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किसान कांग्रेस ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस, बीजेपी पर साधा निशाना

किसान कांग्रेस के जिला अध्यक्ष आशीष गुर्जर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन कर क्षेत्रीय समस्याओं के बारे में बताया. इस दौरान उन्होंने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा.

press conference
प्रेस कॉन्फ्रेंस
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Published : Jul 9, 2020, 8:23 PM IST

भिंड। गोहद और मेहगांव विधानसभा में उपचुनाव होने वाले हैं. जिसके चलते कांग्रेस और बीजेपी की बयानबाजी जारी है. इसी कड़ी में किसान कांग्रेस के जिला अध्यक्ष आशीष गुर्जर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. जिसमें आशीष गुर्जर ने आरोप लगाते हुए कहा कि जिस समय ओलावृष्टि हुई थी, उस समय दोनों विधायक क्षेत्र में नहीं थे. इस क्षेत्र को धान का कटोरा कहा जाता है. क्षेत्र में पानी नहीं आ रहा है. नहरों में पानी नहीं छोड़े जाने से और बरसात कमी के चलते धान की फसल को भारी नुकसान हो रहा है. इन नेताओं को क्षेत्र की जनता की कोई फिक्र नहीं है.

उन्होंने कहा कि जटबारे में अधिकांश गांव खारे पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. पानी के कोई इंतजाम भी नहीं है. पेयजल के लिए 133 करोड़ रूपए की लागत से एक योजना शुरू की गई थी, लेकिन उस पर कोई काम नहीं हो रहा है.

कोरोना काल में करीब 20 हजार प्रवासी मजदूर वापस आए हैं. जबकि पूरी विधानसभा के अंदर महज 1360 मजदूरों का पंजीयन पोर्टल पर किया गया है. नेताओं के ठेकेदारों द्वारा मनरेगा का कार्य ठेके पर चलाया जा रहा है. जिसमें जो कार्य मजदूरों से कराए जाने हैं, वो ठेकेदार मशीनों से कर रहे हैं. 15 साल बाद कांग्रेस की सरकार बनी थी. सरकार बनने के बाद कर्ज माफी कर रही थी, लेकिन छलावे से 22 विधायकों ने सरकार गिरा दी.

भिंड। गोहद और मेहगांव विधानसभा में उपचुनाव होने वाले हैं. जिसके चलते कांग्रेस और बीजेपी की बयानबाजी जारी है. इसी कड़ी में किसान कांग्रेस के जिला अध्यक्ष आशीष गुर्जर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. जिसमें आशीष गुर्जर ने आरोप लगाते हुए कहा कि जिस समय ओलावृष्टि हुई थी, उस समय दोनों विधायक क्षेत्र में नहीं थे. इस क्षेत्र को धान का कटोरा कहा जाता है. क्षेत्र में पानी नहीं आ रहा है. नहरों में पानी नहीं छोड़े जाने से और बरसात कमी के चलते धान की फसल को भारी नुकसान हो रहा है. इन नेताओं को क्षेत्र की जनता की कोई फिक्र नहीं है.

उन्होंने कहा कि जटबारे में अधिकांश गांव खारे पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. पानी के कोई इंतजाम भी नहीं है. पेयजल के लिए 133 करोड़ रूपए की लागत से एक योजना शुरू की गई थी, लेकिन उस पर कोई काम नहीं हो रहा है.

कोरोना काल में करीब 20 हजार प्रवासी मजदूर वापस आए हैं. जबकि पूरी विधानसभा के अंदर महज 1360 मजदूरों का पंजीयन पोर्टल पर किया गया है. नेताओं के ठेकेदारों द्वारा मनरेगा का कार्य ठेके पर चलाया जा रहा है. जिसमें जो कार्य मजदूरों से कराए जाने हैं, वो ठेकेदार मशीनों से कर रहे हैं. 15 साल बाद कांग्रेस की सरकार बनी थी. सरकार बनने के बाद कर्ज माफी कर रही थी, लेकिन छलावे से 22 विधायकों ने सरकार गिरा दी.

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