भिंड। विधानसभा 2023 में टिकट फाइनल होना कई राजनीतिक हस्तियों के ढलते सूरज में उमंग की रोशनी भरने का काम कर रहा है. कांग्रेस की दूसरी सूची में भिंड विधानसभा सीट से पूर्व मंत्री चौ राकेश सिंह चतुर्वेदी को टिकट मिला है. चतुर्वेदी पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी थे. भिंड सीट से कांग्रेस के पास दावेदार तो कई थे लेकिन दमदारी इतनी नहीं थी, ना ही प्रदेश स्तरीय चेहरा. जिसे बीजेपी के आगे खड़ा करना जीत की उम्मीद देता. भिंड में पहले ही कांग्रेस दो-फाड़ नज़र आती है. Bhind Assembly Seat
कांग्रेस के पास राकेश सिंह ही विकल्प : भिंड विधानसभा सीट पर कांग्रेस अलग-अलग गुटों में बंटी हुई है. पिछले चुनाव में कांग्रेस ने पूर्व ज़िला अध्यक्ष रमेश दुबे को टिकट दिया था लेकिन वे हारे. बाद में सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हो गए. ऐसे में चौधरी राकेश सिंह के अलावा कांग्रेस के पास कोई बड़ा नेता नहीं था, जिसे भिंड से टिकट दिया जा सके. चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी भिंड विधानसभा सीट से चार बार विधायक रहे हैं, वे दिग्विजय सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद भी संभल चुके हैं. सामाजिक रूप से अच्छे वक्ता और नेता की छवि है. खासकर क्षेत्र के ब्राह्मण समाज में रुतबा और सम्मान है. अच्छी याददाश्त और प्रखर वक्ता के रूप में उन्होंने कई अहम मुद्दे जनता के लिए उठाये हैं. ऐसे में अब एक बार फिर कांग्रेस के टिकट पर उन्हें चुनाव में उतारना पार्टी के लिए फ़ायदे का दांव हो सकता है. Congress candidate Rakesh Singh
पिछले विधानसभा चुनाव की स्थिति : भिंड विधानसभा सीट में पिछला चुनाव बहुजन समाजवादी पार्टी के खाते में गया था. यहां से चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी भाजपा के प्रत्याशी थे तो बीजेपी से बग़ावत कर चुनाव लड़े पूर्व विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह सपा से मैदान में थे. वहीं कांग्रेस ने प्रत्याशी रहे रमेश दुबे और बसपा ने संजीव सिंह कुशवाह को टिकट दिया था. इस चुनाव में बसपा प्रत्याशी 69107 वोट पाकर विधायक चुने गए थे. बीजेपी से चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी 33211 वोट के साथ दूसरे स्थान पर थे. सपा से पूर्व विधायक नरेंद्र कुशवाह 30474 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहे थे. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी रमेश दुबे अपनी जमानत तक नहीं बचा पाये थे, उन्हें सर्फ़ 8297 वोट मिले थे.
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क्या हैं इस बार चुनौतियां : भिंड विधानसभा सीट पर चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी के लिए मुसीबतों की कमी नहीं रहेगी. सबसे पहले पार्टी नेताओं की अंतर्कलह एक बड़ी वजह है. टिकट कटने से नाराज कांग्रेसी परेशानी बनेंगे. वहीं कांग्रेस से बीजेपी और फिर कांग्रेस में दलबदल ने चौधरी राकेश सिंह की छवि पर असर डाला है. खासकर जुलाई 2013 के विधानसभा सेशन में बीजेपी सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव के दौरान चौधरी राकेश सिंह ने अपनी ही पार्टी से बगावत कर दी थी. वह किस्सा आज भी कांग्रेसियों के साथ ही क्षेत्र के भी कई लोग पूरी तरह भूले नहीं हैं. Congress candidate Rakesh Singh