था और मृत्यु के बाद घर की शुद्धता की जाती है जो इलोजी ने की. तब से ही यह परंपरा शुरू हुई की होली की अग्नि में सभी बुराइयां और शुभकार्य पर लगी रोक भी जलकर खाक हो जाती है. चूंकि चैत्र के साथ हिंदू धर्म में नूतन वर्ष शुरू होता है इसलिए पड़वा पर घर के मान्यवर रंग लगाते हैं और फिर से सभी अच्छे और शुभ कार्य भी घर में शुरू हो जाते हैं. सोचिए आज तक हम इस परंपरा को निभाते आए लेकिन शायद बहुत कम लोगों को इस परंपरा के पीछे की वजह पता थी. तो ज्योतिषविद डॉ प्रणयन एम पाठक से मिली जानकार आपको कैसी लगी इस बारे में कॉमेंट बॉक्स में अपने विचार जरूर साझा करें.

डिस्क्लेमर- इस लेख में दी गई जानकारी मान्यताओं और ज्योतिषविदों की जानकारी के आधार पर है, ETV Bharat इसके पूर्ण सत्य होने का दावा नहीं करता.

Happy Holi 2023: सनातन हिंदू धर्म में होली का पर्व आदिकाल से प्रतिवर्ष मनाया जाता रहा है, भक्त प्रहलाद की अच्छाई की चिता में बुराई की होलिका का दहन इस पर्व का सार बना. यह ऐसा पर्व है जब रंगों से सारे शिकवे दूर हो जाते हैं, नव वर्ष में त्योहारों का शुभारंभ होता है. लेकिन यह पर्व उन शोकाकुल परिवारों के लिए और भी महत्वपूर्ण माना जाता है. क्योंकि जिस परिवार में किसी का मृत्युशोक हुआ हो वहां पूरे वर्ष या होली तक कोई भी शुभकार्य नही किए जाते और न ही त्योहारों को खुशियां मनाई जाती हैं. इसलिए कहा जाता है कि होली के त्योहार से घर के त्योहार उठते हैं और शुभकार्य शुरू किए जाते हैं. लेकिन क्या कभी सोचा है कि इस परंपरा के पीछे क्या कारण हैं.

बारात आने से पहले भस्म हो गई थी होलिका: मशहूर ज्योतिषाचार्य और पंडित डॉ. प्रणयन एम पाठक कहते हैं की आज तक यह प्रश्न कभी किसी ने उठाया नहीं हम परंपराओं को सदियों से पीढ़ी दर पीढ़ी निभाते आ रहे हैं. ETV Bharat से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि होली का त्योहार क्यों मनाया जाता है या प्रहलाद और उनकी बुआ होलिका की कहानी तो सभी जानते हैं. प्रहलाद को भस्म करने बैठी होलिका अग्निदेव के वरदान के बाद भी अपने भतीजे प्रहलाद की बजाय चिता पर खुद जलकर भस्म हो गई थी. लेकिन कहीं न कहीं उसका परिवार इस मृत्यशोक से प्रभावित हुआ, लेकिन इस परंपरा के शुरू होने की वजह थी उनका विवाह, पौराणिक कथाओं के अनुसार होलिका का विवाह इलोजी से फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होना तय हुआ था. इधर जब अपने भाई हिरण्यकश्यप की जिद पूरी करने के लिए उसके पुत्र और अपने भतीजे को भस्म करने के लिए होलिका अपने साथ बैठा कर अग्नि में जल रही थी उसी समय इलोजी होलिका से विवाह करने बरात लेकर हिरण्यकश्यप के महल पहुंच रहे थे लेकिन उनके आने से पहले ही होलिका जल कर भस्म हो गई.

हिरण्यकश्यप के घर की शुद्धि: माना जाता है जैसे ही इलोजी को अपनी प्रियतमा और होने वाली अर्धांगिनी की मौत की सूचना मिली तो प्रेम और विरह से विभोर इलोजी ने भी उस चिता में कूद लगाई लेकिन तब तक अग्नि शांत हो चुकी थी. ऐसे में वे अपना दिमागी संतुलन खो बैठे और होलिका की भस्म को चारो ओर बिखरने लगे लोगों पर उड़ाने लगे. जब लोगों ने यह देखा तो उन्हें लगा कि अग्नि में भस्म हुई बुराई की शुद्धि इस रख से हो रही है. तब से ही होलिका दहन के बाद उसकी राख उड़ाई जाती है और एक दूसरे को उसी राख से तिलक किया जाता है.

होली से जुड़ी खबरें यहां पढ़ें...

ऐसे होती है शुभ कार्य की शुरूआत: माना जाता है कि होलिका के घर में भी उस समय उसकी मौत से मृत्यु शोक हुआ था और मृत्यु के बाद घर की शुद्धता की जाती है जो इलोजी ने की. तब से ही यह परंपरा शुरू हुई की होली की अग्नि में सभी बुराइयां और शुभकार्य पर लगी रोक भी जलकर खाक हो जाती है. चूंकि चैत्र के साथ हिंदू धर्म में नूतन वर्ष शुरू होता है इसलिए पड़वा पर घर के मान्यवर रंग लगाते हैं और फिर से सभी अच्छे और शुभ कार्य भी घर में शुरू हो जाते हैं. सोचिए आज तक हम इस परंपरा को निभाते आए लेकिन शायद बहुत कम लोगों को इस परंपरा के पीछे की वजह पता थी. तो ज्योतिषविद डॉ प्रणयन एम पाठक से मिली जानकार आपको कैसी लगी इस बारे में कॉमेंट बॉक्स में अपने विचार जरूर साझा करें.

डिस्क्लेमर- इस लेख में दी गई जानकारी मान्यताओं और ज्योतिषविदों की जानकारी के आधार पर है, ETV Bharat इसके पूर्ण सत्य होने का दावा नहीं करता.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.