ETV Bharat / state

योजना के नाम पर आधार डाटा चोरी, भिंड के एक लाख बैंक खाते नहीं सेफ - साइबर सेल प्रभारी मोतीलाल कुशवाहा

गुजरात की कंपनी द्वारा भिंड के भोलेभाले ग्रामीणों को मुफ्त में एलईडी देने के नाम पर उनका आधार डेटा और अंगूठे के निशान पर सेंध लगाई गई है, जिसका उपयोग कर कई लोगों के खातों से ट्रांजेक्शन कर पैसे भी निकाले गये हैं. जिले में करीब 1 लाख लोगों का डिजिटल डेटा चोरी हुआ है, जिसकी वजह से माना जा रहा है कि उनके बैंक खाते अब सुरक्षित नहीं रहे हैं.

Cyber crime be cautious
साइबर क्राइम सतर्क रहिए
author img

By

Published : Jan 17, 2021, 9:40 PM IST

भिंड। साइबर अपराधों के प्रति लगातार चलाई जा रही मुहिम और जागरुकता अभियानों का असर भले ही शहरी क्षेत्र में नजर आ रहा हो लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में आज भी लोग ऑनलाइन ठगी जैसे संगीन अपराधों का शिकार हो जाते हैं, यही कारण है कि भिंड जिले में सामने आए बड़े फ्रॉड में 1 या 2 नहीं करीब 1 लाख से ज्यादा लोगों का डिजिटल डेटा चोरी हो गया है. या कहें की लीक हो चुका है. और यह लोग भिंड समेत अन्य जिलों से भी हैं, जिसका उपयोग ठगों द्वारा बैंक खातों से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन कर पैसे निकालने के लिए किया जा रहा है.

क्या है पूरा मामला

डीएसपी हेड क्वार्टर और साइबर सेल प्रभारी मोतीलाल कुशवाहा के मुताबिक यह पूरा घटनाक्रम नवंबर महीने में शुरू हुआ था. उस दौरान लगातार भिंड जिले के ऊमरी और रौन पुलिस थानों में एक के बाद एक खातों से रुपए कटने की कई शिकायतें सामने आई इन सभी शिकायतों में फरियादियों द्वारा एक कॉमन बात यह थी कि लॉक डाउन के दौरान मई 2020 से सितंबर 2020 महीने के बीच कुछ युवकों द्वारा मुफ्त में एलईडी बल्ब देने के नाम पर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों से उनके आधार नंबर और अंगूठों के निशान लिए गए थे और बल्ब मुहैया कराए गए थे.

गुजरात से जुड़े मामले के तार

इस ऑनलाइन फ्रॉड और डेटा लीक केस के तार गुजरात से जुड़े थे, क्योंकि चारों युवकों ने गुजरात की एक कंपनी उत्कर्ष ह्यूमन रिसोर्सेड प्राइवेट लिमिटेड के लिए लोगों के आधार कार्ड नंबर और फिंगरप्रिंट कलेक्ट किये थे, जिसके लिए कंपनी द्वारा इन युवकों को प्रति व्यक्ति के डेटा के हिसाब से कुछ रुपये का भुगतान किया जा रहा था. इस तरह चारों युवकों ने 4 माह में करीब 1 लाख से ज्यादा लोगों को मुफ्त एलईडी बल्ब का झांसा देकर उनके फिंगरप्रिंट और आधार नंबर ले लिये और उन्हें कंपनी को ईमेल के जरिये उपलब्ध करा दिया, जिसके बाद से ही लगातार लोगों के खातों से पैसे कटना शुरू हो गए.

aadhaar-data-theft
रहें सतर्क

अब तक 18 लाख पार

नवंबर महीने से शिकायतों का सिलसिला शुरू हुआ 20 नवंबर तक करीब 46 लोगों ने अपने खातों से 11 लाख तक कि राशि चुराए जाने की शिकायत की थी और अब तक करीब 70 से ज्यादा लोगों ने खातों से पैसे जाने की शिकायत की है, अब तक इन शिकायतकर्ताओं के 18 लाख से ज्यादा रुपये चोरी हो चुके हैं.

