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फिल्मी डायलॉग जैसी हुई पूर्व दस्यु मुन्नी बाई की कहानी, अपनी ही जमीन के लिए लगा रही न्याय की गुहार

डकैत घनसा बाबा के गिरोह की सदस्य और फूलनदेवी के साथ रही पूर्व दस्यु मुन्नीबाई (former bandit munni bai pleading for justice ) आज आत्मसमर्पण के बाद शासन से मिली अपनी ही जमीन पाने के लिए सरकारी दफ्तरों की खाक छान रहीं हैं. कभी जिनकी बंदूक से लोग थर्राते थे, आज उनकी ही जमीन पर दबंगों ने कब्जा कर लिया है. वहीं शासन-प्रशासन से भी कोई मदद नहीं मिल रही है.

former bandit munni bai
पूर्व दस्यु मुन्नी बाई
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Published : Dec 9, 2021, 2:24 PM IST

भिंड। साल 2015 में आयी बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान की फिल्म दिलवाले का डायलॉग- हम शरीफ क्या हुए, सारी दुनिया ही बदमाश हो गयी… तो हर किसी को याद होगा. कुछ ऐसा ही हाल है पूर्व दस्यु मुन्नी बाई (former bandit munni bai) का है. डकैत घनसा बाबा के गिरोह की सदस्य और फूलनदेवी के साथ रही पूर्व दस्यु मुन्नीबाई आज आत्मसमर्पण के बाद शासन से मिली अपनी ही जमीन पाने के लिए सरकारी दफ्तरों की खाक (former bandit munni bai pleading for justice ) छान रहीं हैं. कभी जिनकी बंदूक से लोग थर्राते थे, आज उनकी ही जमीन पर दबंगों ने कब्जा कर लिया है. वहीं शासन-प्रशासन से भी कोई मदद नहीं मिल रही है.

जिला प्रशासन से गुहार लगा रही मुन्नी बाई

घनसा बाबा और फूलनदेवी के साथ रही
पूर्व दस्यु मुन्नी बाई जब अपने पति बाबू खां के साथ इंदुर्खी गांव में रहती थीं. पति की गांव में लड़ाई हुई और वे बागी बन गए. डकैत घनसा बाबा के गिरोह में शामिल होने के बाद जब पुलिस ने उसकी पत्नी को परेशान करना शुरू किया तो बाबू खां अपनी पत्नी मुन्नी बाई को भी साथ ले गया. गिरोह में रहते उसे बंदूक चलाना सिखाया और गिरोह का सदस्य बना लिया. उस दौरान कई वारदातों में वह शामिल रहीं. उसका काम डकैती के दौरान घरों में घुस कर महिलाओं के जेवर लूटना हुआ करता था. नियमों के पक्के डकैत उस वक्त डकैती वाले घर को महिलाओं को हाथ नहीं लगाते थे.

लहार के पास मिली थी जमीन, दबंगों ने किया कब्जा
साल 1983 में अन्य डकैतों के साथ उसने भी आत्मसमर्पण (munni bai surrender in 1983) किया. इस पर शासन ने मुख्यधारा से जोड़ने और जीवनयापन के लिए उसे लहार के चिरौली गांव के पास 4 बिसे (बिस्वा) जमीन दी और दस साल के लिए जेल भेजा गया. जेल से निकलने पर माली हालत खराब थी. आय का कोई जरिया नहीं था. एक बेटी थी जिसकी शादी करनी थी. किसी तरह गांव की जमीन बेची और बेटी की शादी की. बुढ़ापा आते आते बेटी के ससुराल में ही रहकर गुजारा किया. मुन्नी बाई ने बताया के उसका पति अब लहार विधायक डॉ. गोविंद सिंह के यहां काम करता है. थोड़ा पैसा जोड़ कर चिरौली गांव की जमीन पर घर बनवाना चाहते थे, लेकिन तब तक दबंगों ने इस पर कब्जा कर लिया.

मध्य प्रदेश में सड़क निर्माण में लगी मशीनों व वाहन को नक्सलियों ने फूंका, दिया ये संदेश

प्रशासन से न्याय की गुहार
मुन्नी बाई अकेली न्याय पाने के लिए कई बार लहार तहसीलदार से लेकर SDM और भिंड कलेक्टर तक के यहां गुहार लगाने आयीं. इसके बावजूद कहीं से कोई मदद नहीं मिली. हाल ही में वह भिंड एसपी से भी मिलने पहुंची, लेकिन मुलाकात न हो सकी. ईटीवी भारत की टीम ने इस संबंध में भिंड एसपी से भी बात की. जिस पर उन्होंने कहा कि उन्हें कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि अभी उनकी ऐसी कोई मुलाकात नहीं हुई है. यदि दोबारा सम्पर्क हो तो उन्हें भेज दीजिए, जो भी मदद हो सकेगी हम करेंगे. भिंड कलेक्टर सतीश कुमार ने भी इस संबंध में जनजाति न होने की बात कही. उनका कहना था कि मैं लहार एसडीएम से पता करता हूं, उसके बाद जो भी मदद होगी करने का प्रयास करेंगे.

