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6 महीने से गेहूं की फसल बोनस की बाट जोह रहा अन्नदाता, गर्मा रही सियासत

किसान गेहूं की फसल के बोनस नहीं मिलने से परेशान है जिस पर सियासत गर्मा रही है.

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किसान परेशान
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Published : Nov 27, 2019, 11:55 PM IST

भिंड। अन्नदाता नई सरकार की बेरुखी से परेशान है. किसान पहले सूखा फिर अधूरी कर्जमाफी, अतिवृष्टि और अब गेहूं की फसल के बोनस नहीं मिलने से परेशान है. किसानों का 12.5 करोड़ का बोनस अटका हुआ है.

किसान परेशान
जिले भर में 10 हज़ार से ज्यादा किसान 6 महीने से गेहूं की फसल बेचकर अपने बोनस राशि का इंतजार कर रहे हैं लेकिन सरकार हर बार खजाना खाली बताकर पल्ला झाड़ देती है. बोनस नहीं मिलने से परेशान किसानों का कहना है कि फसल बेचे 6 महीने बीत चुके हैं लेकिन अब तक यह पता नहीं चल पा रहा है कि बोनस राशि कब तक मिलेगी किसी को 5000 रुपय तो किसी का 15000 रुपय का बोनस अटका हुआ है. वहीं किसानों को मिलने वाली गेहूं फसल बिक्री पर बोनस राशि ₹200 से घटाकर ₹160 प्रति क्विंटल कर दी फिर भी किसानों ने समर्थन मूल्य पर क्यों बेचा गेहूं की मूल रकम तो मिल गई लेकिन कई इलाकों में गेहूं का बोनस अब तक नहीं मिला है. किसानों के पास अगली फसल के लिए बीज खाद खरीदने के लिए पैसा नहीं है लेकिन इसकी कोई सुनवाई नहीं कर रहा है.इस मामले में कलेक्टर छोटे सिंह का कहना है कि अभी तक बांटने के लिए शासन ने बोनस राशि नहीं दी है जब राशि मिल जाएगी तो बोनस जल हितग्राहियों के खाते में पहुंचा दिया जाएगा. बीजेपी किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष अजय सिंह भदौरिया ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर जमकर निशाना साधा उन्होंने कमलनाथ सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया साथ ही जिले के किसानों की हालत के लिए सीएम कमलनाथ को दोषी ठहराया जिल पर कांग्रेस के नेता रमेश दुबे ने शासकीय प्रक्रिया के तहत काम होने का हवाला देते हुए सरकार के पास बजट की कमी की बात स्वीकारी. वहीं बीजेपी के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी यह कहने का अधिकार खो चुकी है क्योंकि प्रदेश में दिवालियापन लाने वाली बीजेपी ही है.

भिंड। अन्नदाता नई सरकार की बेरुखी से परेशान है. किसान पहले सूखा फिर अधूरी कर्जमाफी, अतिवृष्टि और अब गेहूं की फसल के बोनस नहीं मिलने से परेशान है. किसानों का 12.5 करोड़ का बोनस अटका हुआ है.

किसान परेशान
जिले भर में 10 हज़ार से ज्यादा किसान 6 महीने से गेहूं की फसल बेचकर अपने बोनस राशि का इंतजार कर रहे हैं लेकिन सरकार हर बार खजाना खाली बताकर पल्ला झाड़ देती है. बोनस नहीं मिलने से परेशान किसानों का कहना है कि फसल बेचे 6 महीने बीत चुके हैं लेकिन अब तक यह पता नहीं चल पा रहा है कि बोनस राशि कब तक मिलेगी किसी को 5000 रुपय तो किसी का 15000 रुपय का बोनस अटका हुआ है. वहीं किसानों को मिलने वाली गेहूं फसल बिक्री पर बोनस राशि ₹200 से घटाकर ₹160 प्रति क्विंटल कर दी फिर भी किसानों ने समर्थन मूल्य पर क्यों बेचा गेहूं की मूल रकम तो मिल गई लेकिन कई इलाकों में गेहूं का बोनस अब तक नहीं मिला है. किसानों के पास अगली फसल के लिए बीज खाद खरीदने के लिए पैसा नहीं है लेकिन इसकी कोई सुनवाई नहीं कर रहा है.इस मामले में कलेक्टर छोटे सिंह का कहना है कि अभी तक बांटने के लिए शासन ने बोनस राशि नहीं दी है जब राशि मिल जाएगी तो बोनस जल हितग्राहियों के खाते में पहुंचा दिया जाएगा. बीजेपी किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष अजय सिंह भदौरिया ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर जमकर निशाना साधा उन्होंने कमलनाथ सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया साथ ही जिले के किसानों की हालत के लिए सीएम कमलनाथ को दोषी ठहराया जिल पर कांग्रेस के नेता रमेश दुबे ने शासकीय प्रक्रिया के तहत काम होने का हवाला देते हुए सरकार के पास बजट की कमी की बात स्वीकारी. वहीं बीजेपी के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी यह कहने का अधिकार खो चुकी है क्योंकि प्रदेश में दिवालियापन लाने वाली बीजेपी ही है.
Intro:भिंड का अन्नदाता नई सरकार की बेरुखी से परेशान है क्योंकि चौतरफा मार्ग खेल रहे किसान पहले सूखा सर अधूरी कर्जमाफी अतिवृष्टि और अब गेहूं की फसल के बोनस नहीं मिलने से परेशान हैं जिले भर में 10 हज़ार से ज्यादा किसान 6 महीने से गेहूं की फसल बेचकर अपने बोनस राशि का इंतजार कर रहे हैं लेकिन सरकार हर बार खजाना खाली बताकर पल्ला झाड़ देती है सरकार के इस व्यवहार के चलते से लेकर किसानों का 12.5 करोड़ का बोनस अटका हुआ है।।


