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Cyber Crime: पुलिसिया डाटा पर साइबर क्रिमिनल्स की नजर, जानिए कैसे आपके कंप्यूटर, स्मार्टफोन में करते हैं सेंधमारी

साइबर क्रिमिनल ठगी के लिए नए-नए तरीके अपनाते रहते हैं. इनसे बचने के लिए सतर्कता जरूरी है. इन दिनों मध्य प्रदेश पुलिस भी साइबर क्राइम को लेकर अलर्ट है, क्योंकि अपराधियों की नजर पुलिस के जरूरी डाटा पर है. (MP Police alert for cyber crime)

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पुलिस डाटा में सेंधमारी की कोशिश
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Published : Jan 31, 2022, 11:01 PM IST

भिंड। टेक्नोलॉजी के कारण दुनिया पहले से तेज़ चलने लगी है. कंप्यूटर, लैपटॉप और स्मार्टफोन के उपयोग ने बड़े-बड़े अमीरों से लेकर एक रिक्शेवाले तक को इंटरनेट की दुनिया से जोड़ दिया है. आज इंटरनेट ने जिस तरह लोगों को कई सुविधाएं दी हैं, उसी तेजी से साइबर क्राइम भी बढ़ रहा है. और अब मध्य प्रदेश में साइबर अपराधियों ने पुलिस के डाटा में सेंध लगाने की कोशिश की है.

पुलिसिया डाटा पर साइबर क्रिमिनल्स की नजर
पुलिस डाटा में सेंधमारी की कोशिश
ऑनलाइन ठगी, साइबर स्टॉकिंग, आईडी हैक और इंटरनेट से जुड़े इसी तरह के कई गुनाहों के बारे में अक्सर आपने पढ़ा और देखा होगा, सरकार हो या पुलिस विभाग लगातार लोगों को साइबर अपराधों से बचने के लिए समय-समय पर जागरूक करते रहते हैं. लेकिन मध्य प्रदेश पुलिस भी इन साइबर अपराधियों से बाल-बाल बचती आ रही है. हैकर्स ने मध्य प्रदेश पुलिस डाटा में सेंध लगाने की कोशिश की है. हालांकि अलर्ट रहने की वजह से एक बार फिर साइबर अपराधियों को सफलता हासिल नहीं हुई.
ज़रूरी सॉफ्टवेयर के ज़रिए डाटा चुराने की कोशिश
दरअसल, पुलिस हेड क्वार्टर भोपाल से हाल ही में सभी जिलों की पुलिस को अलर्ट नोटिफिकेशन जारी किया गया था. जिसमें बताया गया कि dropbox.com नाम की वेबसाइट द्वारा पुलिस विभाग द्वारा जारी किए गए ई-मेल एड्रेस पर ई-मेल भेजे जा रहे हैं, जिनमें Call-CDR और IMEI analysing के लिए सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने संबंधी लिंक उपलब्ध कराए गए हैं, यदि कोई गलती से भी इन लिंक पर सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने के लिए क्लिक करता है तो संबंधित डाटा सर्वर हैकर्स को शेयर हो जाएगा.

दोस्तों ने बिछाया साइबर ठगी का जाल! एक ही पते पर खोली 15 कंपनियां, हाउस कीपर को बना दिया मालिक

पुलिस मुख्यालय ने भी जारी की एडवाइजरी
इस संबंध में जानकारी देते हुए भिंड पुलिस अधीक्षक शैलेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि आमतौर पर समय-समय पर पुलिस मुख्यालय द्वारा साइबर से संबंधित एडवाइजरी जारी होती रहती है. इसी कड़ी में एक नोटिफिकेशन जारी हुआ है, जिसमें dropbox.com से संबंधित ईमेल से अलर्ट रहने के निर्देश हैं. आम टूटलर ओएफ ड्रॉपबॉक्स का उपयोग हम डेटा शेयरिंग के लिए करते हैं, ऐसे में वह डाटा किसी अनाधिकृत व्यक्ति के पास न चला जाए इस बात को लेकर जानकारी दी गयी है, आम लोगों को भी इस तरह के ईमेल से सतर्क रहना चाहिए जिससे वह किसी भी साइबर ठगी से सुरक्षित रह सकें.

