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भिंड जिला अस्पताल के ओपीडी से डॉक्टर नदारद, सामान्य मरीजों को हो रही परेशानी - Dr. Prabhat Upadhyay

अनलॉक होते ही भिंड जिला अस्पताल में सामान्य मरीजों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ने लगी है. ऐसे में अस्पताल के ओपीडी में डॉक्टरों के ना होने से मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है.

Patients are getting worried in the district hospital
जिला अस्पताल में मरीज हो रहे परेशान
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Published : Aug 24, 2020, 11:23 AM IST

Updated : Aug 24, 2020, 5:54 PM IST

भिंड। कोरोना वायरस पूरे एमपी में पैर पसार चुका है. पूरे प्रदेश में 53 हजार से ज्यादा मरीज कोरोना से जूझ रहे हैं. कोरोना के बढ़ते मामलों ने स्वास्थ्य विभाग पर बोझ बढ़ा दिया था. कोरोना से जंग लड़ने की तैयारी में लगभग सभी जगह सामान्य मरीजों की जगह कोविड पेसेंट पर फोकस था.

जिला अस्पताल में मरीज हो रहे परेशान

ऐसे में ज्यादातर जगह सामान्य ओपीडी बंद थी. मरीज भी कोरोना के डर से अस्पताल जाने से परहेज कर रहे थे. जिस वजह से भिंड के जिला अस्पताल और अन्य सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सुनसान पड़ी थी.

हालांकि अनलॉक होने पर अस्पताल में कोरोना के अलावा भी अब सामान्य मरीज इलाज के लिए पहुंचने लगे हैं. लेकिन तब भी सामान्य मरीजों को लेकर लापरवाही बरती जा रही है. जिससे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

जिला अस्पताल परिसर में ट्रामा सेंटर के ऊपर ओपीडी में लगभग हर रोग से संबंधित डॉक्टर की ड्यूटी लगाई जा रही है. बावजूद इसके ओपीडी में लगभग सभी डॉक्टर्स नदारद रहते हैं. मौजूदा हालात में यहां हर रोज 30 से 40 मरीज मौजूद आ रहते हैं, लेकिन ओपीडी में डॉक्टर न होने की वजह से इलाज के लिए भटक रहे हैं. ओपीडी में लगभग 1 दर्जन से ज्यादा डॉक्टर्स के केबिन खाली पड़े थे.

मात्र एक केबिन जिसमें जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ. प्रभात उपाध्याय और उनके एक सहयोगी डॉक्टर मरीजों को देख रहे थे. एक परिवार का कहना है कि उनके बच्चे के पैर में फ्रैक्चर हुआ था जिसका प्लास्टर कटवाने के लिए आए थे. लेकिन 2 घंटे से हड्डी रोग विशेषज्ञ को ढूंढ रहे हैं क्योंकि वे अपने केबिन में नही हैं. वहीं अन्य मरीजों का भी यही हाल है.

इस बारे में डॉ. प्रभात उपाध्याय से बात की तो उन्होंने बताया कि सामान्य दिनों के मुकाबले अब महज 50 फीसदी मरीज ही आ रहे हैं, जो ज्यादातर मौसमी बीमारियों से ग्रस्त हैं.

मरीजों की संख्या पर उन्होंने कहा कि अब लोग अस्पताल आने से पहले विचार करते हैं. लोग अनावश्यक अस्पताल के चक्कर नहीं लगाना चाहते. उनका कहना है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए लोग बाहर स्ट्रीट वेंडर्स और रेस्टोरेंट के खाने से परहेज कर रहे हैं. जिसकी वजह से आम दिनों की अपेक्षा पेट से संबंधित बीमारियों का खतरा काफी कम हो गया है. इसके साथ ही टाइफाइड और मलेरिया जैसी बीमारियां भी काफी नियंत्रण में हैं.

भिंड जिला अस्पताल में अगर कोरोना का असर देखा जाए तो फरवरी माह तक अस्पताल में हर रोज ओपीडी के लिए करीब 1400 से 1500 मरीज पहुंचते थे. पिछले साल यानी 2019 जुलाई और अगस्त माह में ही करीब 81 हजार 446 मरीजों ने जिला अस्पताल में जांच करवाई, लेकिन कोरोना महामारी के शुरुआती दौर में मरीज ना के बराबर थे. वर्तमान में भी हर रोज करीब 600 मरीज ही ओपीडी में इलाज के लिए जा रहे हैं.

