भिंड। लॉकडाउन के दौरान अपने घर लौटने की ललक में एक दिव्यांग बुजुर्ग होशंगाबाद की जगह भिंड पहुंच गए. इतना ही नहीं, पूरी तरह स्वस्थ होने के बावजूद उन्हें 29 दिन क्वारंटाइन में रहना पड़ा. आखिरकार जब कलेक्टर और एसपी क्वारंटाइन सेंटर का दौरा करने पहुंचे, तब पूरा मामला सबके सामने आया.
दरअसल होशंगाबाद के बाबई गांव के रहने वाले बुजुर्ग चिमनलाल पटेल दोनों आंखों से दिव्यांग हैं, लॉकडाउन से पहले 7 मार्च को वे रामसनेही संप्रदाय के सत्संग में शामिल होने राजस्थान के नागौर जिले में गए थे, लेकिन 25 मार्च को लॉकडाउन हो जाने की वजह से वहीं फंस गए, तो उन्होंने अपने साथियों के साथ पैदल ही मध्य प्रदेश अपने घर की ओर सफर शुरू कर दिया. 5 दिन का सफर तय कर नेत्रहीन चिमनलाल राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित गांव जाजमपट्टी पहुंचे, जहां प्रवासी मजदूरों को मध्य प्रदेश तक पहुंचाने के लिए बसें लगी हुई थीं, लेकिन बस में जाने से पहले ही वे अपने साथियों से बिछड़ गए.
मध्य प्रदेश के लिए जाने वाली बसों की आवाज सुन वो भोपाल की जगह भिंड वाली बस में बैठ गए. जहां से उत्तर प्रदेश होते हुए उन्हें भिंड छोड़ दिया गया. भिंड पहुंचे चिमनलाल ने पुलिस से संपर्क किया, तो उन्हें पता चला कि वो गलत बस में बैठकर भिंड पहुंच गए हैं. उन्होंने पुलिस से घर तक पहुंचाने की गुहार लगाई, लेकिन हॉटस्पॉट इलाके से आने की वजह से शासन के निर्देशानुसार उनकी स्क्रीनिंग की गई और फिर क्वारंटाइन करने के लिए पुलिस ने उन्हें जिला अस्पताल पहुंचा दिया. जहां 30 मई तक अस्पताल में बने क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया.
वहीं जिला अस्पताल के डॉक्टर देवेश शर्मा ने बताया कि, उनके परिजनों से संपर्क होने पर अब उन्हें भिंड से ग्वालियर भेज दिया गया है. जहां से उन्हें होशंगाबाद उनके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी. दिव्यांग चिमनलाल ने जाने से पहले सभी स्वास्थ्य कर्मियों और उनका ख्याल रखने वाले सभी लोगों को ढेर सारा आशीर्वाद और शुभकामनाएं दीं.