इस तरह डाटा चोरी करते हैं हैकर्स
अब सवाल उठता है कि कैसे हैकर्स इंटरनेट के माध्यम से डाटा चोरी का प्रयास करते हैं. जवाब है कि मैलवेयर, मैलवेयर एक तरह का सॉफ्टवेयर होता है जिसे दूसरे कंप्यूटर को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से बनाया जाता है. हैकर्स आमतौर पर इसी का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि यह सबसे आसान तरीका होता है. मैलवेयर को किसी भी कम्प्यूटर या स्मार्टफोन में अपलोड करना काफी आसान काम है. हैकर्स इसके लिए ईमेल, लिंक्स, फोटोज, वीडियो जैसी चीज़े भेजते हैं, जिन्हें क्लिक करते ही मैलवेयर आपके ऑपरेटिंग सिस्टम में पहुंच जाता है और सम्बंधित का पूरा डाटा हैकर को शेयर कर देता है. जिसके बाद वह जैसे चाहे उसका इस्तेमाल कर सकता है. आज 'ट्रोजन' सबसे ज्यादा खतरनाक और अधिक इस्तेमाल किये जाने वाला मैलवेयर माना जाता है.

वेब एड्रेस में मामूली बदलाव से देते हैं झांसा
लगातार जागरूकता कार्यक्रमों और समाचारों से लोग इस तरह के साइबर अपराधों से अलर्ट हैं, बावजूद इसके कैसे फंस जाते हैं यह भी अपने आप में अहम सवाल है. साइबर एक्सपर्ट के मुताबिक, इस तरह के ईमेल भेजने के लिए फेक प्रोफाइलिंग की जाती है, यानी हैकर्स सबसे आसान और इस्तेमाल होने वाली वेबसाइट की हूबहू कॉपी या डुप्लीकेट वेबसाइट बनाते हैं, और उसके वेब एड्रेस में मामूली बदलाव किया जाता है जिस पर किसी का ध्यान नही जाता. उदाहरण के लिए फेमस क्लाउड डेटा शेयरिंग वेबसाइट है dropbox.com लेकिन हैकर इसमें बदलाव कर 'o' की जगह '0' लिख कर dropb0x.com नाम की हूबहू वेबसाइट बना कर लोगों को झांसा दे देते हैं. इसके लिए proxy server का इस्तेमाल करते हैं, जिसकी वजह से उन्हें पकड़ना भी आसान नही होता.
(MP Police alert for cyber crime)

भिंड। टेक्नोलॉजी के कारण दुनिया पहले से तेज़ चलने लगी है. कंप्यूटर, लैपटॉप और स्मार्टफोन के उपयोग ने बड़े-बड़े अमीरों से लेकर एक रिक्शेवाले तक को इंटरनेट की दुनिया से जोड़ दिया है. आज इंटरनेट ने जिस तरह लोगों को कई सुविधाएं दी हैं, उसी तेजी से साइबर क्राइम भी बढ़ रहा है. और अब मध्य प्रदेश में साइबर अपराधियों ने पुलिस के डाटा में सेंध लगाने की कोशिश की है.

पुलिसिया डाटा पर साइबर क्रिमिनल्स की नजर
पुलिस डाटा में सेंधमारी की कोशिश
ऑनलाइन ठगी, साइबर स्टॉकिंग, आईडी हैक और इंटरनेट से जुड़े इसी तरह के कई गुनाहों के बारे में अक्सर आपने पढ़ा और देखा होगा, सरकार हो या पुलिस विभाग लगातार लोगों को साइबर अपराधों से बचने के लिए समय-समय पर जागरूक करते रहते हैं. लेकिन मध्य प्रदेश पुलिस भी इन साइबर अपराधियों से बाल-बाल बचती आ रही है. हैकर्स ने मध्य प्रदेश पुलिस डाटा में सेंध लगाने की कोशिश की है. हालांकि अलर्ट रहने की वजह से एक बार फिर साइबर अपराधियों को सफलता हासिल नहीं हुई.
ज़रूरी सॉफ्टवेयर के ज़रिए डाटा चुराने की कोशिश
दरअसल, पुलिस हेड क्वार्टर भोपाल से हाल ही में सभी जिलों की पुलिस को अलर्ट नोटिफिकेशन जारी किया गया था. जिसमें बताया गया कि dropbox.com नाम की वेबसाइट द्वारा पुलिस विभाग द्वारा जारी किए गए ई-मेल एड्रेस पर ई-मेल भेजे जा रहे हैं, जिनमें Call-CDR और IMEI analysing के लिए सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने संबंधी लिंक उपलब्ध कराए गए हैं, यदि कोई गलती से भी इन लिंक पर सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने के लिए क्लिक करता है तो संबंधित डाटा सर्वर हैकर्स को शेयर हो जाएगा.

