भिंड। मेहगांव में एक कलयुगी बेटे की करतूत उजागर हुई है. अपने भाई की संपत्ति हड़पने (Bhind Property Fraud) के लिए उसने अपने जिंदा पिता को कूट रचित दस्तावेजों द्वारा मृत बताकर उसकी संपत्ति अपने नाम करा ली. इस काम में शामिल तहसीलदार और उनके रीडर समेत 5 लोगों को मेहगांव न्यायालय के जिला सत्र न्यायाधीश अशोक गुप्ता ने 3-3 साल की सजा और अर्थदंड से दंडित किया है.
यह है पूरा मामला: साल 2016 में मेहगांव तहसील के तत्कालीन तहसीलदार अशोक गोबाडिया के कार्यालय में राय सिंह कुशवाह ने अपनी पत्नी गुड्डी कुशवाह और राजस्व अफसरों के साथ मिलकर अपने जिंदा पिता छोटेलाल कुशवाह के फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाकर अपने भाई की संपत्ति हड़पने के लिए पत्नी और समधी गंगा सिंह को गवाह बनाते हुए नामांतरण के लिए वसीयतनामा पेश किया था. जिसमें तत्कालीन तहसीलदार गोबाड़िया और उनके रीडर भी शामिल थे. इस काम की भनक लगते ही फरियादी पिता छोटे सिंह ने शिकायत दर्ज कराई थी. जिस पर न्यायालय ने संज्ञान लेते हुए 5 लोगों पर 2016 में मेहगांव थाने में मामला दर्ज कराया था.
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कोर्ट ने तत्कालीन तहसीलदार को भी माना दोषी: लगातार 6 साल चले इस मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद आखिरकार कोर्ट ने अपना फैसल दे दिया है. जिला सत्र न्यायाधीश अशोक गुप्ता ने तत्कालीन तहसीलदार अशोक गोबाडिया और रीडर रामशरण यादव को 3-3 वर्ष का कारावास और 3-3 हजार रुपये के अर्थदंड से भी दंडित किया है. वहीं आरोपी राय सिंह कुशवाह, पत्नी गुड्डी देवी कुशवाह और समधी गंगा सिंह कुशवाहा को 3-3 साल की सजा सुनाई है, साथ ही दोषियों पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.
रिटायर हो चुके तत्कालीन तहसीलदार: इस प्रकरण की पैरवी कर रहे लोक अभियोजक एडवोकेट देवेश शुक्ला ने बताया कि ''फरियादी छोटेलाल कुशवाह की केस दायर करने के कुछ समय बाद मृत्यु हो गई थी, लेकिन उससे पहले ही मामले की शिकायत दर्ज हो चुकी थी. ऐसे में न्यायालय ने इस पर पूरी सुनवाई करते हुए न्याय दिया है''. बता दें कि आरोपी तत्कालीन तहसीलदार अशोक गोबाडिया और उनके रीडर राम शंकर यादव कुछ साल पहले रिटायर हो चुके हैं.