पढ़ेंः भिंड: FREE FIRE गेम के इस लिंक पर भूल से भी मत करना क्लिक



इस तरह की जाती है ठगी

ऑनलाइन ठग गिरोह के सदस्यों द्वारा फ्री में एलईडी बल्ब देने के साथ पेटीएम खाता खोलने का झांसा देकर खाता धारक के पास से आधार कार्ड की फोटो कॉपी के साथ उनके अंगूठे के निशान ले लिए जाते थे. बाद में उस फिंगरप्रिंट को स्कैन कर रबड़ स्टांप बनवा लिया जाता है. जैसा कि सभी को पता है कि ज्यादातर बैंक खाते आधार नंबर से लिंक हैं, ऐसे में आधार की जानकारी भरने के बाद ही बैंक खाते को खोलता है. जैसे ही उसमें खाताधारक के अंगूठा लगाने का ऑप्शन आता है. वैसे ही रबर स्टैंप लगाकर अंगूठे का निशान दे दिया जाता है और उस खाते से रुपये निकाल लिए जाते हैं

डीएसपी और साइबर सेल प्रभारी
कहां तक पहुंची साइबर सेल की कार्रवाई

साइबर सेल प्रभारी डीएसपी मोती लाल कुशवाहा ने बताया कि लगातार मिल रही शिकायतों के आधार पर भिंड साइबर सेल द्वारा इसकी गहन जांच शुरू की गई, जिसमें पाया गया कि लहार इलाके के 4 लड़कों द्वारा गुजरात की कंपनी के लिए एलईडी बल्ब का झांसा देकर लोगों का डाटा चोरी किया गया है, जिसके बाद खातों से निकाली गई राशि के संबंध में जांच करने पर उसके तार गुजरात के अहमदाबाद से जुड़े तो अहमदाबाद पुलिस से संपर्क किया गया. खास बात यह थी कि जो भी राशि का आहरण किया गया. वह ऑनलाइन वॉलेट ईज़ी पे पर पेटीएम और अन्य माध्यम के जरिए किया गया था. ठग गिरोह के सदस्य लोगों का डाटा इस्तेमाल कर पैसा उनके खातों से ऑनलाइन वॉलेट में ट्रांसफर कर लेते हैं. इस संबंध में एक मामला अहमदाबाद में भी हुआ था, जिसके आधार पर गुजरात पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार भी किया, उसी आधार पर भिंड में भी पुलिस की जांच जारी है और जो 4 लड़के लहार से पकड़े गए थे. उनके बयान दर्ज करा दिए गए डाटा के संबंध में अभी अभी विवेचना की जा रही है.

अब सेफ नहीं 1 लाख से ज्यादा बैंक खाते

इस पूरे ऑनलाइन फ्रॉड के जरिए एक लाख से ज्यादा लोगों को शिकार बनाया गया और उनका डिजिटल डाटा लीक कर दिया गया है. यह लोग भिंड के अलावा दतिया, ग्वालियर, सागर, मंडला और उत्तर प्रदेश के ग्रामीण अंचल से भी हैं. खास बात यह है कि हर व्यक्ति के खाते की सुरक्षा के लिए उसका आधार नंबर और अंगूठे का निशान यानी फिंगरप्रिंट सबसे अहम माने जाते हैं. पहचान मानने का ये अहम डाटा है, जो आज एक ऐसे ठग गिरोह के लोगों के पास हैं जिन तक अब तक पुलिस नहीं पहुंच पाई है और वे इन लोगों के डाटा का कभी भी कहीं भी निजी उपयोग कर सकते हैं या कर रहे हैं.

हालांकि डीएसपी मोतीलाल कुशवाहा का कहना है कि पिछले काफी समय से किसी खाते से कोई रकम नहीं निकली है, साथ ही कुछ लोगों का कटा हुआ पैसा वापस आया है, इसलिए इन लोगों के खाते फिलहाल सुरक्षित माने जा सकते हैं.


पढ़ें: ग्वालियर: कैशबैक के नाम पर छात्रा के साथ सवा लाख की ठगी


फिशिंग क्या है

फिशिंग का मतलब लालच या झांसा देकर ठगना होता है. आज कल मैसेज, कॉल और मेल के जरिए कई तरह के ऑफर मिलते हैं. ऑनलाइन ठग द्वारा तमाम ब्रांडेड फोन, लैपटॉप, इलेक्ट्रॉनिक एसेसरीज मामूली दामों पर ऑफर किए जाते हैं, जिन के चक्कर में लोग फंस जाते हैं. ऐसे संदेह वाले मेल कॉल या मैसेज को नजरअंदाज करें.

धोखाधड़ी के शिकार होने पर क्या करें

धोखाधड़ी के शिकार होने पर अपने बैंक से संबंधित अधिकारी को तुरंत सूचित करें, इसके अलावा कस्टमर केयर सेंटर पर सूचना दर्ज कराएं और दर्ज सूचना का नंबर भी भविष्य के लिए सुरक्षित रखें ताकि बैंक आपके पैसे आपको लौटा सके.