जबकि इमरजेंसी में करीब 300 मरीजों की आवक है. ओपीडी में जुलाई और अगस्त माह में बमुश्किल 2 हजार मरीज अस्पताल पहुंचे हैं यह आंकड़ा तब है जब लॉकडाउन की वजह से दूसरे राज्यों से लौटे हजारों प्रवासी मजदूर भिंड जिले में अब भी रह रहे हैं.

भिंड। कोरोना वायरस पूरे एमपी में पैर पसार चुका है. पूरे प्रदेश में 53 हजार से ज्यादा मरीज कोरोना से जूझ रहे हैं. कोरोना के बढ़ते मामलों ने स्वास्थ्य विभाग पर बोझ बढ़ा दिया था. कोरोना से जंग लड़ने की तैयारी में लगभग सभी जगह सामान्य मरीजों की जगह कोविड पेसेंट पर फोकस था.

जिला अस्पताल में मरीज हो रहे परेशान

ऐसे में ज्यादातर जगह सामान्य ओपीडी बंद थी. मरीज भी कोरोना के डर से अस्पताल जाने से परहेज कर रहे थे. जिस वजह से भिंड के जिला अस्पताल और अन्य सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सुनसान पड़ी थी.

हालांकि अनलॉक होने पर अस्पताल में कोरोना के अलावा भी अब सामान्य मरीज इलाज के लिए पहुंचने लगे हैं. लेकिन तब भी सामान्य मरीजों को लेकर लापरवाही बरती जा रही है. जिससे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

जिला अस्पताल परिसर में ट्रामा सेंटर के ऊपर ओपीडी में लगभग हर रोग से संबंधित डॉक्टर की ड्यूटी लगाई जा रही है. बावजूद इसके ओपीडी में लगभग सभी डॉक्टर्स नदारद रहते हैं. मौजूदा हालात में यहां हर रोज 30 से 40 मरीज मौजूद आ रहते हैं, लेकिन ओपीडी में डॉक्टर न होने की वजह से इलाज के लिए भटक रहे हैं. ओपीडी में लगभग 1 दर्जन से ज्यादा डॉक्टर्स के केबिन खाली पड़े थे.

मात्र एक केबिन जिसमें जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ. प्रभात उपाध्याय और उनके एक सहयोगी डॉक्टर मरीजों को देख रहे थे. एक परिवार का कहना है कि उनके बच्चे के पैर में फ्रैक्चर हुआ था जिसका प्लास्टर कटवाने के लिए आए थे. लेकिन 2 घंटे से हड्डी रोग विशेषज्ञ को ढूंढ रहे हैं क्योंकि वे अपने केबिन में नही हैं. वहीं अन्य मरीजों का भी यही हाल है.

इस बारे में डॉ. प्रभात उपाध्याय से बात की तो उन्होंने बताया कि सामान्य दिनों के मुकाबले अब महज 50 फीसदी मरीज ही आ रहे हैं, जो ज्यादातर मौसमी बीमारियों से ग्रस्त हैं.

मरीजों की संख्या पर उन्होंने कहा कि अब लोग अस्पताल आने से पहले विचार करते हैं. लोग अनावश्यक अस्पताल के चक्कर नहीं लगाना चाहते. उनका कहना है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए लोग बाहर स्ट्रीट वेंडर्स और रेस्टोरेंट के खाने से परहेज कर रहे हैं. जिसकी वजह से आम दिनों की अपेक्षा पेट से संबंधित बीमारियों का खतरा काफी कम हो गया है. इसके साथ ही टाइफाइड और मलेरिया जैसी बीमारियां भी काफी नियंत्रण में हैं.

भिंड जिला अस्पताल में अगर कोरोना का असर देखा जाए तो फरवरी माह तक अस्पताल में हर रोज ओपीडी के लिए करीब 1400 से 1500 मरीज पहुंचते थे. पिछले साल यानी 2019 जुलाई और अगस्त माह में ही करीब 81 हजार 446 मरीजों ने जिला अस्पताल में जांच करवाई, लेकिन कोरोना महामारी के शुरुआती दौर में मरीज ना के बराबर थे. वर्तमान में भी हर रोज करीब 600 मरीज ही ओपीडी में इलाज के लिए जा रहे हैं.

जबकि इमरजेंसी में करीब 300 मरीजों की आवक है. ओपीडी में जुलाई और अगस्त माह में बमुश्किल 2 हजार मरीज अस्पताल पहुंचे हैं यह आंकड़ा तब है जब लॉकडाउन की वजह से दूसरे राज्यों से लौटे हजारों प्रवासी मजदूर भिंड जिले में अब भी रह रहे हैं.

Last Updated : Aug 24, 2020, 5:54 PM IST
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