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गरीबों का पेट भरने वाली रसोई का बुझने वाला है चूल्हा, सत्ता परिवर्तन के बाद से फांक रही धूल!

गरीबों के पेट की आग बुझाने वाली दीनदयाल उपाध्याय रसोई योजना का चूल्हा अब बुझने की कगार पर है. बीजेपी के शासन में शुरू होने वाली ये योजना सत्ता परिवर्तन के बाद से धूल फांकती नजर आ रही है.

बुझने की कगार पर भिंड में दीनदयाल की रसोई का चूल्हा
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Published : Aug 19, 2019, 6:20 PM IST

भिंड। गरीबों को पांच रूपए में भरपेट खाना खिलाने वाली दीनदयाल रसोई योजना का चूल्हा बुझने की कगार पर है. प्रदेश की कांग्रेस सरकार भी योजना से किनारा कर रही है. वहीं बारिश के मौसम के चलते खाने वालों की संख्या बढ़ गई है. रसोई चलाने के लिए हर माह 30 से 35 हजार रूपए तक का इंतजाम करना पड़ता है, ऐसे में अब जल्द ही सरकारी मदद नहीं मिली तो भिंड में संचालित दीनदयाल रसोई का चूल्हा जल्द ही बुझ जाएगा.

बुझने की कगार पर भिंड में दीनदयाल की रसोई का चूल्हा

दो माह पहले तक योजना का लाभ लेने वालों की संख्या 200 के आसपास थी, लेकिन बारिश के चलते ये संख्या 250 पार कर गई. रसोई खुलने का समय सुबह 11 से दोपहर 3 बजे तक है, लेकिन अव्यवस्थाओं के चलते कई बार 2 बजे भी ताला लग जाता है. कर्मचारियों का कहना है कि पहले सरकार से मदद मिलती थी, लेकिन अब सरकार से मदद नहीं मिल रही है. अगर ऐसे ही चलता रहा तो जल्द ये रसोई बंद करनी पड़ जाएगी.

नगर पालिका के अधिकारियों का कहना है कि राशन शासन से मिलता है, जिसका भुगतान नगर पालिका द्वारा किया जाता है. हम अपनी ओर से गैस सिलेंडर उपलब्ध करवा देते हैं. साथ ही कर्मचारियों का कहना है कि दीनदयाल रसोई को शासन से हर माह 18 क्विंटल गेहूं और 5 से 7 क्विंटल चावल के अलावा 25 गैस सिलेंडर उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जबकि एक साल पहले 24 क्विंटल गेहूं और 8 क्विंटल चावल मिलता था.
बता दें, तत्कालीन शिवराज सरकार ने योजना को बड़े ही जोर-शोर से शुरू किया था, लेकिन प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस सरकार ने इसे दानदाताओं के भरोसे ही छोड़ दिया है.

कहां कितना आता है खर्च
53,500 रूपए रसोई का खर्च
25,500 रूपए दाल सब्जी तेल आदि पर
20,000 रूपए कर्मचारियों के वेतन पर
4500 रूपए गेहूं पिसाने में खर्च होते हैं

भिंड। गरीबों को पांच रूपए में भरपेट खाना खिलाने वाली दीनदयाल रसोई योजना का चूल्हा बुझने की कगार पर है. प्रदेश की कांग्रेस सरकार भी योजना से किनारा कर रही है. वहीं बारिश के मौसम के चलते खाने वालों की संख्या बढ़ गई है. रसोई चलाने के लिए हर माह 30 से 35 हजार रूपए तक का इंतजाम करना पड़ता है, ऐसे में अब जल्द ही सरकारी मदद नहीं मिली तो भिंड में संचालित दीनदयाल रसोई का चूल्हा जल्द ही बुझ जाएगा.

बुझने की कगार पर भिंड में दीनदयाल की रसोई का चूल्हा

दो माह पहले तक योजना का लाभ लेने वालों की संख्या 200 के आसपास थी, लेकिन बारिश के चलते ये संख्या 250 पार कर गई. रसोई खुलने का समय सुबह 11 से दोपहर 3 बजे तक है, लेकिन अव्यवस्थाओं के चलते कई बार 2 बजे भी ताला लग जाता है. कर्मचारियों का कहना है कि पहले सरकार से मदद मिलती थी, लेकिन अब सरकार से मदद नहीं मिल रही है. अगर ऐसे ही चलता रहा तो जल्द ये रसोई बंद करनी पड़ जाएगी.

नगर पालिका के अधिकारियों का कहना है कि राशन शासन से मिलता है, जिसका भुगतान नगर पालिका द्वारा किया जाता है. हम अपनी ओर से गैस सिलेंडर उपलब्ध करवा देते हैं. साथ ही कर्मचारियों का कहना है कि दीनदयाल रसोई को शासन से हर माह 18 क्विंटल गेहूं और 5 से 7 क्विंटल चावल के अलावा 25 गैस सिलेंडर उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जबकि एक साल पहले 24 क्विंटल गेहूं और 8 क्विंटल चावल मिलता था.
बता दें, तत्कालीन शिवराज सरकार ने योजना को बड़े ही जोर-शोर से शुरू किया था, लेकिन प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस सरकार ने इसे दानदाताओं के भरोसे ही छोड़ दिया है.