फ्रॉड का शिकार होने पर आरबीआई की गाइडलाइन के मुताबिक तुरंत धोखाधड़ी की सूचना दर्ज कराएं, जिसके बाद ट्रांजेक्शन की पूरी जिम्मेदारी बैंक पर होती है, लेकिन तय प्रक्रिया में अगर संबंधित बैंक को सूचित नहीं किया गया है, तो जिम्मेदारी खाताधारक की हो जाती है. इस स्थिति में बैंक पर रिफंड करने की कोई कानूनी बाध्यता नहीं है.

भिंड। साइबर अपराधों के प्रति लगातार चलाई जा रही मुहिम और जागरुकता अभियानों का असर भले ही शहरी क्षेत्र में नजर आ रहा हो लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में आज भी लोग ऑनलाइन ठगी जैसे संगीन अपराधों का शिकार हो जाते हैं, यही कारण है कि भिंड जिले में सामने आए बड़े फ्रॉड में 1 या 2 नहीं करीब 1 लाख से ज्यादा लोगों का डिजिटल डेटा चोरी हो गया है. या कहें की लीक हो चुका है. और यह लोग भिंड समेत अन्य जिलों से भी हैं, जिसका उपयोग ठगों द्वारा बैंक खातों से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन कर पैसे निकालने के लिए किया जा रहा है.

क्या है पूरा मामला

डीएसपी हेड क्वार्टर और साइबर सेल प्रभारी मोतीलाल कुशवाहा के मुताबिक यह पूरा घटनाक्रम नवंबर महीने में शुरू हुआ था. उस दौरान लगातार भिंड जिले के ऊमरी और रौन पुलिस थानों में एक के बाद एक खातों से रुपए कटने की कई शिकायतें सामने आई इन सभी शिकायतों में फरियादियों द्वारा एक कॉमन बात यह थी कि लॉक डाउन के दौरान मई 2020 से सितंबर 2020 महीने के बीच कुछ युवकों द्वारा मुफ्त में एलईडी बल्ब देने के नाम पर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों से उनके आधार नंबर और अंगूठों के निशान लिए गए थे और बल्ब मुहैया कराए गए थे.

गुजरात से जुड़े मामले के तार

इस ऑनलाइन फ्रॉड और डेटा लीक केस के तार गुजरात से जुड़े थे, क्योंकि चारों युवकों ने गुजरात की एक कंपनी उत्कर्ष ह्यूमन रिसोर्सेड प्राइवेट लिमिटेड के लिए लोगों के आधार कार्ड नंबर और फिंगरप्रिंट कलेक्ट किये थे, जिसके लिए कंपनी द्वारा इन युवकों को प्रति व्यक्ति के डेटा के हिसाब से कुछ रुपये का भुगतान किया जा रहा था. इस तरह चारों युवकों ने 4 माह में करीब 1 लाख से ज्यादा लोगों को मुफ्त एलईडी बल्ब का झांसा देकर उनके फिंगरप्रिंट और आधार नंबर ले लिये और उन्हें कंपनी को ईमेल के जरिये उपलब्ध करा दिया, जिसके बाद से ही लगातार लोगों के खातों से पैसे कटना शुरू हो गए.

aadhaar-data-theft
रहें सतर्क

अब तक 18 लाख पार

नवंबर महीने से शिकायतों का सिलसिला शुरू हुआ 20 नवंबर तक करीब 46 लोगों ने अपने खातों से 11 लाख तक कि राशि चुराए जाने की शिकायत की थी और अब तक करीब 70 से ज्यादा लोगों ने खातों से पैसे जाने की शिकायत की है, अब तक इन शिकायतकर्ताओं के 18 लाख से ज्यादा रुपये चोरी हो चुके हैं.

पढ़ेंः भिंड: FREE FIRE गेम के इस लिंक पर भूल से भी मत करना क्लिक



इस तरह की जाती है ठगी

ऑनलाइन ठग गिरोह के सदस्यों द्वारा फ्री में एलईडी बल्ब देने के साथ पेटीएम खाता खोलने का झांसा देकर खाता धारक के पास से आधार कार्ड की फोटो कॉपी के साथ उनके अंगूठे के निशान ले लिए जाते थे. बाद में उस फिंगरप्रिंट को स्कैन कर रबड़ स्टांप बनवा लिया जाता है. जैसा कि सभी को पता है कि ज्यादातर बैंक खाते आधार नंबर से लिंक हैं, ऐसे में आधार की जानकारी भरने के बाद ही बैंक खाते को खोलता है. जैसे ही उसमें खाताधारक के अंगूठा लगाने का ऑप्शन आता है. वैसे ही रबर स्टैंप लगाकर अंगूठे का निशान दे दिया जाता है और उस खाते से रुपये निकाल लिए जाते हैं