Body:प्रदेश की जनता ने 15 साल बाद भरोसा जताकर कांग्रेस को जनादेश दिया इस चुनाव में भी किसान हर बार की तरह सियासत की दूरी बना जहां कांग्रेस पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश में सरकार बनने पर 10 दिन में किसानों का 2 लाख रुपये तक का कर्जा माफ करने की घोषणा की जिसकी डोर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कुर्सी संभालते ही अपने हाथों में लिया और कर्ज माफी योजना का शुभारंभ किया लेकिन 11 महीने बीतने के बाद भी लाखों किसान कर्ज के तले दबे हुए हैं।

एक और किसान हित की बात करने वाली कांग्रेस सरकार ने कर्ज माफी का गांव खेला तो वहीं पिछली बीजेपी सरकार में किसानों को मिलने वाली गेहूं फसल बिक्री पर बोनस राशि ₹200 से घटाकर ₹160 प्रति क्विंटल कर दी जो किसानों को झटका देने के लिए कम नहीं था फिर भी किसानों ने समर्थन मूल्य पर क्यों बेचा गेहूं की मूल रकम तो मिल गई लेकिन कई इलाकों में आज तक गेहूं सर का बोनस अब तक नहीं मिला है भिंड के गानों का यही हाल है 10,000 से ज्यादा किसानों को 12.5 करोड रुपए की इंतजार करना है

बोनस नहीं मिलने से परेशान किसानों का कहना है कि फसल बेचे 6 महीने बीत चुके हैं लेकिन अब तक यह पता नहीं चल पा रहा है कि बोनस राशि कब तक मिलेगी किसी को 5000 तो किसी का ₹15000 का बोनस अटका हुआ है हालात यह हैं कि किसानों का कहना है कि अगली फसल के लिए पैसा नहीं है बीज खाद कैसे खरीदें यह मुसीबत सामने खड़ी है लेकिन कोई सुनवाई करने वाला नहीं है सरकारी दफ्तरों में चक्कर लगा लगा कर परेशान है हर बार सिर्फ इतना कह दिया जाता है तो पैसा नहीं आया अभी जब आएगा तो मिल जाएगा

किसानों की बात हो और राजनीति नहीं ऐसा कैसे हो सकता है मामले पर बीजेपी भी पीछे नहीं है बीजेपी किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष अजय सिंह भदौरिया ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर जमकर निशाना साधा उन्होंने कमलनाथ सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया साथ ही जिले के किसानों की हालत के लिए सीएम कमलनाथ को दोषी ठहराया जब इन आरोपों और किसानों की समस्याओं को लेकर कांग्रेस के दिग्गज नेता रमेश दुबे से पूछा गया तो उन्होंने शासकीय प्रक्रिया के तहत काम होने का हवाला देते हुए सरकार के पास बजट की कमी की बात स्वीकारी वहीं बीजेपी के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी यह कहने का अधिकार खो चुकी है क्योंकि प्रदेश में दिवालियापन लाने वाली बीजेपी ही है।

भिंड के किसानों की समस्या को लेकर किसान नेता संजीव बरुआ लगातार आंदोलन के जरिए सरकार और जिला प्रशासन की नींद खोलने में लगे हैं उनका कहना है कि सरकार किसानों के साथ अन्याय कर रही है उन्होंने सीएम कमलनाथ को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कमलनाथ जी ने 1500 करोड़ पर छिंदवाड़ा हॉस्पिटल के लिए दिया जबकि अगर चाहते तो इस पूरे राशि से प्रदेश के 1554 करोड रुपए का किसानों का बोनस का भुगतान हो जाता

जब किसानों को बोनस नहीं मिलने की समस्या को लेकर कलेक्टर छोटे सिंह से बात की गई तो उनका कहना था कि अभी तक बांटने के लिए शासन ने बोनस राशि नहीं दी है जब राशि मिल जाएगी तो बोनस जल हितग्राहियों के खाते में पहुंचा दिया जाएगा।


Conclusion:समर्थन मूल्य के कांटों पर अप्रैल-मई में अपना गेहूं बेचा अब 6 महीने बीत गए लेकिन गेहूं के बोनस की राशि अभी तक नहीं आई जिसके चलते जिले के हजारों किसान परेशान हैं जिनके 12.5 करोड रुपए अटके हुए हैं क्योंकि सरकार ने अब तक गेहूं की फसल का बोनस इन किसानों को नहीं दिया है सरकारी अमला यह कहकर जान चढ़ा रहा है कि शासन ने अब तक बोनस की राशि नहीं भेजी तो वही सत्ता और विपक्षी दल एक बार फिर किसानों के मुद्दे पर अपनी राजनैतिक रोटियां सेकने में लगी है

बाइट- पीड़ित किसान
बाइट- पीड़ित किसान
बाइट- अजय सिंह भदौरिया, जिलाध्यक्ष, बीजेपी किसान मोर्चा
बाइट- रमेश दुबे, कांग्रेस नेता
बाइट- संजीव बरुआ, किसान नेता
बाइट- छोटे सिंह, कलेक्टर, भिंड

भिंड से ईटीवी भारत के लिए पीयूष श्रीवास्तव की रिपोर्ट
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