कहां कितना आता है खर्च
53,500 रूपए रसोई का खर्च
25,500 रूपए दाल सब्जी तेल आदि पर
20,000 रूपए कर्मचारियों के वेतन पर
4500 रूपए गेहूं पिसाने में खर्च होते हैं

Intro:गरीबों और वृद्धों को दिन में एक बार भरपेट भोजन की व्यवस्था करने वाली दीनदयाल की रसोई का चूल्हा भिंड में अब बुझने की कगार पर है एक ओर जहां सरकार अतिरिक्त मदद देने से कन्नी काट रही है तो वहीं दूसरी और बरसात का मौसम होने के कारण खाने वालों की संख्या में भी इजाफा हुआ है रसोई को चलाने के लिए हर माह 30 से 35 हज़ार रुपये तक का इंतजाम करना पड़ता है ऐसे में अब जल्द ही सरकारी मदद ना मिली तो भिंड मैं संचालित दीनदयाल की रसोई जल्द ही बंद हो सकती है।


Body:भिंड में संचालित दीनदयाल की रसोई में 2 माह पहले तक ₹5 का टोकन लेकर खाना खाने वालों की संख्या 200 के आसपास थी लेकिन बरसात शुरू हुई तो काम धंधा ना मिलने के कारण रोजाना पहुंचने वाले गरीबों की संख्या कई दिनों में ढाई सौ को पार कर गई वैसे तो रसोई खुलने का समय सुबह 11 से दोपहर 3 बजे तक है लेकिन पर्याप्त व्यवस्था न होने पर कई बार 2:00 बजे भी ताला ढल जाता है

₹5 देकर भरपेट खाना खाने वाले लोग कहते हैं के उनके लिए यह खाने का एकमात्र साधन है और आज की इस दुनिया में ₹5 में अच्छी क्वालिटी का खाना कहां नसीब होता है लोग कहते हैं कि अगर यह रसोई बंद हुई तो उनके लिए भूखों मरने की नौबत आ जाएगी

बलवीर शाक्य, दिव्यांग

वही पंडित दीनदयाल की रसोई में काम करने वाले कर्मचारी भी बताते हैं के यहां रोजाना डेढ़ सौ से ढाई सौ लोगों का खाना बनता है लेकिन ₹5 की आमदनी से खर्चा नहीं निकलता पहले सरकार से भी मदद मिलती थी लेकिन वह भी अब नहीं मिलती बीच में 2 महीने तक खाद्यान्न नहीं मिलने से कई दिनों तक रसोई में ताला पड़ा रहा था जिसके चलते कर्मचारी और खाना खाने वाले गरीब और मजदूर लोग खासे परेशान रहे कर्मचारियों का कहना है कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो जल्द यह रसोई बंद करनी पड़ जाएगी जिसका खामियाजा हमें भी भुगतना पड़ेगा क्योंकि हमारी आय का भी यही एकमात्र साधन है वही नगरपालिका के अधिकारियों का कहना है कि खाद्यान शाशन की और से आता है जिसका भुगतान नगरपालिका द्वारा किया जाता है। हम अपनी ओर से गैस सिलेंडर उपलब्ध करवा देते है। अब ये तो संचालक की क्षमता पर निर्भर है वह कब तक चला पाए।

सरोज, रसोइया
राजकुमार, कर्मचारी, दीनदयाल रसोई
सुल्तान सिंह नरवरिया, सहायक ग्रेड 2, नगर पालिका

#दीनदयाल रसोई मैं खाने का मैन्यू
दीनदयाल की रसोई में रोजाना खाना खाने के लिए आने वाले लोगों के लिए ₹5 में भोजन की व्यवस्था की गई है
खाने की थाली में रोजाना दाल, चावल, एक सीजनल सब्जी और चार रोटियां दी जाती हैं

#कितनी मिलती है मदद
दीनदयाल रसोई को शासन की ओर से हर माह 18 क्विंटल गेहूं और 5 से 7 क्विंटल चावल के अलावा मदद के रूप में 25 गैस सिलेंडर उपलब्ध कराए जा रहे हैं जबकि 1 साल पहले 24 क्विंटल गेहूं और 8 क्विंटल चावल आ जाता था पहले अधिकारियों का भी सहयोग रहता था लेकिन वह भी अब नहीं मिल रहा है।

#कहां कितना आता है खर्च
दीनदयाल की रसोई संचालित करने के लिए हर महीने आने वाला खर्च
*₹53500 रसोई पर
*₹25500 दाल सब्जी तेल आदि सामान पर
*₹20000 कर्मचारियों का वेतन
* सरकार की ओर से मिले अनाज में गेहूं पिसाने में 4500 रुपए खर्च होते हैं
*करीब ₹35 अन्य मदों पर
* ₹20000 टोकन से होने वाली कुल आय


Conclusion:तत्कालीन शिवराज सरकार में बड़े ही जोर शोर और प्रचार के बीच शुरू हुई दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना की हालत वाकई अब खुद दीन हीन हो गई है योजना में ₹5 में गरीबों को खाना दिया जाता है लेकिन सरकार ने इस योजना को अब दानदाताओं के भरोसे ही छोड़ दिया है और दानदाता और अधिकारियों के सहयोग नहीं मिलने के चलते अब यह रसोई बंद होने की कगार पर पहुंच गई है।

भिंड से ईटीवी भारत के लिए पियूष श्रीवास्तव की रिपोर्ट
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