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भिंड: खत्म नहीं हो रही अन्नदाता की समस्या, खरीदी केंद्रों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं किसान

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Published : May 19, 2019, 8:36 PM IST

भिंड की कृषि उपज मण्डी में ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ सैकड़ों किसान हर रोज पहुंच रहे हैं. लेकिन हालत इतने खराब हो चुके है कि 4 दिन बीत जाने के बाद भी किसान की फसल बेचना का नंबर नहीं आ पा रहा है.

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भिंड। सरकार के कई दावों के बाद भी किसान अपनी फसल बेचने के लिए परेशान हो रहा हैं, ताजा मामला भिंड के कृषि उपज मण्डी का है. यहां किसान अपनी फसल बेचने के लिए सुबह से ही यह आस लगाकर पहुंचते हैं, कि आज उसकी फसल बिक जाएगी लेकिन प्रशासन की सुस्त चाल के चलते किसान को हर दिन मायूसी हाथ लग रही है.

सर्मथन मूल्य पर नहीं बिक रही किसानों की फसल किसान

कृषि उपज मण्डी में ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ सैकड़ों किसान हर रोज पहुंच रहे हैं. लेकिन हालत इतने खराब हो चुके है कि 4 दिन बीत जाने के बाद भी किसान का नंबर नहीं आ पा रहा है.
किसानों का कहना है कि 2 से 3 दिन मंडी में गुजार चुके हैं लेकिन अभी तक फसल बिक्री शुरु नहीं पाई है. उनका कहना है कि जब तक समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं होगी वह अपने घर वापस नहीं जा सकते. किसानों का कहना है कि कृषि परिसर में किसानों के लिए किसी भी प्रकार की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. किसान भीषड़ गर्मी में गर्म पानी पीने को मजबूर है. यहां उनके ठहरने की किसी भी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं है.

कृषि उपज मंडी सचिव ने बताया कि मण्डी प्रशासन की ओर से किसानों के लिए हर सुविधा का हर प्रकार से ख्याल रखा जा रहा है. ताकि उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े. साथ ही फसल बेचने के सवाल पर सचिव ने कहा कि जल्द ही किसानों की फसल बिकना शुरु हो जाएगी.

भिंड। सरकार के कई दावों के बाद भी किसान अपनी फसल बेचने के लिए परेशान हो रहा हैं, ताजा मामला भिंड के कृषि उपज मण्डी का है. यहां किसान अपनी फसल बेचने के लिए सुबह से ही यह आस लगाकर पहुंचते हैं, कि आज उसकी फसल बिक जाएगी लेकिन प्रशासन की सुस्त चाल के चलते किसान को हर दिन मायूसी हाथ लग रही है.

सर्मथन मूल्य पर नहीं बिक रही किसानों की फसल किसान

कृषि उपज मण्डी में ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ सैकड़ों किसान हर रोज पहुंच रहे हैं. लेकिन हालत इतने खराब हो चुके है कि 4 दिन बीत जाने के बाद भी किसान का नंबर नहीं आ पा रहा है.
किसानों का कहना है कि 2 से 3 दिन मंडी में गुजार चुके हैं लेकिन अभी तक फसल बिक्री शुरु नहीं पाई है. उनका कहना है कि जब तक समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं होगी वह अपने घर वापस नहीं जा सकते. किसानों का कहना है कि कृषि परिसर में किसानों के लिए किसी भी प्रकार की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. किसान भीषड़ गर्मी में गर्म पानी पीने को मजबूर है. यहां उनके ठहरने की किसी भी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं है.

कृषि उपज मंडी सचिव ने बताया कि मण्डी प्रशासन की ओर से किसानों के लिए हर सुविधा का हर प्रकार से ख्याल रखा जा रहा है. ताकि उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े. साथ ही फसल बेचने के सवाल पर सचिव ने कहा कि जल्द ही किसानों की फसल बिकना शुरु हो जाएगी.

Intro:कई महीनों की कड़ी मेहनत और पसीना बहाकर जहां किसान अपनी फसल तैयार करता है और उम्मीद करता है, कि फसल के बिकने पर उसके घर में 2 जून की रोटी के लिए पैसा आएगा, लेकिन कई दिनों तक मंडी में पड़े रहने के बाद भी उसके हाथ सिर्फ इंतजार ही लगता है। ऐसा हम नहीं भिंड जिले में बनी अनाज मंडी के हालात बता रहे हैं, जहां किसान 2 से 3 दिन तक इंतजार कर रहे हैं कि कब उनका नंबर आएगा और उनकी फसल समर्थन मूल्य पर बिकेगी । इस सब के बीच ना तो इन किसानों को मंडी परिसर में इसी सुविधाएं मिल रही हैं, ना ही कोई आश्वासन, मिल रहा है तो सिर्फ इंतजार करने का समय।


