भिंड। गरीबों को पांच रूपए में भरपेट खाना खिलाने वाली दीनदयाल रसोई योजना का चूल्हा बुझने की कगार पर है. प्रदेश की कांग्रेस सरकार भी योजना से किनारा कर रही है. वहीं बारिश के मौसम के चलते खाने वालों की संख्या बढ़ गई है. रसोई चलाने के लिए हर माह 30 से 35 हजार रूपए तक का इंतजाम करना पड़ता है, ऐसे में अब जल्द ही सरकारी मदद नहीं मिली तो भिंड में संचालित दीनदयाल रसोई का चूल्हा जल्द ही बुझ जाएगा.
दो माह पहले तक योजना का लाभ लेने वालों की संख्या 200 के आसपास थी, लेकिन बारिश के चलते ये संख्या 250 पार कर गई. रसोई खुलने का समय सुबह 11 से दोपहर 3 बजे तक है, लेकिन अव्यवस्थाओं के चलते कई बार 2 बजे भी ताला लग जाता है. कर्मचारियों का कहना है कि पहले सरकार से मदद मिलती थी, लेकिन अब सरकार से मदद नहीं मिल रही है. अगर ऐसे ही चलता रहा तो जल्द ये रसोई बंद करनी पड़ जाएगी.
नगर पालिका के अधिकारियों का कहना है कि राशन शासन से मिलता है, जिसका भुगतान नगर पालिका द्वारा किया जाता है. हम अपनी ओर से गैस सिलेंडर उपलब्ध करवा देते हैं. साथ ही कर्मचारियों का कहना है कि दीनदयाल रसोई को शासन से हर माह 18 क्विंटल गेहूं और 5 से 7 क्विंटल चावल के अलावा 25 गैस सिलेंडर उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जबकि एक साल पहले 24 क्विंटल गेहूं और 8 क्विंटल चावल मिलता था.
बता दें, तत्कालीन शिवराज सरकार ने योजना को बड़े ही जोर-शोर से शुरू किया था, लेकिन प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस सरकार ने इसे दानदाताओं के भरोसे ही छोड़ दिया है.
कहां कितना आता है खर्च
53,500 रूपए रसोई का खर्च
25,500 रूपए दाल सब्जी तेल आदि पर
20,000 रूपए कर्मचारियों के वेतन पर
4500 रूपए गेहूं पिसाने में खर्च होते हैं