शहडोल (अखिलेश शुक्ला): हमारे आसपास कई ऐसी चीजें पाई जाती हैं, जो बहुत खास है, लेकिन हमें उनकी खासियत पता नहीं होती. हम उनका फायदा नहीं उठा पाते हैं, और फिर उनकी खासियत जानने के बाद वो हमारे लिए बहुत बहुमूल्य हो जाती है. आज के समय में बाजार जिस गति से तेज रफ्तार पकड़ रहा है. हर एक चीज का सदुपयोग हो रहा है, ऐसे में कई ऐसे पौधे भी पाए जाते हैं. जिनकी आम जनजीवन में वहां तो कोई उपयोगिता नहीं होती है, उन्हें हम घास समझ कर घरों से उखाड़ कर फेंक देते हैं, लेकिन क्या आपको पता है, वही पौधा आपको धनवान बना सकता है. बस उसके लिए आपको छोटा सा काम करना पड़ेगा.
ये कचरा नहीं, काम की चीज है
राजन बैगा अपने घर की सफाई कर रहा था. सफाई के दौरान वो अपने घर के पास नाली में लगे सत्यानाशी के पौधे को भी उखाड़ कर फेंक रहा था. जब उससे पूछा गया कि इस पौधे को उखाड़ कर क्यों फेंक रहे हो, तो उन्होंने बताया कि यह घास है. इसमें कांटे होते हैं. जो किसी को भी चुभ सकते हैं. बच्चों को इससे बहुत खतरा होता है. जिसकी वजह से वो सफाई के दौरान ऐसे पौधों को हटा रहे हैं, लेकिन जिस पौधे को घास समझ कर लोग घरों से हटा देते हैं, क्या आपको पता है, वही पौधा आपको धनवान भी बन सकता है.
वो पौधा कई मर्जों में रामबाण इलाज का काम भी करता है. आयुर्वेद में इसका काफी महत्व भी बताया गया है, जिसका बिजनेस पर्पज से भी इस्तेमाल किया जा सकता है, आखिर ऐसे पौधों से कैसे धनवान बना जा सकता है.
सत्यानाशी कौन सा पौधा है ?
सत्यानाशी के पौधे को कई नाम से जाना जाता है. इसमें पीले कलर के फूल होते हैं. इसके किसी भी तने को या अंग को तोड़ने पर पीले रंग का दूध निकलता है. इसीलिए इसे स्वर्णक्षीरी भी कहा जाता है. सत्यानाशी का फल चौकोर होता है. कांटेदार प्याले जैसा होता है. दाने राई के समान छोटे-छोटे काले रंग के होते हैं. सत्यानाशी को कई नामों से जाना जाता है. संस्कृत में कटुपर्णी के नाम से जाना जाता है, तो वही हिंदी में सत्यानाशी के अलावा पीला धतूरा, फिरंगी धतूरा, भटकटैया आदि नाम से जाना जाता है.
इसका वानस्पतिक नाम आरजीमोन मेक्सिकाना है. लगभग डेढ़ से 2 फीट का ये पौधा होता है. इसमें पीले कलर का फूल निकलता है. इसके पत्ते कांटेदार होते हैं. आदिवासी वर्ग के लोग इसे कटिल्ली, सियाल कांटा के नाम से भी जानते हैं. इंग्लिश में इसे प्रिकली पॉपी, मैक्सिकन पॉपी, येलो थिस्टल के नाम से भी जाना जाता है.
बड़े काम का सत्यानाशी
सत्यानाशी पौधे का बहुत बड़ा आयुर्वेद महत्व है. डॉक्टर अंकित नामदेव बताते हैं, कि "ये औषधीय महत्व का पौधा है. इसके पूरे पंचांग का इस्तेमाल किया जाता है. आयुर्वेद में कई औषधी सत्यानाशी के पौधे से बनाई जाती है. पेशाब रुक रुक कर अगर आती है, स्टोन के पेशेंट होते हैं, उसमें भी सत्यानाशी के पौधे का 10 एमएल सरस काफी उपयोगी होता है. घाव धोने के लिए भी आप इस पौधे के रस का उपयोग कर सकते हैं. इससे काफी फायदा होता है.
कफ पित्त से संबंधित जितने भी रोग हैं, जैसे त्वचा का रोग, फोड़े, फुंसी खुजली वहां पर सत्यानाशी के रस का उपयोग किया जा सकता है. इसके जड़ का प्रयोग बुखार में किया जाता है. हालांकि आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव बताते हैं कि सत्यानाशी का ये पौधा काफी उग्र होता है. इसलिए इसका उपयोग काफी सोच समझकर करना चाहिए, डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए.
सत्यानाशी बना सकता है धनवान
देखा जाए तो जिस तरह से सत्यानाशी के पौधे का औषधीय महत्व होता है. इस पौधे के पंचांग से कई तरह की दवाइयां बनाई जाती हैं. आयुर्वेद में अच्छा खासा इसका महत्व है. ऐसे में अगर सत्यानाशी के पौधे का संरक्षण किया जाए, बहुतायत में इस पौधे को लगाया जाए, क्योंकि इसके बीज को नॉर्मल लगा देने से ही कई सारे पौधे कहीं पर भी जम जाते हैं, इसके लिए किसी भी तरह की विशेष प्रकार की मिट्टी की जरूरत नहीं होती है. न ही बहुत लागत लगती है. जिस पौधे का पूरा पंचांग आयुर्वेद दवा बनाने में काम आए, ऐसे पौधे की मार्केट में डिमांड भी बहुत होती है.
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किसी अच्छे आयुर्वेद कंपनी या आयुर्वेद दवा बनाने वाले लोगों से संपर्क करके उन्हें इस पौधे के पंचांग सप्लाई किया जाए, तो इससे पैसे भी कमाये जा सकते हैं और बिजनेस परपस से भी सत्यानाशी का पौधा आपके काम आ सकता है. जिस पौधे को आप घास समझ कर घरों से निकाल कर फेंक देते हैं. वह पौधा आपको पैसे कमा कर दे सकता है.