दोस्तों ने बिछाया साइबर ठगी का जाल! एक ही पते पर खोली 15 कंपनियां, हाउस कीपर को बना दिया मालिक

पुलिस मुख्यालय ने भी जारी की एडवाइजरी
इस संबंध में जानकारी देते हुए भिंड पुलिस अधीक्षक शैलेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि आमतौर पर समय-समय पर पुलिस मुख्यालय द्वारा साइबर से संबंधित एडवाइजरी जारी होती रहती है. इसी कड़ी में एक नोटिफिकेशन जारी हुआ है, जिसमें dropbox.com से संबंधित ईमेल से अलर्ट रहने के निर्देश हैं. आम टूटलर ओएफ ड्रॉपबॉक्स का उपयोग हम डेटा शेयरिंग के लिए करते हैं, ऐसे में वह डाटा किसी अनाधिकृत व्यक्ति के पास न चला जाए इस बात को लेकर जानकारी दी गयी है, आम लोगों को भी इस तरह के ईमेल से सतर्क रहना चाहिए जिससे वह किसी भी साइबर ठगी से सुरक्षित रह सकें.

इस तरह डाटा चोरी करते हैं हैकर्स
अब सवाल उठता है कि कैसे हैकर्स इंटरनेट के माध्यम से डाटा चोरी का प्रयास करते हैं. जवाब है कि मैलवेयर, मैलवेयर एक तरह का सॉफ्टवेयर होता है जिसे दूसरे कंप्यूटर को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से बनाया जाता है. हैकर्स आमतौर पर इसी का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि यह सबसे आसान तरीका होता है. मैलवेयर को किसी भी कम्प्यूटर या स्मार्टफोन में अपलोड करना काफी आसान काम है. हैकर्स इसके लिए ईमेल, लिंक्स, फोटोज, वीडियो जैसी चीज़े भेजते हैं, जिन्हें क्लिक करते ही मैलवेयर आपके ऑपरेटिंग सिस्टम में पहुंच जाता है और सम्बंधित का पूरा डाटा हैकर को शेयर कर देता है. जिसके बाद वह जैसे चाहे उसका इस्तेमाल कर सकता है. आज 'ट्रोजन' सबसे ज्यादा खतरनाक और अधिक इस्तेमाल किये जाने वाला मैलवेयर माना जाता है.

वेब एड्रेस में मामूली बदलाव से देते हैं झांसा
लगातार जागरूकता कार्यक्रमों और समाचारों से लोग इस तरह के साइबर अपराधों से अलर्ट हैं, बावजूद इसके कैसे फंस जाते हैं यह भी अपने आप में अहम सवाल है. साइबर एक्सपर्ट के मुताबिक, इस तरह के ईमेल भेजने के लिए फेक प्रोफाइलिंग की जाती है, यानी हैकर्स सबसे आसान और इस्तेमाल होने वाली वेबसाइट की हूबहू कॉपी या डुप्लीकेट वेबसाइट बनाते हैं, और उसके वेब एड्रेस में मामूली बदलाव किया जाता है जिस पर किसी का ध्यान नही जाता. उदाहरण के लिए फेमस क्लाउड डेटा शेयरिंग वेबसाइट है dropbox.com लेकिन हैकर इसमें बदलाव कर 'o' की जगह '0' लिख कर dropb0x.com नाम की हूबहू वेबसाइट बना कर लोगों को झांसा दे देते हैं. इसके लिए proxy server का इस्तेमाल करते हैं, जिसकी वजह से उन्हें पकड़ना भी आसान नही होता.
(MP Police alert for cyber crime)

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