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कोरोना काल में बस ऑपरेटरों पर दोहरी मार, बोले कैसे करे बस का संचालन, सरकार करें टैक्स माफ - BUS OPERATER BHIND

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन में बस ऑपरेटरों को दोहरा नुकसान झेलना पड़ रहा है. पहले तो करीब 3 महीने से बंद पड़ी बसों से ऑपरेटरों को लाखों का नुकसान हुआ है. वहीं सरकार अब बस ऑपरेटरों से टैक्स की भी मांग कर रही है.

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Published : Jun 11, 2020, 10:37 AM IST

Updated : Jun 11, 2020, 10:53 AM IST

भिंड। कहने को लॉकडाउन के चौथे चरण में सरकार ने ग्रीन जोन जिलों में बस ट्रांसपोर्ट सर्विस को रियायत देते हुए सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर 50 फीसदी सवारियों के साथ बसों के संचालन पर छूट दी थी, लेकिन भिंड जिले में अब तक बस सर्विस ठप है. जिसका खामियाजा आम यात्री को अपनी जेब से चुकाना पड़ रहा है. साथ ही बस ऑपरेटर भी लगातार नुकसान झेल रहे हैं.

लॉकडाउन में बस ऑपरेटरों का बुरा हाल

बस स्टैंड पर खड़े यात्रियों ने बताया कि बस नहीं चलने से उन्हें काफी परेशान होना पड़ रहा है. शहर से गांव आना हो या गांव से शहर जाना हो लोगों को दिक्कतों का सामना करना पडता है. लोग या तो पैदल सफर करते हैं या निजी वाहन से सफर करना पड़ रहा है. यात्रियों का कहना है कि शासन प्रशासन को जल्द कोई कदम उठाना चाहिए ताकि उनका सफर आसान हो.

बस ऑपरेटरों पर पड़ी दोहरी मार

बस ऑपरेटरों का कहना है कि लॉकडाउन में उनके साथ धोखा किया गया है. भिंड बस स्टैंड के पास आधा सैकड़ा ट्रेवेल एजेंसी बनी है, जो न सिर्फ लोकल बस बल्कि अंतरराज्यीय बसों का भी संचालन करते हैं. जब कुछ संचालकों से बात की गई तो उनका कहना है कि शासन ने लॉकडाउन में बस सर्विस बन्द कराते समय आश्वासन दिया था कि लॉकडाउन अवधि में बसों से टैक्स नही वसूला जाएगा, लेकिन अब बस चालू करने की बात कहने के बाद आरटीओ द्वारा टैक्स की मांग की जा रही है. ऐसे में इन ऑपरेटरों का मानना है कि पहले ही 3 महीने तक बस खड़ी रही जिसमें अच्छा खासा नुकसान हुआ. उसके बाद 50 फीसदी सवारियों के साथ बस चलाने में मुनाफा तो दूर डीज़ल का पैसा भी निकलना मुश्किल होगा, लेकिन आरटीओ को भी टैक्स चाहिए. खड़ी बसों की अवधि का भी और संचालन के समय का भी इस तरह तो बस संचालकों पर दोहरे नुकसान की मार पड़ेगी.

अब तक लाखों का घाटा झेल चुके बस संचालक

बस संचालकों से बात करने पर पता चला कि वे अब लाखों के घाटे में जा चुके हैं. स्टाफ की सेलेरी के अलावा सीजन की पूरी कमाई छूट गयी. शादियों की बुकिंग सारग और टूर के लिए बाहर जाने वाली बसों की कोई बुकिंग नहीं हो सकी, लेकिन कर्मचारियों को भुगतान किया गया. भिंड जिले में एक बस से करीब 5 हज़ार की कमाई होती है और करीब 350- 400 बस हर रोज जिले के बाहर ग्वालियर, मुरैना, इटावा, जालौन, अहदाबाद, दिल्ली, इंदौर और भोपाल के साथ भिंड जिले के लहार, दबोह, मेहगांव जनपद, महंगाव, गोरमी जैसी तमाम इलाकों के लिए चलती थी. लेकिन आज सब बसों की कमाई बन्द पड़ी है. अंदाजन बस संचालकों के मुताबिक 50 लाख से ज्यादा का नुकसान इस लॉकडाउन में झेल चुके है.

कलेक्टर ने दिया आश्वासन

वहीं कलेक्टर वीरेंद्र नवल सिंह रावत से बात की तो उनका कहना है कि 2 दिन पहले ही बस ऑपरेटरों से बैठक कर बस संचालन की बात रखी गयी थी. जहां तक टैक्स को लेकर सवाल है तो शासन की ओर से टैक्स माफी की बात अब तक सामने नहीं आई है. उन्होंने कहा कि शायद बस ऑपरेटर को कोई गलतफहमी हुई है, हालांकि उनके नुकसान को देखते हुए भिंड कलेक्टर ने बात शासन स्तर तक पहुंचाने की बात भी कही. साथ ही अपील की है कि बस ऑपरेटर जल्द बस सर्विस दोबारा शुरू कर दें. जिससे यात्रियों को होने वाली परेशानी खत्म हो सके.