डीएसपी और साइबर सेल प्रभारी
कहां तक पहुंची साइबर सेल की कार्रवाई

साइबर सेल प्रभारी डीएसपी मोती लाल कुशवाहा ने बताया कि लगातार मिल रही शिकायतों के आधार पर भिंड साइबर सेल द्वारा इसकी गहन जांच शुरू की गई, जिसमें पाया गया कि लहार इलाके के 4 लड़कों द्वारा गुजरात की कंपनी के लिए एलईडी बल्ब का झांसा देकर लोगों का डाटा चोरी किया गया है, जिसके बाद खातों से निकाली गई राशि के संबंध में जांच करने पर उसके तार गुजरात के अहमदाबाद से जुड़े तो अहमदाबाद पुलिस से संपर्क किया गया. खास बात यह थी कि जो भी राशि का आहरण किया गया. वह ऑनलाइन वॉलेट ईज़ी पे पर पेटीएम और अन्य माध्यम के जरिए किया गया था. ठग गिरोह के सदस्य लोगों का डाटा इस्तेमाल कर पैसा उनके खातों से ऑनलाइन वॉलेट में ट्रांसफर कर लेते हैं. इस संबंध में एक मामला अहमदाबाद में भी हुआ था, जिसके आधार पर गुजरात पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार भी किया, उसी आधार पर भिंड में भी पुलिस की जांच जारी है और जो 4 लड़के लहार से पकड़े गए थे. उनके बयान दर्ज करा दिए गए डाटा के संबंध में अभी अभी विवेचना की जा रही है.

अब सेफ नहीं 1 लाख से ज्यादा बैंक खाते

इस पूरे ऑनलाइन फ्रॉड के जरिए एक लाख से ज्यादा लोगों को शिकार बनाया गया और उनका डिजिटल डाटा लीक कर दिया गया है. यह लोग भिंड के अलावा दतिया, ग्वालियर, सागर, मंडला और उत्तर प्रदेश के ग्रामीण अंचल से भी हैं. खास बात यह है कि हर व्यक्ति के खाते की सुरक्षा के लिए उसका आधार नंबर और अंगूठे का निशान यानी फिंगरप्रिंट सबसे अहम माने जाते हैं. पहचान मानने का ये अहम डाटा है, जो आज एक ऐसे ठग गिरोह के लोगों के पास हैं जिन तक अब तक पुलिस नहीं पहुंच पाई है और वे इन लोगों के डाटा का कभी भी कहीं भी निजी उपयोग कर सकते हैं या कर रहे हैं.

हालांकि डीएसपी मोतीलाल कुशवाहा का कहना है कि पिछले काफी समय से किसी खाते से कोई रकम नहीं निकली है, साथ ही कुछ लोगों का कटा हुआ पैसा वापस आया है, इसलिए इन लोगों के खाते फिलहाल सुरक्षित माने जा सकते हैं.


पढ़ें: ग्वालियर: कैशबैक के नाम पर छात्रा के साथ सवा लाख की ठगी


फिशिंग क्या है

फिशिंग का मतलब लालच या झांसा देकर ठगना होता है. आज कल मैसेज, कॉल और मेल के जरिए कई तरह के ऑफर मिलते हैं. ऑनलाइन ठग द्वारा तमाम ब्रांडेड फोन, लैपटॉप, इलेक्ट्रॉनिक एसेसरीज मामूली दामों पर ऑफर किए जाते हैं, जिन के चक्कर में लोग फंस जाते हैं. ऐसे संदेह वाले मेल कॉल या मैसेज को नजरअंदाज करें.

धोखाधड़ी के शिकार होने पर क्या करें

धोखाधड़ी के शिकार होने पर अपने बैंक से संबंधित अधिकारी को तुरंत सूचित करें, इसके अलावा कस्टमर केयर सेंटर पर सूचना दर्ज कराएं और दर्ज सूचना का नंबर भी भविष्य के लिए सुरक्षित रखें ताकि बैंक आपके पैसे आपको लौटा सके.

फ्रॉड का शिकार होने पर आरबीआई की गाइडलाइन के मुताबिक तुरंत धोखाधड़ी की सूचना दर्ज कराएं, जिसके बाद ट्रांजेक्शन की पूरी जिम्मेदारी बैंक पर होती है, लेकिन तय प्रक्रिया में अगर संबंधित बैंक को सूचित नहीं किया गया है, तो जिम्मेदारी खाताधारक की हो जाती है. इस स्थिति में बैंक पर रिफंड करने की कोई कानूनी बाध्यता नहीं है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.