भिंड। साल 2015 में आयी बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान की फिल्म दिलवाले का डायलॉग- हम शरीफ क्या हुए, सारी दुनिया ही बदमाश हो गयी… तो हर किसी को याद होगा. कुछ ऐसा ही हाल है पूर्व दस्यु मुन्नी बाई (former bandit munni bai) का है. डकैत घनसा बाबा के गिरोह की सदस्य और फूलनदेवी के साथ रही पूर्व दस्यु मुन्नीबाई आज आत्मसमर्पण के बाद शासन से मिली अपनी ही जमीन पाने के लिए सरकारी दफ्तरों की खाक (former bandit munni bai pleading for justice ) छान रहीं हैं. कभी जिनकी बंदूक से लोग थर्राते थे, आज उनकी ही जमीन पर दबंगों ने कब्जा कर लिया है. वहीं शासन-प्रशासन से भी कोई मदद नहीं मिल रही है.

जिला प्रशासन से गुहार लगा रही मुन्नी बाई

घनसा बाबा और फूलनदेवी के साथ रही
पूर्व दस्यु मुन्नी बाई जब अपने पति बाबू खां के साथ इंदुर्खी गांव में रहती थीं. पति की गांव में लड़ाई हुई और वे बागी बन गए. डकैत घनसा बाबा के गिरोह में शामिल होने के बाद जब पुलिस ने उसकी पत्नी को परेशान करना शुरू किया तो बाबू खां अपनी पत्नी मुन्नी बाई को भी साथ ले गया. गिरोह में रहते उसे बंदूक चलाना सिखाया और गिरोह का सदस्य बना लिया. उस दौरान कई वारदातों में वह शामिल रहीं. उसका काम डकैती के दौरान घरों में घुस कर महिलाओं के जेवर लूटना हुआ करता था. नियमों के पक्के डकैत उस वक्त डकैती वाले घर को महिलाओं को हाथ नहीं लगाते थे.

लहार के पास मिली थी जमीन, दबंगों ने किया कब्जा
साल 1983 में अन्य डकैतों के साथ उसने भी आत्मसमर्पण (munni bai surrender in 1983) किया. इस पर शासन ने मुख्यधारा से जोड़ने और जीवनयापन के लिए उसे लहार के चिरौली गांव के पास 4 बिसे (बिस्वा) जमीन दी और दस साल के लिए जेल भेजा गया. जेल से निकलने पर माली हालत खराब थी. आय का कोई जरिया नहीं था. एक बेटी थी जिसकी शादी करनी थी. किसी तरह गांव की जमीन बेची और बेटी की शादी की. बुढ़ापा आते आते बेटी के ससुराल में ही रहकर गुजारा किया. मुन्नी बाई ने बताया के उसका पति अब लहार विधायक डॉ. गोविंद सिंह के यहां काम करता है. थोड़ा पैसा जोड़ कर चिरौली गांव की जमीन पर घर बनवाना चाहते थे, लेकिन तब तक दबंगों ने इस पर कब्जा कर लिया.

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प्रशासन से न्याय की गुहार
मुन्नी बाई अकेली न्याय पाने के लिए कई बार लहार तहसीलदार से लेकर SDM और भिंड कलेक्टर तक के यहां गुहार लगाने आयीं. इसके बावजूद कहीं से कोई मदद नहीं मिली. हाल ही में वह भिंड एसपी से भी मिलने पहुंची, लेकिन मुलाकात न हो सकी. ईटीवी भारत की टीम ने इस संबंध में भिंड एसपी से भी बात की. जिस पर उन्होंने कहा कि उन्हें कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि अभी उनकी ऐसी कोई मुलाकात नहीं हुई है. यदि दोबारा सम्पर्क हो तो उन्हें भेज दीजिए, जो भी मदद हो सकेगी हम करेंगे. भिंड कलेक्टर सतीश कुमार ने भी इस संबंध में जनजाति न होने की बात कही. उनका कहना था कि मैं लहार एसडीएम से पता करता हूं, उसके बाद जो भी मदद होगी करने का प्रयास करेंगे.

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