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प्राकृतिक आपदा वजह नहीं तो आखिर इस कस्बे में क्यों टूट रहे लोगों के घर ?

भिंड की एक बस्ती में अपने आप लोगों के बसे-बसाए घर टूट रहे हैं. यहां न तो कोई प्राकृतिक आपदा आई है और न हीं कोई भी मकान तोड़वा रहा है. तो फिर आखिर क्यों खुद टूट रहे सपनों के महल, पढ़ें पूरी खबर..

houses in mao town are destroying
खुद टूट रहे सपनों के महल?
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Published : Oct 24, 2020, 4:49 PM IST

भिंड। वो आशियाना जिसे शख्स बड़ी मेहनत और शिद्दत से बनवाता है और अपने सपने सजाता है, अचनाक जब वहीं टूटने लगे तो लोग उदास हो उठते हैं. कुछ ऐसा ही हाल इन दिनों भिंड जिले मौ कस्बे में देखने को मिल रहा है, जहां जमीन धंस रही है और अपने आप लोगों के घर टूट रहे हैं. मौ कस्बे के वार्ड नंबर 11, लोहारपुरा रामलीला मैदान के पास बस्ती में रहने वाले करीब 50 मकानों के नीचे की जमीन धंसने के कारण मकानों में दरारें आ गई हैं. जमीन धंसने की वजह से पक्के मकानों को भी काफी नुकसान पहुंचा है. हालात ये हैं कि लोग अब घरों से बाहर रह रहे हैं.

खुद टूट रहे सपनों के महल?

हो रहा काफी नुकसान

जमीन धसकने की वजह से पक्के मकानों में काफी नुकसान पहुंचा है. लोग अब घरों से बाहर रह रहे हैं. आलम ये है कि जहां एक ओर मकानों की छत टूट रही है, वहीं फर्श में गड्ढे हो गए हैं. इसके अलावा मकान पूरी तरह जर्जर होते जा रहे हैं. अब बस्ती में रहने वाले लोगों ने छत को साधने के लिए लोहे के ड्रम और ईंटों का सहारा दिया है. पीड़ित किशोरी लाल ने बताया कि उन्होंने इस तरह के हालात में अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए फिलहाल पास में ही एक घर किराए पर ले लिया है, जहां घर के बाकी सदस्य रह रहे हैं. लेकिन अपनी मेहनत की कमाई का मकान आंखों के सामने बिखरता देख उनकी आंखें भी नम हो जाती हैं.

houses in mao town are destroying
दिवारों में आ रही दरार

10 दिन के अंदर 45 मकानों को हुआ नुकसान

जानकारी के मुताबिक 10 दिन पहले सिर्फ चार मकानों से यह शिकायत आई थी, लेकिन बाद में नुकसान भी बढ़ा और मकानों की संख्या भी 8 हुई और 10 दिन में ही 45 मकान नुकसान के सर्कल में आ गए हैं. पीड़ित परिवारों के सदस्यों ने बताया कि महीने भर पहले ही अपनी जमापूंजी झोंककर मकान बनवाया था. मकान बनने के एक महीने बाद ही अचानक घर की दीवारों में दरार आ गई. जमीन में कटाव हो रहा है और हर रोज यह दरारें बढ़ती जा रही हैं, लेकिन अब तक किसी ने मदद की पेशकश नहीं की है. जिस वजह से वे ऐसे हालातों में जीने को मजबूर हैं.

नोटिस किए गए जारी

एक पीड़ित बुजुर्ग महिला ने बताया कि उनके घर में सिर्फ दो महिलाएं ही रहती हैं. ऊपर से यह मकान टूटने लगा है. कोई देख-रेख करने वाला नहीं है. ऐसे में नपा ने हादसों को लेकर सुरक्षा के लिहाज से मकान खाली करने के नोटिस जारी कर दिए हैं. लेकिन अब ये पेरशानी खड़ी हो गई है कि अगर वे अपने आशियाने छोड़ भी दें तो आगे कहां जाएंगे और कहां रहेंगे.

ये भी पढ़ें- कमलनाथ के 'आइटम' के बाद अजय सिंह का विवादित बयान, अपने ही प्रत्याशी को बताया 'टिकाऊ माल'

नहीं है प्राकृतिक आपदा

सर्वे टीम में शामिल कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर एसपी शर्मा से जब इस मामले में बात की गई तो उन्होंने बताया कि मौ क्षेत्र में जिस जगह ये हालात बने हैं, वहां ठोस मिट्टी नही है. यह इलाका शायद पहले ट्रेंचिंग ग्राउंड था जहां लोगों ने घर बना लिए. चूंकि यह कि मिट्टी में एयर पार्टिकल ज्यादा है, इसमें मिट्टी भुरभुरी होती है. जब वहां पानी आता है तो वह मिट्टी के बीच में गैप बन जाता है और स्पेस बन जाने की वजह से मकान भी धसक रहे हैं.

houses in mao town are destroying
नीचे गिर रहा मलबा

कराई जाएगी मदद मुहैया

इस मामले में भिंड कलेक्टर डॉ. वीरेंद्र नवल सिंह रावत का कहना है कि इस घटनाक्रम की वजह कोई प्राकृतिक घटना या भूगर्भीय बदलाव नहीं है, ऐसे में उन्हें फिलहाल मदद का आश्वासन तो दिया है, लेकिन फिर भी बीच का रास्ता निकालते हुए पीड़ित परिवार जिन्हें वाकई जरूरत होगी मदद मुहैया कराई जाएगी.