Body:अपनी ट्रैक्टर ट्रॉलीयों के साथ सैकड़ों किसान हर रोज भिंड की कृषि उपज मंडी पहुंच रहे हैं, इस उम्मीद के साथ कि सरकार की ओर से तय समर्थन मूल्य पर उनकी फसल बिकेगी, तो उनकी महीनों की मेहनत और लागत से तैयार फसल का पैसा उनके जीवन यापन के काम आएगा। लेकिन 2 से 3 दिन इंतजार के बाद भी फसल बिक्री के लिए उनका नंबर नहीं आ पा रहा है ।भिंड कृषि उपज मंडी मैं इन दिनों समर्थन मूल्य पर सरसों की फसल की खरीदी की जा रही है। यहां इन दिनों भिंड के अलावा उदितपुरा मंडी सोसायटी भी शिफ्ट कर दी गई है, जिसके चलते किसानों को ट्रैक्टर भाड़ा दे कर अपनी फसल लेकर भिंड मंडी पहुंचना पड़ रहा है। ऐसे में फसल बिक्री से पहले ही उनकी जेब का पैसा लगता जा रहा है, मंडी में मौजूद कई किसानों का कहना है कि वे 2 से 3 दिन या मंडी में गुजार चुके हैं लेकिन अब तक फसल बिक्री नहीं हो पाई है। जब तक समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं होगी वह अपने घर वापस नहीं जा सकते। इतना ही नहीं मंडी प्रांगण में किसानों के लिए किसी भी तरह की सुविधाएं नहीं उपलब्ध कराई जा रही, ना ही उनके बैठने के लिए शेल्टर की उपलब्धता है , ना ही पीने के पानी की। यहां तक कि उन्हें खाना खाने के लिए भी अपना इंतजाम खुद ही करना पड़ रहा है, क्योंकि मंडी में मिलने वाला 5रुपये वाला खाना खाने लायक नहीं है या उपलब्ध नहीं हो पाता। बात सिर्फ इतने पर ही खत्म नहीं हो जाती जब ईटीवी की टीम मंडी प्रांगण में पहुंची , तो वहां हजारों बोरियों में भरा सरसों खुले में ऐसे ही पड़ा हुआ था, जिनकी तस्वीरें प्रशासन की उदासीनता की पोल खोल रही हैं। क्योंकि जिले में इन दिनों मौसम का मिजाज समझ से परे हो रहा है कभी धूप तो कभी अचानक आंधी और बारिश आ जाती है ऐसे में खुले में रखी सरसों की 10,000 से ज्यादा बोरियां कभी भी मौसम की मार झेल सकती हैं , जिन्हें रखने के लिए मंडी परिसर में पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं है ।एक ही बारिश में पूरी सरसों भीग कर सड़ सकती है। मामले को लेकर जब हमने उदितपुरा मंडी सोसाइटी सचिव राकेश श्रीवास्तव से बात की तो उन्होंने बताया की प्रशासन की ओर से भी उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है ।कई बार समस्याओं को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों से बात की, कई बार उन्हें मैसेजेस दिए, लेकिन किसी अधिकारी ने अब तक किसी तरह की कोई सुनवाई नहीं की है। ऐसे में रोजाना खुले में पड़ी सूख रही सरसों दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है जिसका नुकसान उदित पूरा सोसायटी को उठाना पड़ रहा है। इसकी एक वजह समय से इन बोरियों का ट्रांसपोर्टेशन ना हो पाना भी है , मौके पर मौजूद एक पल्लेदार ने बताया कि हजारों बोरियों की बेलदारी का पैसा अब तक उन्हें नहीं मिला है ऐसे में करीब 85 हज़ार से ज्यादा की रकम का पेमेंट रुका हुआ है, और ठेकेदार से कहने पर वह हमेशा बाद में पेमेंट करने की बात करता है ।उन्होंने यह भी बताया कि 2 दिन पहले काम करने वाले करीब 25 मजदूर थे लेकिन पेमेंट रुकने की वजह से आज सिर्फ 8 मजदूर ही काम पर आए हैं , और अगर जल्द ही पेमेंट नहीं हुआ तो वे आगे काम बंद कर देंगे। मंडी परिसर में मिल रही अनियमितताओं को लेकर जब हमने भिंड मंडी सचिव से बात की तो वे मामले से पल्ला झाड़ते नजर आए । उनका कहना था कि यह सारी व्यवस्थाएं ठेकेदार और ट्रांसपोर्टेशन की होती हैं , हमारा काम सिर्फ बिजली और पानी उपलब्ध कराना है जो हम करा रहे हैं।

बाइट- सुधीर शर्मा, किसान
बाइट- अमृतलाल शर्मा, किसान
बाइट- राकेश कुमार श्रीवास्तव, सचिव, उदितपुरा मंडी सोसाइटी
बाइट- अमर सिंह जाटव, मजदूर
बाइट- सचिव, कृषि उपज मंडी भिंड


Conclusion:किसानों और मजदूरों की समस्याएं सुनने के बाद भी अधिकारियों का लचर रवैया कहीं ना कहीं अपने आप में प्रशासन की उदासीनता जाहिर करता है। क्योंकि यदि समय पर फसल के समर्थन मूल्य पर खरीदी ना हो तो बेचारे किसान अपनी 2 जून की रोटी की व्यवस्था कैसे करेगा। वही एक मजदूर जो रोजाना इस उम्मीद में घर से निकलता है कि आज मजदूरी के बाद उसे कुछ पैसा हाथ लगेगा और वह शाम को अपने परिवार के साथ रोटी खा सकेगा। लेकिन ठेकेदारों और अधिकारियों की लापरवाही से न सिर्फ एक किसान, मजदूर बल्कि उनके परिवारों को भी परेशानियां झेलनी पड़ रही है और अधिकारी आराम से सरकारी व्यवस्थाओं का रोना रो कर इन समस्याओं से अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। अब देखना यह होगा यह सिलसिला कब तक यूं ही चलता रहेगा या जिम्मेदार अपनी भूमिका को समझते हुए आगे आएंगे और इनकी मदद करेंगे

ईटीवी भारत के लिए भिंड से पीयूष श्रीवास्तव की रिपोर्ट

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