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साल 2019 में अन्नदाता के नहीं बदले हालात, 2020 में सरकार से फिर लगाई आस

बीतता साल 2019 किसानों के लिए बदहाली का साल रहा. चाहे वह प्रकृति की मार हो या फिर शासन प्रशासन का किसानों के प्रति गैरजिम्मेदाराना रवैया. मानसून में देरी फिर बोआई के बाद सावन में सूखा और फिर अतिवृष्टि के बाद खड़ी फसलों का नुकसान. इन सभी समस्याओं ने किसानों पर खूब सितम ढ़ाया है.

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Published : Dec 27, 2019, 8:45 PM IST

Farmer situation did not change in 2019
2019 किसानों के लिए रहा बदहाली का साल

भिंड। साल 2019 तो गुजर गया लेकिन साल गुजरते गुजरते भी किसानों का इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है, फिर चाहे वह सरकार के वादे हो या घोषणाएं. लेकिन किसान हमेशा सियासत की चासनी में ही पिसा है. सरकारें आई और गई लेकिन अन्नदाता की समस्याएं खत्म नहीं हुई. भिंड जिले में भी किसान खासा परेशान है. यहां अन्नदाता चीख-चीख कर अपने हक की मांग कर रहा है और किसानों की मिसाह बनने वाली सरकारों से सवाल कर रहा है.

2019 किसानों के लिए रहा बदहाली का साल

कर्ज माफी हो या मुआवजा या अपने हक का फसल बोनस जिले का किसान आज भी इन समस्याओं से घिरा हुआ है किसानों का कहना है कांग्रेस को वोट दिया था सोचा था कि दिन बदलेंगे लेकिन आज तो हालात और गंभीर हो गए हैं. ईटीवी भारत किसानों के बीच पहुंचा तो किसानों ने अपना दर्द साझा किया. किसानों ने बताया कि उनको ना तो योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है, ना परेशानियों की कोई सुनवाई हो रही है. इस सरकार की सभी योजनाएं सिर्फ कागजों में ही चलाई जा रही हैं. कर्जमाफी को लेकर किसानों ने बताया कि उनका कर्ज भी माफ नहीं हुआ है.

खत्म नहीं हो रहा बोनस का इंतजार
इस साल गेहूं की फसल के लिए कमलनाथ सरकार ने न्यूनतम खरीद दर 1846 रुपए और 160 रूपये फसल बोनस की घोषणा की थी. गेहूं खरीदा भी गया और मूल रकम खातों में भी आई, लेकिन जिले के 10,000 से ज्यादा किसान आज भी फसल बोनस राशि का इंतजार कर रहे हैं. इन किसानों का करीब 12.5 करोड़ रुपए का बोनस आज तक खातों में नहीं आया है. जिसको लेकर कई बार किसानों ने आंदोलन और प्रदर्शन कर सरकार को चेताया भी है.

खरीफ फसल पंजीयन तो हुए नहीं, खरीदी फसल
किसानों ने बताया कि खरीफ की फसल के लिए सरकार ने बाजरा खरीदी का नोटिफिकेशन निकाला था. रजिस्ट्रेशन दर 200 रूपये थी. फिर भी किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया, लेकिन जब बाजरा बेचने के लिए मंडी पहुंचे तो सैंपल फेल बता कर किसी किसान का बाजरा नहीं खरीदा गया. किसानों ने कहा कि यह सरकार द्वारा छल किया गया है.

यूरिया किल्लत से भी जूझे किसान
किसानों का कहना है कि सरकारी खरीदी केंद्र पर समय से यूरिया उपलब्ध नहीं कराया गया. ऐसे में बाहर से या ब्लैक में ज्यादा पैसे देकर यूरिया खरीदना पड़ा इन किसानों ने सरकारी रेट 266 रुपये की जगह प्रति यूरिया पैकेट के लिए 320 से 350 रुपये तक चुकाने पड़े. ऐसे में पहले से कर से जूझ रहा परेशान किसान और भी कर्जे में हो गया.

बिजली बिल कम करने पर तारीफ
कमलनाथ सरकार में किसानों को 10 एचपी बिजली कनेक्शन के बिल की राशि 14000 से घटाकर 7000 रुपये कर दिया गया. इसके लिए किसानों ने उनका धन्यवाद किया, लेकिन बिजली विभाग द्वारा बे समय लाइट कटौती को लेकर नाराजगी जरूर जाहिर की.

किसानों के साथ हो रही उपेक्षा को लेकर किसान नेता संजीव वर्मा कहते हैं कि सरकार ने एक साल निकाल दिया लेकिन किसानों के किसी मुद्दे पर वह खरी नहीं उतरी.