भिंड। कहने को लॉकडाउन के चौथे चरण में सरकार ने ग्रीन जोन जिलों में बस ट्रांसपोर्ट सर्विस को रियायत देते हुए सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर 50 फीसदी सवारियों के साथ बसों के संचालन पर छूट दी थी, लेकिन भिंड जिले में अब तक बस सर्विस ठप है. जिसका खामियाजा आम यात्री को अपनी जेब से चुकाना पड़ रहा है. साथ ही बस ऑपरेटर भी लगातार नुकसान झेल रहे हैं.

लॉकडाउन में बस ऑपरेटरों का बुरा हाल

बस स्टैंड पर खड़े यात्रियों ने बताया कि बस नहीं चलने से उन्हें काफी परेशान होना पड़ रहा है. शहर से गांव आना हो या गांव से शहर जाना हो लोगों को दिक्कतों का सामना करना पडता है. लोग या तो पैदल सफर करते हैं या निजी वाहन से सफर करना पड़ रहा है. यात्रियों का कहना है कि शासन प्रशासन को जल्द कोई कदम उठाना चाहिए ताकि उनका सफर आसान हो.

बस ऑपरेटरों पर पड़ी दोहरी मार

बस ऑपरेटरों का कहना है कि लॉकडाउन में उनके साथ धोखा किया गया है. भिंड बस स्टैंड के पास आधा सैकड़ा ट्रेवेल एजेंसी बनी है, जो न सिर्फ लोकल बस बल्कि अंतरराज्यीय बसों का भी संचालन करते हैं. जब कुछ संचालकों से बात की गई तो उनका कहना है कि शासन ने लॉकडाउन में बस सर्विस बन्द कराते समय आश्वासन दिया था कि लॉकडाउन अवधि में बसों से टैक्स नही वसूला जाएगा, लेकिन अब बस चालू करने की बात कहने के बाद आरटीओ द्वारा टैक्स की मांग की जा रही है. ऐसे में इन ऑपरेटरों का मानना है कि पहले ही 3 महीने तक बस खड़ी रही जिसमें अच्छा खासा नुकसान हुआ. उसके बाद 50 फीसदी सवारियों के साथ बस चलाने में मुनाफा तो दूर डीज़ल का पैसा भी निकलना मुश्किल होगा, लेकिन आरटीओ को भी टैक्स चाहिए. खड़ी बसों की अवधि का भी और संचालन के समय का भी इस तरह तो बस संचालकों पर दोहरे नुकसान की मार पड़ेगी.

अब तक लाखों का घाटा झेल चुके बस संचालक

बस संचालकों से बात करने पर पता चला कि वे अब लाखों के घाटे में जा चुके हैं. स्टाफ की सेलेरी के अलावा सीजन की पूरी कमाई छूट गयी. शादियों की बुकिंग सारग और टूर के लिए बाहर जाने वाली बसों की कोई बुकिंग नहीं हो सकी, लेकिन कर्मचारियों को भुगतान किया गया. भिंड जिले में एक बस से करीब 5 हज़ार की कमाई होती है और करीब 350- 400 बस हर रोज जिले के बाहर ग्वालियर, मुरैना, इटावा, जालौन, अहदाबाद, दिल्ली, इंदौर और भोपाल के साथ भिंड जिले के लहार, दबोह, मेहगांव जनपद, महंगाव, गोरमी जैसी तमाम इलाकों के लिए चलती थी. लेकिन आज सब बसों की कमाई बन्द पड़ी है. अंदाजन बस संचालकों के मुताबिक 50 लाख से ज्यादा का नुकसान इस लॉकडाउन में झेल चुके है.

कलेक्टर ने दिया आश्वासन

वहीं कलेक्टर वीरेंद्र नवल सिंह रावत से बात की तो उनका कहना है कि 2 दिन पहले ही बस ऑपरेटरों से बैठक कर बस संचालन की बात रखी गयी थी. जहां तक टैक्स को लेकर सवाल है तो शासन की ओर से टैक्स माफी की बात अब तक सामने नहीं आई है. उन्होंने कहा कि शायद बस ऑपरेटर को कोई गलतफहमी हुई है, हालांकि उनके नुकसान को देखते हुए भिंड कलेक्टर ने बात शासन स्तर तक पहुंचाने की बात भी कही. साथ ही अपील की है कि बस ऑपरेटर जल्द बस सर्विस दोबारा शुरू कर दें. जिससे यात्रियों को होने वाली परेशानी खत्म हो सके.

Last Updated : Jun 11, 2020, 10:53 AM IST
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