भिंड। चंबल का वह इलाक़ा जहां महाभारत काल के देवगिरी पर्वत पर बना हुआ देवगिरी दुर्ग है. जहां डॉल्फिन जैसी दुर्लभ प्रजाति को संरक्षित करती चम्बल नदी है. जहां पाण्डवों द्वारा स्थापित शिव जी का एक मात्र अष्टकोणीय शिवलिंग है. पृथ्वीराज चौहान द्वारा स्थापित कराया गया वनखण्डेश्वर महादेव का शिवालय है और ना जाने कितनी ही एतिहासिक संपदाओं से संपन्न होने के बाद भी भिंड ज़िला आज भी पर्यटन के क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है. लंबे अरसे बाद इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक कदम अटेर महोत्सव के रूप में उठाने का फैसला लिया गया लेकिन एक बार फिर इस महोत्सव गर्दिश में है.
अटेर मुख्यालय में होना था आयोजन : भिंड ज़िले का अटेर क्षेत्र पर्यटन के लिए बेहद ख़ास है. सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया के विधानसभा क्षेत्र अटेर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है. अटेर महोत्सव के लिए भी इसी इलाक़े को आयोजन स्थल के रूप में फाइनल किया गया है. यहां अटेर किले के नीचे कार्यक्रम मंच जहां सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन और हाट लगाये जाने की प्लानिंग थी वहीं चम्बल नदी पर बन रहे पुल के पास स्पोर्ट्स एवम् वॉटर स्पोर्ट्स इवेंट्स आयोजित कराने के लिए जगह चिन्हित कर तैयारी की जा रही थी.
फरवरी तक टाला गया अटेर महोत्सव : अटेर महोत्सव का आयोजन 24 नवम्बर से 28 नवम्बर तक होना था. इस पांच दिवसीय कार्यक्रम के शुरुआती तीन दिनों में स्थानीय स्तर पर स्पोर्ट्स एंड एडवेंचर ऐक्टिविटीज़ कराया जाना था. वहीं 27 और 28 नवम्बर को संस्कृति विभाग की ओर से मुख्य कार्यक्रम का आयोजन तय किया गया था. जिला पुरातत्व, पर्यटन एवम् संस्कृति परिषद के प्रभारी प्रबल श्रीवास्तव ने बताया कि कुछ कारणों के चलते अंतिम समय में अटेर महोत्सव को फरवरी तक के लिए टाल दिया गया है. अब तक फ़रवरी में आयोजन की तारीख तय नहीं हुई हैं, जिनकी जानकारी जल्द उपलब्ध कराई जाएंगी. हालांकि इस आयोजन को पहले भी 28 मार्च से 3 अप्रैल 2022 तक आयोजित कराने का फ़ैसला लिया गया था लेकिन कला एवं संस्कृति विभाग के इयरली एक्टिविटी कैलेंडर में जगह ना होने से उस वक्त भी टाल दिया गया था. बाद में अक्टूबर महीने में आयोजित कराने की घोषणा की गई लेकिन वह भी 24 नवम्बर तक टल गई थी.
गृह मंत्री के आगे फेल भिंड के तीन-तीन मंत्री : एक भव्य आयोजन के नाम पर चार लाख रुपय का बजट मिलना कहीं ना कही मंत्रियों की रुचि पर भी सवाल खड़े कर रहा है. क्योंकि जहां प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा अपने विधानसभा क्षेत्र में दतिया महोत्सव के लिए लाखों रुपये ले आये,वहीं प्रदेश के सबसे अहम सहकारिता और लोकसेवा प्रबंधन जैसे मंत्रालय सम्भाल रहे अरविंद भदौरिया और प्रदेश के दिग्गज नेताओं में से एक सिंधिया ख़ेमे के राजस्व व परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत दो बड़े और प्रमुख चेहरे और तीसरे राज्यमंत्री ओपीएस भदौरिया, जिले में होने वाले भव्य आयोजन के लिए बजट तक नहीं ले पाये. संस्कृति विभाग ने महज चार लाख रुपय की स्वीकृति दी ,वह भी मुख्य कार्यक्रम के लिए.