भिंड। कोरोना काल में सरकार और स्वास्थ्य विभाग का सहारा बनने वाले अस्थाई नर्सिंग स्टॉफ और कोरोना संगठनों के कर्मचारियों कि सेवाएं 30 नवंबर से समाप्त कर दी गई है. जिसके बाद से ही प्रदेश में कोरोना संगठनों का प्रोटेस्ट जारी है. इसी के तहत भोपाल में प्रदर्शन के दौरान इन कोरोना योद्धाओं पर पुलिसकर्मियों ने लाठीचार्ज कर दिया. कोरोना योद्धाओं के साथ हुई इस बर्बरता को लेकर ईटीवी भारत ने राज्यमंत्री ओपीएस भदौरिया से बात की.
ईटीवी भारत से बात करते हुए राज्य मंत्री ने कहा कि कोरोना के दौर में जिस तरह स्वास्थ्य कर्मी और कोरोना योद्धाओं ने सरकार का साथ दिया उसके लिए वे सराहना के पात्र हैं. लेकिन अस्थाई नियुक्तियां पाने वाले कर्मचारियों को इस बात का पहले से पता था कि यह नियुक्तियां शुरुआत में सिर्फ 3 महीने के लिए ही की गई थी. हालांकि बाद में हालातों के मद्देनजर समय बढ़ाया गया था, लेकिन उनकी नौकरी तो अस्थाई ही थी.
मंत्री ने प्रोटेस्ट कर रहे उन तमाम कोरोना संगठनों को सलाह दी है कि उन्हें इस तरह कोई कदम नहीं उठाना चाहिए. जिससे कि शांति व्यवस्था भंग हो. हालांकि मंत्री ने यह भी कहा कि उचित मांगों के लिए शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन करना उनका हक है लेकिन जो भी करें नियमों में रहकर करें.
मुख्यमंत्री से बात करने का दिया आश्वासन
राज्य मंत्री ओपीएस भदौरिया ने उन तमाम बेरोजगार हुए स्वास्थ्य कर्मियों को जिन्होंने कोरोना के समय अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों की जान बचाने का काम किया है, उन्हें आश्वासन दिया है कि वह उनकी सहभागिता के लिए मुख्यमंत्री से भी चर्चा कर बीच का रास्ता निकलवाने का प्रयास करेंगे.
लाठी चार्ज नहीं समस्या का हल
मुसीबत के समय काम कर रहे कोरोना योद्धाओं के साथ हुई लाठीचार्ज को लेकर जब मंत्री से सवाल किया गया कि अब कोरोना योद्धाओं के साथ इस तरह का व्यवहार क्यों किया जा रहा है. तो इस पर मंत्री ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी. लाठीचार्ज किस परिस्थिति में हुआ, लेकिन किसी भी स्थिति में लाठीचार्ज समस्या का हल नहीं होता. इसलिए जल्द ही वे सीएम से भी मुलाकात करेंगे.
सवाल को टालने की कोशिश
जब राज्यमंत्री भदौरिया से सवाल भिंड में अस्थाई नियुक्तियों पर रखे गए 52 कर्मचारियों में से 28 को बाहर का रास्ता दिखाया गया और 24 कर्मचारियों को फिर से नियुक्तियां दे दी गई. क्या इसकी जांच कराई जाएगी कि यह नियुक्तियां किस आधार पर हुई है तो मंत्री ने इस सवाल को दो बार टालने की कोशिश की. हालांकि तीसरी बार में उन्होंने कहा कि वे जल्द ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और स्वास्थ्य मंत्री से इस विषय पर चर्चा करेंगे और अगर इन नियुक्तियों में मूल नियमों का पालन नहीं किया गया है तो यह गलत है. उस पर कार्रवाई की जाएगी.
सैनिक स्कूल पर बोले मंत्री
भिंड जिले में प्रस्तावित सैनिक स्कूल को लेकर जब सवाल किया गया तो मंत्री ने कहा कि भिंड में सैनिक स्कूल जरूर बनेगा. थोड़ी समस्या समय की है और जो मांग लगातार उठ रही थी कि उसे भिंड के किस क्षेत्र में बनाया जाए, इसको लेकर फैसला सैनिक विभाग पर छोड़ा गया है. मालनपुर में सैनिक स्कूल बनाने का फैसला उन्हीं का है. जहां उन्होंने स्कूल के लिए जगह चिन्हित कर ली है और जल्द ही उस पर काम शुरू करने का विचार चल रहा है.
नय साल में मिल सकती है सौगात
भिंड जिले को नए साल 2021 में सैनिक स्कूल की सौगात मिलने की संभावनाएं काफी बढ़ गई है. राज्य मंत्री का कहना है कि इस बात पर भी विचार चल रहा है कि जब तक स्कूल का निर्माण नहीं होता तब तक इसी अस्थाई भवन की व्यवस्था कर सैनिक स्कूल की शुरुआत करा दी जाए. जिससे जल्द से जल्द भिंड के लोगों को भी इसका फायदा मिलना शुरू हो.