भिंड। विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है. बीजेपी- कांग्रेस ने टिकट बंटवारे कर दिये हैं. ऐसे में भिंड विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी ने जीत की उम्मीद में पूर्व विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह को प्रत्याशी बनाया है. आइये समझते हैं, अब भिंड विधानसभा पर कैसे हैं ताज़ा सियासी समीकरण....
क्यों लगी नरेंद्र सिंह कुशवाह के नाम पर मुहर: भारतीय जनता पार्टी हो या कांग्रेस इस बार मध्यप्रदेश में विधानसभा का चुनाव सत्ता ही नहीं वर्चस्व का भी मैच है. जहां दोनों जी दल एक दूसरे को नीच दिखाने में इस साल कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं. इसलिये सत्ता की कुर्सी को पाने के लिए पायदान भी मज़बूत लगाए जा रहे हैं. यानी दांव जिताऊ प्रत्याशियों पर ही लगाया जा रहा है. बीजेपी ने सर्वे के आधार पर टिकटों का बंटवारा किया है और भिंड जिले की भिंड विधानसभा सीट पर इस बार टिकट पूर्व विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह को मिला है.
कौन हैं नरेंद्र सिंह कुशवाह?: भारतीय जनता पार्टी के नेता नरेंद्र सिंह कुशवाह इस बार बीजेपी के प्रत्याशी हैं. क्षेत्र में रसूख़ है जनता के बीच लोकप्रिय हैं 2003 में पहली बार बीजेपी से विधायक बने थे. दूसरी बार जनता ने 2013 में विधायक चुना. 2018 में टिकट माही मिला तो सपा से लड़े लेकिन हार गए. इसके बाद फिर बीजेपी जॉइन की. विधायक नहीं रहते हुए भी जनता की हर समस्या में साथ खड़े रहे. जब भी किसी ने मदद मांगी, उसकी हर संभव मदद की सरकार के साथ भी भी सरकार के खिलाफ भी.
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नरेंद्र सिंह कुशवाह पर भरोसे की वजह: बीजेपी के इंटरनल सर्वे में पहले ही बीजेपी दावेदारों में दो नाम सामने आये थे. इनमें विधायक संजीव सिंह कुशवाह और पूर्व विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह दोनों ही टिकट के प्रबल दावेदार थे. विधायक संजीव तो कुछ समय पहले ही बसपा से भजपाई हुए हैं, लेकिन हाल के सर्वे के मुताबिक बीजेपी ने नरेंद्र सिंह कुशवाह पर ज़्यादा भरोसा दिखाया. इसकी एक बड़ी वजह संजीव सिंह का स्थानीय विरोध भी था. वहीं पिछले विधानसभा में टिकट कटने पर नाराज़ रहे, नरेंद्र सिंह कुशवाह सपा में शामिल हो गए थे और निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन वोट 30 हज़ार से ज़्यादा थे. इन हालातों के मद्देनजर बीजेपी के लिए नरेंद्र सिंह कुशवाह भरोसेमंद लगे. बड़ी वजह यह भी रही कि नरेंद्र सिंह जनता से सीधा जुड़ाव रखते हैं.
2018 के विधानसभा चुनाव की स्थिति: साल 2018 में जब 15वीं विधानसभा के लिए चुनाव हुए तो भिंड विधानसभा में सत्ता में बैठी भारतीय जनता पार्टी ने चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी को बतौर प्रत्याशी चुनाव में टिकट दिया था. इन्हें चुनाव में 33211 वोट हंसिल हुए थे लेकिन वे दूसरे स्थान पर रहे वहीं बीजेपी से टिकट कटने पर तत्कालीन विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ गए थे. उन्हें 30474 मिले थे. हालांकि, वे तीसरे स्थान पर थे, जबकि इस चुनाव में जनता का समर्थन बसपा प्रत्याशी संजीव सिंह कुशवाह के साथ गया था और वे 69107 वोट लाकर विधायक चुने गए थे.
क्या रहेंगी नरेंद्र सिंह कुशवाह के लिए चुनौतियां: टिकट बंटवारे में भले ही नरेंद्र सिंह कुशवाह ने बाज़ी मार्नली लेकिन अब भी चुनौतियाँ कम नहीं है. सबसे पहले भीतरघात का खतरा बड़ी मुसीबत है, क्योंकि विधायक संजीव सिंह कुशवाह फ़िलहाल बीजेपी में हैं. उनका टिकट कटने से एक बड़ा वोटबैंक हाथ से गिसाल सकता है, क्योंकि दोनों ही नेता एक दूसरे के धुर्र विरोधी हैं. ऐसे में एक का टिकट कटना दूसरे के वर्चस्व को ललकार है.
ऐसे में हो सकता है संजीव सिंह इस बार निर्दलीय लड़ सकते हैं और ना भी लड़े तो संजीव सिंह का समर्थक नरेंद्र सिंह से दूरी बनाकर रखेगा. दोनों ही सूरतों में नुक़सान होने की आशंका रहेगी. वहीं कांग्रेस के चौधरी राकेश सिंह कट्टर विरोधी हैं और जाने माने प्रदेश स्तर के नेता हैं ऐसे में चुनाव आसानी से निकलना मुश्किल है.