'कांग्रेस सरकार ने किसान को धोखा दिया'
किसान की समस्या पर बीजेपी का कहना है कि सरकार ने किसान से धोखा किया है. राहुल गांधी ने कहा था सरकार बनते ही 10 दिन में कर्ज माफ होगा लेकिन एक साल हो गया किसान को कोई सुविधाएं नहीं मिली.

'प्रदेश खोखला मिला धीरे-धीरे पूरे कर रहे वचन'
वहीं कांग्रेस का कहना है कि जब सरकार बनीं तो प्रदेश को पिछली सरकार ने खोखला कर दिया था. वचन पत्र 5 साल के लिए है. अभी 1 साल हुआ है धीरे-धीरे वचन पूरे होंगे.

भिंड। साल 2019 तो गुजर गया लेकिन साल गुजरते गुजरते भी किसानों का इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है, फिर चाहे वह सरकार के वादे हो या घोषणाएं. लेकिन किसान हमेशा सियासत की चासनी में ही पिसा है. सरकारें आई और गई लेकिन अन्नदाता की समस्याएं खत्म नहीं हुई. भिंड जिले में भी किसान खासा परेशान है. यहां अन्नदाता चीख-चीख कर अपने हक की मांग कर रहा है और किसानों की मिसाह बनने वाली सरकारों से सवाल कर रहा है.

2019 किसानों के लिए रहा बदहाली का साल

कर्ज माफी हो या मुआवजा या अपने हक का फसल बोनस जिले का किसान आज भी इन समस्याओं से घिरा हुआ है किसानों का कहना है कांग्रेस को वोट दिया था सोचा था कि दिन बदलेंगे लेकिन आज तो हालात और गंभीर हो गए हैं. ईटीवी भारत किसानों के बीच पहुंचा तो किसानों ने अपना दर्द साझा किया. किसानों ने बताया कि उनको ना तो योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है, ना परेशानियों की कोई सुनवाई हो रही है. इस सरकार की सभी योजनाएं सिर्फ कागजों में ही चलाई जा रही हैं. कर्जमाफी को लेकर किसानों ने बताया कि उनका कर्ज भी माफ नहीं हुआ है.

खत्म नहीं हो रहा बोनस का इंतजार
इस साल गेहूं की फसल के लिए कमलनाथ सरकार ने न्यूनतम खरीद दर 1846 रुपए और 160 रूपये फसल बोनस की घोषणा की थी. गेहूं खरीदा भी गया और मूल रकम खातों में भी आई, लेकिन जिले के 10,000 से ज्यादा किसान आज भी फसल बोनस राशि का इंतजार कर रहे हैं. इन किसानों का करीब 12.5 करोड़ रुपए का बोनस आज तक खातों में नहीं आया है. जिसको लेकर कई बार किसानों ने आंदोलन और प्रदर्शन कर सरकार को चेताया भी है.

खरीफ फसल पंजीयन तो हुए नहीं, खरीदी फसल
किसानों ने बताया कि खरीफ की फसल के लिए सरकार ने बाजरा खरीदी का नोटिफिकेशन निकाला था. रजिस्ट्रेशन दर 200 रूपये थी. फिर भी किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया, लेकिन जब बाजरा बेचने के लिए मंडी पहुंचे तो सैंपल फेल बता कर किसी किसान का बाजरा नहीं खरीदा गया. किसानों ने कहा कि यह सरकार द्वारा छल किया गया है.

यूरिया किल्लत से भी जूझे किसान
किसानों का कहना है कि सरकारी खरीदी केंद्र पर समय से यूरिया उपलब्ध नहीं कराया गया. ऐसे में बाहर से या ब्लैक में ज्यादा पैसे देकर यूरिया खरीदना पड़ा इन किसानों ने सरकारी रेट 266 रुपये की जगह प्रति यूरिया पैकेट के लिए 320 से 350 रुपये तक चुकाने पड़े. ऐसे में पहले से कर से जूझ रहा परेशान किसान और भी कर्जे में हो गया.

बिजली बिल कम करने पर तारीफ
कमलनाथ सरकार में किसानों को 10 एचपी बिजली कनेक्शन के बिल की राशि 14000 से घटाकर 7000 रुपये कर दिया गया. इसके लिए किसानों ने उनका धन्यवाद किया, लेकिन बिजली विभाग द्वारा बे समय लाइट कटौती को लेकर नाराजगी जरूर जाहिर की.

