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कलेक्टर के आदेश के बाद भी नहीं खुल रहीं उचित मूल्य की दुकानें, संचालक कर रहे मनमानी

कोरोना के चलते मध्यप्रदेश शासन ने बीपीएल और अंत्योदय कार्ड धारकों को निशुल्क राशन वितरण करने के आदेश दिए हैं, लेकिन भिंड जिले में कलेक्टर के आदेश के बाद भी उचित मूल्य की दुकानें नहीं खुल रही हैं.

Fair price shops
उचित मूल्य की दुकानें
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Published : May 6, 2020, 8:58 PM IST

भिंड। कोरोना वायरस के चलते मध्यप्रदेश शासन ने बीपीएल और अंत्योदय कार्ड धारकों को निशुल्क चावल वितरण करने के आदेश दिए गए हैं. जिसके तहत 5 किलो चावल प्रति व्यक्ति कंट्रोल संचालकों द्वारा हितग्राहियों को देना है. साथ ही शासन द्वारा सभी दुकानों को पात्र हितग्राहियों की लिस्ट भी भेजी जा चुकी है. जिसके अनुसार 4 किलो गेहूं, 1 किलो चावल प्रति व्यक्ति के हिसाब से देना है.

वहीं दुकान संचालकों को सेनिटाइजर और हाथ धोने के लिए इंतजाम करना है और मास्क आदि का प्रयोग भी करना है. छुट्टियों के दिन छोड़कर प्रतिदिन दुकानें खोलनी हैं, लेकिन कलेक्टर के आदेश के बाद भी उचित मूल्य की दुकानें नहीं खुल रही हैं. उचित मूल्य के दुकान संचालक अपनी मनमानी करते हुए 1 या 2 दिन में राशन वितरण कर देते हैं.

जिससे कई लोग इससे वंचित रह जाते हैं, उन्हें राशन नहीं दिया जाता. खाद्य निरीक्षक भी राजनीतिक संरक्षण के चलते इनका निरीक्षण नहीं करते हैं. साथ ही यदि सूचना देने के लिए इन्हें फोन किया जाए तो फोन अटेंड करना भी मुनासिब नहीं समझते हैं. जिससे सभी दुकान संचालक अपनी मनमानी करने में लगे हुए हैं.

भिंड। कोरोना वायरस के चलते मध्यप्रदेश शासन ने बीपीएल और अंत्योदय कार्ड धारकों को निशुल्क चावल वितरण करने के आदेश दिए गए हैं. जिसके तहत 5 किलो चावल प्रति व्यक्ति कंट्रोल संचालकों द्वारा हितग्राहियों को देना है. साथ ही शासन द्वारा सभी दुकानों को पात्र हितग्राहियों की लिस्ट भी भेजी जा चुकी है. जिसके अनुसार 4 किलो गेहूं, 1 किलो चावल प्रति व्यक्ति के हिसाब से देना है.

वहीं दुकान संचालकों को सेनिटाइजर और हाथ धोने के लिए इंतजाम करना है और मास्क आदि का प्रयोग भी करना है. छुट्टियों के दिन छोड़कर प्रतिदिन दुकानें खोलनी हैं, लेकिन कलेक्टर के आदेश के बाद भी उचित मूल्य की दुकानें नहीं खुल रही हैं. उचित मूल्य के दुकान संचालक अपनी मनमानी करते हुए 1 या 2 दिन में राशन वितरण कर देते हैं.

जिससे कई लोग इससे वंचित रह जाते हैं, उन्हें राशन नहीं दिया जाता. खाद्य निरीक्षक भी राजनीतिक संरक्षण के चलते इनका निरीक्षण नहीं करते हैं. साथ ही यदि सूचना देने के लिए इन्हें फोन किया जाए तो फोन अटेंड करना भी मुनासिब नहीं समझते हैं. जिससे सभी दुकान संचालक अपनी मनमानी करने में लगे हुए हैं.

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