भिंड। वो आशियाना जिसे शख्स बड़ी मेहनत और शिद्दत से बनवाता है और अपने सपने सजाता है, अचनाक जब वहीं टूटने लगे तो लोग उदास हो उठते हैं. कुछ ऐसा ही हाल इन दिनों भिंड जिले मौ कस्बे में देखने को मिल रहा है, जहां जमीन धंस रही है और अपने आप लोगों के घर टूट रहे हैं. मौ कस्बे के वार्ड नंबर 11, लोहारपुरा रामलीला मैदान के पास बस्ती में रहने वाले करीब 50 मकानों के नीचे की जमीन धंसने के कारण मकानों में दरारें आ गई हैं. जमीन धंसने की वजह से पक्के मकानों को भी काफी नुकसान पहुंचा है. हालात ये हैं कि लोग अब घरों से बाहर रह रहे हैं.

खुद टूट रहे सपनों के महल?

हो रहा काफी नुकसान

जमीन धसकने की वजह से पक्के मकानों में काफी नुकसान पहुंचा है. लोग अब घरों से बाहर रह रहे हैं. आलम ये है कि जहां एक ओर मकानों की छत टूट रही है, वहीं फर्श में गड्ढे हो गए हैं. इसके अलावा मकान पूरी तरह जर्जर होते जा रहे हैं. अब बस्ती में रहने वाले लोगों ने छत को साधने के लिए लोहे के ड्रम और ईंटों का सहारा दिया है. पीड़ित किशोरी लाल ने बताया कि उन्होंने इस तरह के हालात में अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए फिलहाल पास में ही एक घर किराए पर ले लिया है, जहां घर के बाकी सदस्य रह रहे हैं. लेकिन अपनी मेहनत की कमाई का मकान आंखों के सामने बिखरता देख उनकी आंखें भी नम हो जाती हैं.

houses in mao town are destroying
दिवारों में आ रही दरार

10 दिन के अंदर 45 मकानों को हुआ नुकसान

जानकारी के मुताबिक 10 दिन पहले सिर्फ चार मकानों से यह शिकायत आई थी, लेकिन बाद में नुकसान भी बढ़ा और मकानों की संख्या भी 8 हुई और 10 दिन में ही 45 मकान नुकसान के सर्कल में आ गए हैं. पीड़ित परिवारों के सदस्यों ने बताया कि महीने भर पहले ही अपनी जमापूंजी झोंककर मकान बनवाया था. मकान बनने के एक महीने बाद ही अचानक घर की दीवारों में दरार आ गई. जमीन में कटाव हो रहा है और हर रोज यह दरारें बढ़ती जा रही हैं, लेकिन अब तक किसी ने मदद की पेशकश नहीं की है. जिस वजह से वे ऐसे हालातों में जीने को मजबूर हैं.

नोटिस किए गए जारी

एक पीड़ित बुजुर्ग महिला ने बताया कि उनके घर में सिर्फ दो महिलाएं ही रहती हैं. ऊपर से यह मकान टूटने लगा है. कोई देख-रेख करने वाला नहीं है. ऐसे में नपा ने हादसों को लेकर सुरक्षा के लिहाज से मकान खाली करने के नोटिस जारी कर दिए हैं. लेकिन अब ये पेरशानी खड़ी हो गई है कि अगर वे अपने आशियाने छोड़ भी दें तो आगे कहां जाएंगे और कहां रहेंगे.

ये भी पढ़ें- कमलनाथ के 'आइटम' के बाद अजय सिंह का विवादित बयान, अपने ही प्रत्याशी को बताया 'टिकाऊ माल'

नहीं है प्राकृतिक आपदा

सर्वे टीम में शामिल कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर एसपी शर्मा से जब इस मामले में बात की गई तो उन्होंने बताया कि मौ क्षेत्र में जिस जगह ये हालात बने हैं, वहां ठोस मिट्टी नही है. यह इलाका शायद पहले ट्रेंचिंग ग्राउंड था जहां लोगों ने घर बना लिए. चूंकि यह कि मिट्टी में एयर पार्टिकल ज्यादा है, इसमें मिट्टी भुरभुरी होती है. जब वहां पानी आता है तो वह मिट्टी के बीच में गैप बन जाता है और स्पेस बन जाने की वजह से मकान भी धसक रहे हैं.

houses in mao town are destroying
नीचे गिर रहा मलबा

कराई जाएगी मदद मुहैया

इस मामले में भिंड कलेक्टर डॉ. वीरेंद्र नवल सिंह रावत का कहना है कि इस घटनाक्रम की वजह कोई प्राकृतिक घटना या भूगर्भीय बदलाव नहीं है, ऐसे में उन्हें फिलहाल मदद का आश्वासन तो दिया है, लेकिन फिर भी बीच का रास्ता निकालते हुए पीड़ित परिवार जिन्हें वाकई जरूरत होगी मदद मुहैया कराई जाएगी.

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