किसानों के साथ हो रही उपेक्षा को लेकर किसान नेता संजीव वर्मा कहते हैं कि सरकार ने एक साल निकाल दिया लेकिन किसानों के किसी मुद्दे पर वह खरी नहीं उतरी.

'कांग्रेस सरकार ने किसान को धोखा दिया'
किसान की समस्या पर बीजेपी का कहना है कि सरकार ने किसान से धोखा किया है. राहुल गांधी ने कहा था सरकार बनते ही 10 दिन में कर्ज माफ होगा लेकिन एक साल हो गया किसान को कोई सुविधाएं नहीं मिली.

'प्रदेश खोखला मिला धीरे-धीरे पूरे कर रहे वचन'
वहीं कांग्रेस का कहना है कि जब सरकार बनीं तो प्रदेश को पिछली सरकार ने खोखला कर दिया था. वचन पत्र 5 साल के लिए है. अभी 1 साल हुआ है धीरे-धीरे वचन पूरे होंगे.

Intro:#नोट- यह खबर अलविदा 2019 के लिए है कृपया असाइन न करें।#

साल 2019 तो गुजर गया लेकिन साल गुजरते गुजरते भी किसानों का इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है फिर चाहे वह सरकार के वादे हो या घोषणाएं किसान हमेशा से सियासत की दूरी रहा है लेकिन सरकारें आई और गई लेकिन अन्नदाता की समस्याएं खत्म नहीं हुई भिंड जिले में भी किसान खासा परेशान है यहां अन्नदाता चीख चीख कर अपने हक की मांग कर रहा है और खड़े कर रहा है सवाल खुद को किसानों की सरकार बताने वाली कांग्रेश यानी कमलनाथ सरकार की कार्यप्रणाली पर।


Body:कर्ज माफी हो या मुआवजा या अपने हक का फसल बोनस जिले का किसान आज भी इन समस्याओं से घिरा हुआ है किसानों का कहना है कांग्रेस को वोट दिया था सोचा था कि दिन बदलेंगे लेकिन आज तो हालात और गंभीर हो गए हैं ईटीवी भारत किसानों के बीच पहुंचा तो किसानों ने अपना दर्द साझा किया किसानों ने बताया कि उनको ना तो योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है ना परेशानियों की कोई सुनवाई हो रही है इस सरकार की सभी योजनाएं सिर्फ कागजों में ही चलाई जा रही हैं बात कर्ज माफी की करें तो कई किसानों ने बताया कि उनका कर्ज भी माफ नहीं हुआ है कई किसानों को कर्ज माफी न मिलने से ओवरड्यू हो गए हैं जिसकी वजह से परेशानी और बढ़ गई है आज खाद बीज तक मिलना मुहाल हो गया है

खत्म नहीं हो रहा बोनस का इंतजार
इस साल गेहूं की फसल के लिए कमलनाथ सरकार ने न्यूनतम खरीद दर 1846 रुपए और ₹160 फसल बोनस की घोषणा की थी गेहूं खरीदा भी गया और मूल रकम खातों में भी आई लेकिन जिले के 10,000 से ज्यादा किसान आज भी फसल बोनस राशि का इंतजार कर रहे हैं इन किसानों का करीब 12.5 करोड़ रुपए का बोनस आज तक खातों में नहीं आया है जिसको लेकर कई बार किसानों ने आंदोलन और प्रदर्शन कर सरकार को चेताया भी है

खरीफ फसल पंजीयन तो हुए नहीं खरीदी फसल
किसानों ने बताया कि खरीफ की फसल के लिए सरकार ने बाजरा खरीदी का नोटिफिकेशन निकाला था रजिस्ट्रेशन दर ₹200 थी फिर भी किसानों ने कराया लेकिन जब बाजरा बेचने के लिए मंडी पहुंचे तो सैंपल फेल बता कर किसी किसान का बाजरा नहीं खरीदा गया किसानों ने कहा कि यह सरकार द्वारा छल किया गया है

यूरिया किल्लत से भी जूझे किसान
किसानों का कहना है कि सरकारी खरीदी केंद्र पर समय से यूरिया उपलब्ध नहीं कराया गया ऐसे में बाहर से या ब्लैक में ज्यादा पैसे देकर यूरिया खरीदना पड़ा इन किसानों ने सरकारी रेट ₹266 की जगह प्रति यूरिया पैकेट के लिए 320 से ₹350 तक चुकाने पड़े ऐसे में पहले से कर से जूझ रहा परेशान किसान और भी कर्जे में हो गया।

बिजली बिल कम करने पर तारीफ
कमलनाथ द्वारा किसानों को 10 एचपी बिजली कनेक्शन के बिल की राशि 14000 से घटाकर ₹7000 कर दिया गया इसके लिए किसानों ने उनका धन्यवाद किया लेकिन बिजली विभाग द्वारा बे समय लाइट कटौती को लेकर नाराजगी जरूर जाहिर की

कमलनाथ सरकार V/s पूर्व शिवराज सरकार
जब किसानों की समस्याएं जानकर उनसे सवाल किया गया कि कमलनाथ सरकार और पूर्व की शिवराज सरकार में कौन सी सरकार बेहतर मानते हैं तो सभी के साथ एकमत नजर आए सभी ने कमलनाथ सरकार को फेलवर और पूर्व की शिवराज सरकार को बेहतर बताया किसानों का कहना था कि सरकार जब बीजेपी की थी तो किसानों की हालत में काफ़ी सुधार था हर किसान को लाभ पहुंचाने की कोशिश पूर्व की शिवराज सरकार ने की थी

किसान करेंगे आंदोलन
किसानों के साथ हो रही उपेक्षा को लेकर किसान नेता संजीव वर्मा कहते हैं कि सरकार ने पूरे साल पैसा नहीं होने की बात कही और 1 साल निकाल दिया लेकिन किसानों के किसी मुद्दे पर वह खरी नहीं उतरी साथ ही कहा कि कांग्रेस के राज में किसानों के नाम पर भी घोटाले चल रहे हैं मिट्टी परीक्षण का लाभ दिया नहीं जा रहा सभी परीक्षण कागजों में चल रहे हैं केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए किसान नेता ने कहा कि फसल बीमा का किसान को बिल्कुल लाभ नहीं मिल पा रहा है सिर्फ कागजों तक ही वह स्मार्ट कर रह गया है किसानों को तो लाभ नहीं मिला लेकिन बीमा कंपनियां 50 50 हजार करोड़ रुपए मार्जिन में आ गई यह कंपनियां किसान से प्रीमियम तो लेती है लेकिन किसान को फसल का क्लेम नहीं मिलता इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि 1 साल देख लिया अब सरकार सचेत नहीं हुई तो प्रदेश व्यापी आंदोलन के लिए तैयार रहें

बीजेपी बोली कांग्रेस सरकार ने किसान को धोखा दिया
किसान की समस्या पर बीजेपी का कहना है कि सरकार ने किसान से धोखा किया है राहुल गांधी ने कहा था सरकार बनते ही 10 दिन में कर्ज माफ होगा और नहीं हुआ तो सीएम बदल दिया जाएगा लेकिन पूरा साल गुजर गया मुख्यमंत्री बदलना तो छोड़ गए किसान को कोई सुविधाएं पूरे 1 साल में नहीं दे पाई कांग्रेश किसान आज लोन हो खाद हो बीज बिजली पानी सब चीजों के लिए परेशान है ऐसे में इनका क्या कार्यकाल रहा मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने सिर्फ किसानों के साथ छलावा करने का काम किया है


Conclusion:वहीं कांग्रेस बोली प्रदेश खोखला मिला धीरे-धीरे पूरे कर रहे वचन
किसानों की समस्या पर कांग्रेस का कहना है कि जब सरकार बनी तो प्रदेश को पिछली सरकार ने खोखला कर दिया था हमारी सरकार बनी तब प्रदेश पर दो लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज था इसके बाद भी कमलनाथ सरकार पूरा प्रयास कर रही है फेस 1 में 5500000 किसानों का कर्ज माफ हो चुका है अब फेस 2 में कर्ज माफी के बच्चे किसानों को फायदा पहुंचाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है कृषि क्षेत्र की बात करें तो पिछले साल की अपेक्षा इस साल रवि की फसल में 7 दशमलव 70% बढ़ोतरी हुई है इसके साथ ही केंद्र सरकार पर दुर्व्यवहार और उपेक्षा का आरोप लगाया है साथ ही कहा कि वचन पत्र 5 साल के लिए है अभी 1 साल हुआ है धीरे-धीरे वचन पूरे होंगे

121- किसान, किसान नेता संजीव बरुआ( चश्मा लगाए हुए)
बाइट- किसान
बाइट- अनिल भारद्वाज, प्रवक्ता, जिला कांग्रेस (सिर पर टोपी पहने)
बाइट- अर्पित मुद्गल, जिला मीडिया प्रभारी, बीजेपी( कुर्ता और वेस्टकोट पहने)
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